फतेहगढ़ साहिब, 25 दिसंबर
शहीदी दिवस पर अपनी खास वजह से विश्व की सबसे विश्व की सबसे महंगी माने वाली जमीन पर फतेहगढ़ साहिब में देश-विदेश के श्रद्धालु नतमस्तक होने पहुंचे। यहां श्री अखंड पाठ साहिब से ए तीन दिवसीय शहीदी सभा की शुरूआत हुई। यह आयोजन छोटे साहिबजादों बाबा फतेह सिंह, बाबा जोरावर सिंह व माता गुजरी जी की शहादत को समर्पित है। 316वीं शहीदी सभा के शुरू होेने पर श्री अखंड पाठ साहिब में गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब के हेड ग्रंथी भाई हरपाल सिंह ने अरदास की।
इतिहास के पन्नों में 25 दिसंबर 2020
शहीदी सभा दौरान देश विदेश से संगत शहीदों को नमन करने पहुंच रही है। एसजीपीसी सदस्य जत्थेदार करनैल सिंह पंजोली ने कहा कि सात और नौ वर्ष की आयु में छोटे साहिबजादों ने सिख कौम की खातिर इतनी बड़ी कुर्बानी दी कि इसे दुनिया में सदैव याद रखा जाएगा। उनकी कुर्बानी बदौलत ही आज सिख कौम चढ़दी कला में है। हमें उनकी कुर्बानी से प्रेरणा लेनी चाहिए। शिअद (ब) के जिलाध्यक्ष जगदीप सिंह चीमा ने कहा कि सिख इतिहास कुर्बानियों से भरपूर है। साहिबजादों का जो जुनून और जज्बा कौम के प्रति था, हमें सभी को वैसा ही रखना चाहिए।
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गुरुद्वारा श्री ज्योति स्वरूप साहिब वाली जगह पर छोटे साहिबजादों व माता गुजरी जी के पार्थिव शरीरों का अंतिम संस्कार किया गया था। उस वक्त साहिबजादों को दीवारों में चिनवाकर शहीद किए जाने पर माता गुजरी ने भी प्राण त्याग दिए थे। इसके बाद साहिबजादों और माता गुजरी जी के पार्थिव शरीरों को अंतिम संस्कार के लिए मुगल कोई स्थान नहीं दे रहे थे।
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इसके बाद दीवान टोडरमल ने मुगलों से इनके संस्कार के लिए जगह मांगी थी तो उन्होंने सोने की मोहरें बिछाकर जमीन देने की शर्त रख दी थी। टोडरमल ने करीब 78 हजार सोेने की मोहरों को बिछाकर करीब चार वर्ग मीटर जगह खरीदकर वहां पर तीनों पार्थिव शरीरों का अंतिम संस्कार किया था। इसके बाद से सिखों के लिए यह सबसे महंगी जमीन मानी जानी लगी।
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वहीं लाखों की तादाद में आने वाली संगत की सुविधा के लिए एसजीपीसी और लंगर कमेटियों की तरफ से करीब पांच सौ लंगर लगाए गए हैं। संगत के ठहरने की व्यवस्था भी की गई है। पीने का साफ पानी के इंतजाम हैं। अस्थायी तौर पर शौचालयों का भी प्रबंध किया गया है। कोविड-19 के मद्देनजर मास्क व सेनिटाइजर देने के लिए पांच प्वाइंट्स भी बनाए गए हैं।
-Nav Gill/ Agency