अदभुत ! कुतुब मीनार से भी ऊंची है हनुमान जी की यह मूर्ति

धर्मेन्द्र संधू

आपने भगवान श्री राम के मंदिरों के दर्शन किए होंगे और पूजा भी की होगी, लंकिन आज हम अपाको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां पर भगवान राम के साथ ही रावण के पूरे परिवार की पूजा भी होती है। इससे भी ज्यादा हैरानी की बात यह है कि इस मंदिर में प्रवेश के लिए एक शर्त भी लागू है। वह शर्त यह है कि आपको एक कागज़ पर 108 बार राम नाम लिखने के बाद ही मंदिर में प्रवेश की आज्ञा दी जाती है। यह मंदिर इंदौर शहर में स्थित है।

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राम का निराला धामनाम से प्रसिद्ध है यह मंदिर

मध्य प्रदेश के इंदौर में स्थित है ‘राम का निराला धाम’ नाम से प्रसिद्ध है यह मंदिर। इस मंदिर की विशेषता है कि इस मंदिर में भगवान श्री राम के साथ ही रामायण से संबंधित रावण व अन्य पात्रों की पूजा-अर्चना करने का विधान है। मंदिर की स्थापना 1990 में की गई थी। इसके बाद आज भी मंदिर में निर्माण कार्य जारी है। 11 हजार वर्ग फीट में बना यह अदभुत मंदिर इंदौर के वैभव नगर में स्थित है।

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मंदिर में प्रवेश के लिए है लागू है शर्त

मंदिर में प्रवेश के लिए एक शर्त या नियम है कि यहां आने वाले हर भक्त को लाल पेन व मंदिर कमेटी द्वारा दिए जाने वाले एक कागज़ पर 108 बार राम नाम लिखना पड़ता है। इस नियम को सख्ती से लागू किया जाता है। इसके बिना मंदिर में प्रवेश की पूरी तरह से मनाही है। मान्यता है कि 108 बार श्री राम लिखने से हर मनोकामना पूरी होती है। मंदिर में सभी स्थानों र लाल रंग से राम नाम लिखा गया है। साथ ही मंदिर की दीवारों पर भी राम नाम उभरा हुआ देखा जा सकता है।

रावण के पूरे परिवार की होती है पूजा

इस मंदिर की एक विशेषता और भी है जो इसे अन्य मंदिरों से अलग करती है। वह यह है कि इस मंदिर में रावण के पूरे परिवार की पूजा होती है। इस मंदिर में रावण, कुंभकरण, मेघनाथ, विभीषण, शूर्पणखा, मंदोदरी, व मंथरा आदि की मूर्तियां स्थापित हैं। इसके साथ ही मंदिर में भगवान राम, भगवान शिव, हनुमान जी व नौ ग्रहों के दर्शन भी होते हैं।

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कुतुब मीनार से भी ज्यादा ऊंचाई पर स्थापित है हनुमान जी मूर्ति

मंदिर में स्थापित हनुमान जी की मूर्ति सबको हैरान कर देती है। इसका कारण है कि यह मूर्ति दिल्ली में स्थित कुतुब मीनार से भी ऊंची है। कुतुब मीनार की ऊंचाई 240 फीट के करीब है। जबकि हनुमान जी की यह मूर्ति 200 फीट ऊंची मीनार पर स्थापित है और मूर्ति की ऊंचाई 51 फीट है। इतनी ऊंचाई पर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करने के पीछे कारण बताया जाता है कि मंदिर के निर्माण के बाद इस स्थान पर कई और इमारतों का निर्माण हुआ है। जिसके चलते भक्तों को मंदिर की इमारत पूरी तरह से दिखाई नहीं देती थी। इसी कारण हनुमान जी की मूर्ति को इतनी ऊंचाई पर स्थापित किया गया है कि आने वाले भक्त दूर से ही मंदिर को देख सकें। इस मूर्ति को तीन किलोमीटर से भी देखा जा सकता है।

मंदिर में नहीं चढ़ाया जाता प्रसाद

इस मंदिर से जुड़ी एक अन्य खास बात यह है कि इस मंदिर में किसी तरह का प्रसाद या चढ़ावा नहीं चढ़ाया जाता। हैरानी की बात तो यह है कि इस मंदिर के आसपास प्रसाद की कोई भी दुकान नहीं है। अगर किसी भक्त ने प्रसाद चढ़ाना भी होता है तो वह अपने घर से बनाकर लाता है।

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