लम्पी स्किन बीमारी के मुकाबले के लिए गोट पॉक्स दवा की 2.33 लाख डोज़ लाई गईं
अहमदाबाद से पहुँची 1.67 लाख डोज़ की दूसरी खेप समूह प्रभावित ज़िलों में बाँटी
कैबिनेट मंत्री ने वैटरनरी डॉक्टरों और पशु विशेषज्ञों के साथ ज़िला तरन तारन के गाँव जिन्दांवाला, नबीपुर और नौशहरा पन्नूआं का किया दौरा
वैटरनरी अफसरों और इंस्पेक्टरों की 673 टीमें टीकाकरण और जागरूकता मुहिम में जुटीं
चंडीगढ़: मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान द्वारा लम्पी स्किन प्रभावित क्षेत्रों के दौरे करने की हिदायतों के सम्मुख पशु पालन, मछली पालन और डेयरी विकास मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर ने आज वैटरनरी डॉक्टरों और पशु विशेषज्ञों समेत ज़िला तरन तारन के गाँव जिन्दांवाला, नबीपुर और नौशहरा पन्नूआं का दौरा किया। उन्होंने जहाँ पशु पालन विभाग द्वारा आरंभ किए गए राहत और जागरूकता कार्यों की जानकारी प्राप्त की, वहीं गाँवों में किसानों और पशु पालकों की मुश्किलें भी सुनी। कैबिनेट मंत्री पिछले सप्ताह से राज्य के विभिन्न प्रभावित गाँवों में जाकर स्थिति का जायज़ा ले रहे हैं।
इसी दौरान पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए कैबिनेट मंत्री ने बताया कि अब तक राज्य के 50 हज़ार से अधिक पशुओं को गोट पॉक्स दवा बिल्कुल मुफ़्त लगाई जा चुकी है। उन्होंने बताया कि गोट पॉक्स की 2 लाख 33 हज़ार से अधिक डोज़ दो पड़ावों में राज्य में पहुँच चुकी हैं। उन्होंने बताया कि अहमदाबाद से लाई गई 1,67,000 डोज़ की दूसरी खेप को समूह ज़िलों और प्रभावित क्षेत्रों में बाँट दिया गया है।
पशु पालन मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर ने बताया कि ज़िलों में राहत कार्यों में जुटे डिप्टी डायरेक्टरों को हिदायत की गई है कि दवा सम्बन्धी अन्य ज़रूरत के बारे में तुरंत मुख्य कार्यालय से संपर्क किया जाए, जिससे टीकाकरण में कोई रुकावट न आए। मंत्री ने बताया कि विभाग द्वारा वैटरनरी अफसरों और वैटरनरी इंस्पेक्टरों की 673 टीमें बनाई गई हैं, जो निरंतर गोट पॉक्स दवा के टीकाकरण और जागरूकता मुहिम में जुटी हुई हैं।
उन्होंने कहा कि अधिकारी और कर्मचारी लम्पी स्किन बीमारी से बचाव सम्बन्धी सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की पूरी तरह पालना कर रहे हैं, जिसके अनुसार प्रभावित पशुओं को सेहतमंद पशुओं की अपेक्षा अलग करना, प्रभावित पशुओं का यातायात रोकना और वायरस को काबू करने के लिए दवा का छिडक़ाव आदि अनिवार्य किया गया है, जिससे बीमारी के और फैलाव को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि इसके अलावा किसानों और पशु पालकों को जागरूकता कैंपों, प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया द्वारा जागरूक किया जा रहा है।