चंडीगढ़, 18 नवम्बर:
सूचना प्रौद्यौगिकी, ई-गवर्नेंस और ई-कॉमर्स को उत्साहित करने के लिए उपयुक्त बैंडविडथ (इन्टरनेट के द्वारा डेटा भेजने की इकाई) देने समेत टेलीकम्यूनिकेशन के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए पंजाब कैबिनेट ने बुधवार को अपनी ‘सिंगल विंडो नीति’ के अधीन नये दिशा -निर्देशों को मंज़ूर कर लिया जिससे मौजूदा मापदण्डों को बदला जा सके। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने टेलीकाम कंपनियों की सडक़ोंं और अन्य बुनियादी ढांचे के भी समयबद्ध नवीनीकरन की भी सख़्त हिदायत की।
कैबिनेट मीटिंग के बाद सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि नये दिशा -निर्देश 5 दिसंबर, 2013 और 11 दिसंबर, 2015 को नोटीफायी हुई टेलीकाम नीति की जगह लेंगे। इसके साथ ही संशोधित नीति को ‘राइट आफ वेअ रूल्ज, 2016’ के साथ जोड़ा गया है।
इतिहास के पन्नों में 18 नवंबर
इस फ़ैसले से रजिस्टर्ड टेलीकाम ऑपरेटरों /बुनियादी ढांचा मुहैया करने वालों को सरकारी /प्राईवेट इमारतों और ज़मीनों पर टेलीकाम टावरज़ /मस्तूल /खंबे आदि लगाने के लिए मंज़ूरियां मिलने में तेज़ी आएगी और ‘राइट आफ वेअ’ (आर.ओ.डब्ल्यू.) क्लीयरेंस से आप्टिकल फाइबर केबलज़ (तारें) आदि बिछाने के लिए मंज़ूरियां तेज़ गति से मिलेंगीं। मंज़ूरियों की प्रामाणिकता मियाद का समय बढऩे के साथ-साथ अब एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ए.ए.आई.) से एन.ओ.सी. (कोई ऐतराज़ नहीं सर्टिफिकेट) की ज़रूरत नहीं है। इस नयी नीति की मुख्य विशेषताओं में कंपनियों को जैनरेटर सैट लाने के लिए पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (पी.पी.सी.बी.) से एन.ओ.सी. की ज़रूरत भी नहीं रहेगी।
नये दिशा -निर्देशों के जि़क्रयोग्य पहलू गिनवाते हुये प्रवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से इस समय वसूले जा रहे अलग-अलग खर्चों की जगह मौजूदा फीस ढांचे को तर्कसंगत बनाया जायेगा, जिसके अंतर्गत एकमुश्त फीस, सालाना यूजऱ फीस, शेयरिंग फीस और हर पाँच साल के बाद में इन खर्चों में विस्तार करने की जगह अब प्रति टावर 10 हज़ार रुपए प्रशासनिक फीस के तौर पर एकमुश्त लिए जाएंगे। इस फ़ैसले से राज्य में ग्रामीण और शहरी इलाकों के बीच डिजिटल फर्क को पूरा करने में मदद मिलेगी और यह ई -गवर्नेंस, ई -कामर्स और सूचना प्रौद्यौगिकी को उत्साहित करने के लिए संगठित टेलीकम्यूनिकेशन बुनियादी ढांचा मुहैया करेगा।
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डीमड क्लीयरेंस (अगर कोई प्रस्ताव सरकार निर्धारित समय में मंज़ूर नहीं करती तो उसे मंज़ूर ही माना जायेगा) के प्रस्ताव वाली यह सिंगल विंडो नीति ‘पंजाब बिजऩस फस्ट पोर्टल’ के द्वारा आनलाइन मंज़ूरियां समयबद्ध मुहैया करेगी। सम्बन्धित जि़ले का डिप्टी कमिशनर सभी मंज़ूरियों के लिए एकमात्र संपर्क सूत्र होगा और वह ही टेलीकाम बुनियादी ढांचा कायम करने सम्बन्धी जनता की शिकायतों के हल के लिए जि़म्मेदार होगा।
प्रवानित दिशा -निर्देशों के अंतर्गत राज्य सरकार की मंज़ूरियों की मियाद पहले के 10 सालों से बढ़ा कर 20 साल कर दी गई है और इसको रेडियो फ्रीकुऐंसी आवंटन सम्बन्धी स्थायी सलाहकार कमेटी (एस.ए.सी.एफ.सी.) की मंज़ूरी के साथ ही समाप्त कर दिया गया है। नये दिशा -निर्देशों के अनुसार दूरसंचार सेवा प्रदान करने वाले /बुनियादी ढांचा सेवाएं देने वालों की तरफ से दूरसंचार विभाग, भारत सरकार से एस.ए.सी.एफ.सी. की मंज़ूरी पहले ही प्राप्त कर लेने की सूरत में भारतीय एयरपोर्ट अथारिटी से अलग एन.ओ.सी. की ज़रूरत नहीं होगी।
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प्रक्रियाओं को सरल बनाने के उद्देश्य से केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की दूरसंचार टावर स्थापित करने सम्बन्धी हिदायतों के अनुसार 1 एम.वी.ए. क्षमता तक के जैनरेटर सैट स्थापित करने के लिए पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (पी.पी.सी.बी.) से एन.ओ.सी. की शर्त भी ख़त्म कर दी गई है।
गौरतलब है कि पंजाब सरकार ने 5दिसंबर, 2013 को टेलीकाम लायसैंसीज़ और रजिस्टर्ड टेलीकाम बुनियादी ढांचा प्रोवाईडरों (टी.एस.पीज़. /आई. पीज) की तरफ से दूरसंचार बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए दूरसंचार बुनियादी ढांचे सम्बन्धी दिशा-निर्देश जारी किये थे, जिसमें 11 दिसंबर, 2015 को संशोधन किया गया था। भारत सरकार ने अलग-अलग राज्य सरकारों को अपनी दूरसंचार आर.ओ.डब्ल्यू. नीतियों को भारत सरकार के ‘राइट टू वेअ रूल 2016’ के साथ एकसमान करने की सलाह दी है। उद्योग और वाणिज्य विभाग ने दूरसंचार /आर.ओ.डब्ल्यू. नीतियों को ‘राइट टू वेअ रूल 2016’ के साथ एकसमान करने के उद्देश्य से 5 दिसंबर, 2013 और 11 दिसंबर, 2015 के दिशा -निर्देशों की जगह नये दूरसंचार दिशा -निर्देशों का प्रस्ताव रखा है। कुल 19 राज्यों जैसे हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडीशा ने अपनी नीतियों को ‘राइट आफ वेअ रूल्ज, 2016’ के साथ लयबद्ध कर लिया है।
-NAV GILL