हिंदू परंपराओं के पीछे क्या हैं वैज्ञानिक तर्क ??

 

प्रत्येक संस्कृति के अपने रीति रिवाज़, अपनी परम्पराएं, अपने विश्वास होते हैं। जो पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ते रहते हैं। भारतीय संस्कृति के भी अपने विश्वास, रीति रिवाज़, मान्यताएं एवं परम्पराएं हैं जो एक पीढ़ी, दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित करती है। यह परम्पराएं भारतीय संस्कृति की पहचान हैं। भारतीय संस्कृति की इन परम्पराओं को कुछ लोग ढकोसला बताते हुए मज़ाक बनाते हैं। लेकिन इन परम्पराओं के पीछे वैज्ञानिक तथ्य भी छिपे हैं जो ज्यादातर लोगों को शायद नहीं पता। आइए आज आपको बताते हैं ऐसी कुछ भारतीय परम्पराओं के पीछे के वैज्ञानिक व रोचक त्थ्यों के बारे में………

हाथ जोड़कर नमस्कार करना

जब हम किसी जानने वाले व्यक्ति से मिलते हैं तो दोनों हाथ जोड़कर नमस्ते कहते हैं। लेकिन दोनों हाथ जोड़कर नमस्ते करने के पीछे का वैज्ञानिक आधार यह है कि जब हम हाथ जोड़ते हैं तो उंगलियों के अग्र भाग जुड़ने से उन पर दबाव पड़ता है। इस क्रिया का प्रभाव हमारी आंखों , कानों व मस्तिष्क पर पड़ता है ताकि मिलने वाला व्यक्ति हमें लम्बे समय तक याद रह सके। नमस्ते करने के पीछे अन्य वैज्ञानिक तथ्य है कि हम किसी व्यक्ति से हाथ मिलाने के स्थान पर अगर नमस्ते करते हैं  तो उस व्यक्ति के शरीर के किटाणु हम तक नहीं पहुंचते जिससे बिमारियां फैलने का खतरा कम हो जाता है।

ज़मीन पर बैठकर भोजन करना

भारतीय संस्कृति में ज़मीन पर पालथी मारकर बैठ कर भोजन करने को सही माना जाता है। लेकिन इसके पीछे का वैज्ञानिक तथ्य है कि पालथी मार बैठने से दिमाग शांत रहता है माना जाता है कि अगर भोजन करते समय दिमाग शांत होगा तो पाचन क्रिया सही रहती है।

चरण स्पर्श करना

भारतीय संस्कृति की परम्परा के अनुसार जब हम अपने से बड़े किसी व्यक्ति से मिलते हैं तो उसके पैर छूते हैं। इस क्रिया में मस्तिष्क से निकलने वाली उर्जा हाथों से होते हुए सामने वाले के पैरों से होते हुए एक चक्कर पूर्ण करती है।

पीपल की पूजा

हिन्दू धर्म में पीपल के वृक्ष की पूजा का विषेष महत्व है। पीपल की पूजा के पीछे वैज्ञानिक तथ्य है कि पीपल का वृक्ष ही मात्र ऐसा वृक्ष है जो दिन रात आक्सीजन छोड़ता है। इस लिए सम्मान स्वरूप पीपल की पूजा की जाती है।

तुलसी की पूजा

माना जाता है कि तुलसी के पौधे की पूजा करने से घर में सुख स्मृद्धि आती है। विज्ञान के अनुसार तुलसी मनुष्य के शरीर के लिए रामबाण औषधि है। तुलसी के सेवन से मनुष्य के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। अगर घर में तुलसी का पौधा होगा तो उसका सेवन भी जरूर होगा। तुलसी कई प्रकार की बिमारियों को दूर करती है।

सूर्य नमस्कार

हिन्दू धर्म में सुबह के समय सूर्य को जल चढ़ा कर सूर्य नमस्कार करने की परम्परा देखने को मिलती है। इसके पीछे वैज्ञानिक तथ्य है कि जब सूर्य को जल चढ़ाया जाता है तो जल के बीच से होकर आने वाली किरणें आंखों की रोषनी के लिए लाभदायक होती हैं।

माथे पर तिलक लगाना

हिन्दू धर्म में माथे पर तिलक लगाया जाता है। विज्ञान के अनुसार दोनों आंखों के बीच माथे तक एक नस होती है तथा तिलक लगाने से इस स्थान की उर्जा बनी रहती है। जब माथे पर तिलक लगाया जाता है तो तब उंगली या अंगूठे से इस स्थान पर दबाव पड़ता है इससे चेहरे की मांसपेषियां सक्रिय होने से चेहरे की सभी कोषिकाओं तक रक्त का संचार अच्छी तरह से होता है।

व्रत या उपवास रखना

किसी खास दिन,त्योहार व पूजा – पाठ केे दौरान लोगों द्वारा व्रत रखा जाता है। आयुर्वेद के मुताबिक व्रत रखने से पाचन क्रिया में सुधार होता है। इस दौरान षरीर के खराब व हानिकारक तत्व बाहर निकल जाते हैं। एक षोध के मुताबिक व्रत रखने से हृदय रोग, कैंसर व मधुमेह जैसे रोग लगने की संभावना कम हो जाती है।

मूर्ति पूजा

हिन्दू धर्म में आराध्य देव की मूर्ति का पूजन श्रद्धा से किया जाता है। मूर्ति पूजा के पीछे वैज्ञानिक तर्क है कि पूजा के समय अगर सामने कोई साध्य नहीं होगा तो पूजा में ध्यान नहीं लगेगा। सामने मूर्ति होने से मन स्थिर रहता है तथा एकाग्रता से पूजा होती है।

हवन करना

हिन्दू धर्म में धार्मिक अनुष्ठान के समय हवन किया जाता है। हवन के दौरान जिस हवन सामग्री का प्रयोग किया जाता है उसमें कई प्रकार के प्राकृतिक तत्व पाए जाते हैं। जिसके धूंए से वातावरण षुद्ध होता है तथा किटाणु समाप्त होते हैं।

मंदिर की घंटी बजाना

मंदिर में प्रवेश के समय घंटा बजाया जाता है। माना जाता है कि इससे बुरी षक्तियां दूर भागती हैं। लेकिन विज्ञान के अनुसार घंटे की आवाज़ दिमाग में चल रही विपरीत तरंगों को दूर कर मन को पूजा के लिए एकाग्र करती है। और नकारात्मक सोच दूर होती है।

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