स्त्री रुप में शनि देव कहां श्री हनुमान के चरणों में हैं विराजमान ….

-हनुमान जी के भक्तों पर शनिदेव नहीं डालते टेढी नजर
सूर्य पुत्र शनि देव को न्याय के देवता, कर्म फल दाता के नाम से भी पूजा जाता है। आम तौर पर शनि देव का नाम सुनते ही इंसान के दिल में एक अंजाना सा डर समा जाता है। न्याय के देव की उपाधि मिलने के कारण शनि देव सभी देवी-देवता, गंधर्व, किन्नर को धर्म के मार्ग से विमुख होने पर सही रास्ते पर लाने का काम भी करते हैं। परंतु देवताओं में श्री हनुमान एक एेसे देव हैं, जिनके सामने शनि देव की नजर चेढी नहीं होती है। आईए आज आपको भारत में एक एेसे मंदिर की जानकारी देते हैं, जहां पर शनि देव श्री हनुमान जी के चरणों में स्त्री के रुप में विराजमान है। आखिर क्यों शनि देव को श्री हनुमान जी के चरणों में बैठना पड़ा।

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कहां स्थित है यह मंदिर
गुजरात के भावनगर के सारंगपुर में संकट मोचन श्री हनुमान जी का एक अति प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर की पहचान कष्टभंजन हनुमान जी के नाम से है। इस मंदिर में शनि देव, श्री हनुमान जी के चरणों में स्त्री रूप में विराजमान है। महिलाओं प्रति श्री हनुमान जी के आदर व सम्मान की भावना बारे सभी जानते हैं।

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आखिर क्यों शनि देव को स्त्री का रुप धारण करना पड़ा…
हमारे पौराणिक शास्त्रों में श्री हनुमान जी और शनि देव से जुड़े कई प्रसंगों का उल्लेख मिलता है। बचपन में शनिदेव औऱ हनुमान जी मित्र थे। कई बार हनुमान जी ने शनिदेव को सही रास्ते पर लाने का भी काम किया। एक बार शनिदेव का प्रकोप काफी बढ़ गया था। शनि के कोप से कारम आम जनता भयंकर कष्टों का सामना कर रही थी। तब लोगों ने श्री हनुमानजी से शनिदेव के कोप को शांत करने की प्रार्थना की। यह माना जाता है कि बजरंग बली अपने भक्तों के कष्टों को दूर करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। श्रद्धालुओं की प्रार्थना सुनकर हनुमान जी, शनिदेव पर क्रोधित हो गए। इस बाबत जब शनिदेव को पता चला कि हनुमानजी उन पर क्रोधित हैं। और वह युद्ध करने के लिए उनकी तरफ आ रहे हैं, तो वह बहुत घबरा गए। तब शनिदेव ने हनुमानजी से बचने के लिए स्त्री रूप धारण कर लिया। शनिदेव जानते थे कि हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी हैं और वह स्त्रियों का हमेशा सम्मान करते हैं। हनुमानजी के सामने आने पर शनिदेव ने स्त्री रूप धर लिया। हनुमानजी के चरणों में गिरकर क्षमा याचना करते हुए हनुमान जी के भक्तों पर से अपने प्रकोप को हटा लिया। यही कारण है कि आज भी शनिवार वाले दिन भक्त शनिदेव के प्रकोप से बचाने के लिए हनुमान जी के मंदिर में माथा निवाने जानते हैं।

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किले के समान है सारंगपुर का यह मंदिर
सारंगपुर में कष्टभंजन हनुमानजी के मंदिर का भवन बेहद विशाल है। पहली नजर में यह मंदिर एक किले के समान ही दिखाई देता है। मंदिर की सुंदरता और भव्यता दर्शनीय है। इस मंदिर में कष्टभंजन हनुमानजी सोने के सिंहासन पर विराजमान हैं। यहां पर हनुमान जी को महाराजाधिराज के नाम से भी पुकारा जाता है। हनुमान जी की प्राण-प्रतिष्ठित प्रतिमा के आसपास वानर सेना भी दिखाई देती है। जबकि चऱणों में शनिदेव एक स्त्री के रुप में बैठे हैं। इस मंदिर में भघवान के दर्शन करने पर श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह भी मान्यता है कि यदि किसी इंसान की कुंडली में शनि दोष हो, तो वह भी कष्टभंजन के दर्शनमात्र से ही दूर हो जाता है।

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प्रदीप शाही

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