अब सांस लेने में नहीं होगी परेशानी, चाहे प्रदूषण हो या हो कोई बीमारी

धर्मेन्द्र संधू

आजकल इंसान हर ओर से प्रदूषण से घिरा हुआ है। चाहे हवा का प्रदूषण हो, शोर या पानी का प्रदूषण हो, हर तरह से इंसान व अन्य प्राणियों के लिए नुकसानदायक है। खासकर हवा का प्रदूषण इंसान के लिए हानिकारक तो है ही साथ ही जानलेवा भी है। फैक्टरियों, वहीकलों, किसानों द्वारा जलाई जा रही पराली व विवाह शादियों और अन्य समागमों में चलाए जाने वाले पटाखों केे कारण आज हवा इतनी जहरीली हो चुकी है कि इंसान का सांस लेना मुश्किल हो चुका है।

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जहरीली हवा फेफड़ों के रोग, गले में दर्द व आंखों में जलन व सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं का कारण बनती है। प्रदूषण से बचने के लिए बाहर निकलने से पहले मास्क लगाकर निकलें। इसके अलावा कुछ ऐसे घरेलू उपाय हैं जो आपको इन समस्याओं से बचा सकते हैं।

ऐसे करें फेफड़ों की देखभाल 

भांप लेने से होता है फायदा

प्रदूषण से फेफड़ों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए आप भांप यानि  स्टीम ले सकते हैं। फेफड़ों की सफाई के लिए यह तरीका सबसे सही माना जाता है। भांप लेने से सांस नली की सफाई होती है और फेफड़ों में गई गंदगी व जमा रेशा-बलगम आसानी से बाहर आ जाता है। इसके अलावा सर्दी-जुकाम से राहत पाने के लिए गर्म पानी में थोड़ी सी विक्स डालकर अपने मुंह को गर्म पानी के बर्तन के ऊपर रखें और सांस लें। इस बात का ध्यान रखें कि किसी कपड़े से सिर को पूरी तरह से ढक लें।

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भीमसेनी कपूर यानि शुद्ध कपूर है उपयोगी

सांस संबंधी समस्याओं से राहत पाने के लिए भीमसेनी कपूर एक दवा की तरह काम करता है। भीमसेनी कपूर के उपयोग के बारे में आयुर्वेद के विशेषज्ञ डा. जोगिन्द्र टाइगर बताते हैं कि सांस संबंधी समस्याओं खासकर अस्थमा में भीमसेनी कपूर इन्हीलर का काम करता है। भीमसेनी कपूर यानि शुद्ध कपूर को पीसकर, उतनी ही मात्रा में उसमें शहद मिला लें। इस मिश्रण को कांच की एक शीशी में भरकर टाइट ढक्कन लगाकर रख लें। इस मिश्रण को दिन में पांच से सात बार सूंघने से फायदा होता है। इस बात का ध्यान जरूर रखें कि प्रयोग के बाद उस शीशी को फिर से तुरंत बंद कर दें।

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लहसुन, अदरक व तुलसी है गुणकारी

फेफड़ों को साफ करने व सांस की समस्याओं में आराम पाने के लिए लहसुन, अदरक, तुलसी व प्याज विशेष रूप से उपयोगी है। इन पदार्थों को पीसकर एक पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को किसी कपड़े में डालकर इसका रस निकाल लें। अब इस रस को गुनगुने पानी में डालकर एक चम्मच शहद मिलाकर पी लें। इससे सांस नली से संबंधित समस्याओं व अस्थमा के रोग में आराम मिलता है और साथ ही प्रदूषण के कारण होने वाली समस्याएं भी दूर होती हैं।

ग्रीन टी का सेवन

प्रदूषण के असर को कम करने के लिए ग्रीन टी एक बढ़िया विकल्प है। वैसे भी ग्रीन टी सेहत के लिए फायदेमंद मानी जाती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स फेफड़ों की सफाई करने के साथ ही प्रदूषण के कारण होने वाली जलन से भी छुटकारा दिलाते हैं। इसलिए जब भी आप कहीं बाहर से आएं तो एक कप गर्म ग्रीन टी जरूर पीएं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि दिन में दो से अधिक कप ग्रीन टी पीना सेहत के लिए नुकसानदायक माना जाता है।

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गर्म पानी का सेवन

गर्म या गुनगुना पानी प्रदूषण के कारण हो रही गले की खराश को दूर करता है। एक गिलास गर्म पानी सांस नली से धूल-मिट्टी के कणों को साफ करने में मदद करता है। गले को साफ करने के लिए आप गर्म पानी में नमक डालकर गरारे भी कर सकते हैं।

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अपने आहार में ये चीजें करें शामिल

प्रदूषण के बुरे प्रभाव से बचने के लिए अपने खान-पान का विशेष ध्यान रखें। अपने आहार में हरी पत्तेदार सब्जियां, ड्राई फ्रूट व हल्दी को शामिल करें। यह पदार्थ फेफड़ों को साफ करके सांस लेने में आ रही परेशानी को दूर करते हैं।

शहद भी फेफड़ों के लिए करता है दवा का काम

आसानी से मिलने वाला गुणों से भरपूर शहद फेफड़ों के लिए दवाई का काम करता है। प्रदूषण के कारण होने वाली समस्याओं व सांस संबंधी रोगों के लिए शहद का सेवन किया जा सकता है। खांसी होने पर या गले को साफ करने के लिए रोजाना एक चम्मच शहद खाने से फायदा होता है। अधिक लाभ के लिए शहद का उपयोग अदरक के रस के साथ भी कर सकते हैं।

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