महाबली हनुमान जी का प्रमुख अस्त्र ही है पहलवानों का सम्मान चिह्न…

-भीम, बलराम, दुर्योधन, जरासंध थे गदा युद्ध के विशेषज्ञ

-मौजूदा समय में गामा पहलवान थे गदा के माहिर

गदा को प्राचीन भारतीय अस्त्र माना गया है। गदा की बात होते ही मन में महाबली श्री राम भक्त हनुमान जी का नाम जेहन में कौंध जाता है। क्योंकि गदा महाबली हनुमान जी का प्रमुख अस्त्र माना गया है। गदा को हिंदू धर्म में त्रिदेवों में ले एक भगवान श्री विष्णू जी की ओर से भी धारण किया गया है। वहीं दूसरी तरफ महाभारत में भीम, बलराम, दुर्योधन, जरासंध गदा युद्ध के माहिर थे। वहीं मौजूदा समय में नामवर गामा पहलवान को गदा के विशेषज्ञ माना गया। इसी कारण पहलवानी में विजेता रहने वालों को हमेशा बतौर पुरस्कार गदा ही उपहार में देने की परंपरा कायम की गई।

गदा है महाबली हनुमान जी का प्रमुख अस्त्र

गदा को भारतीय संस्कृति में एक पारम्परिक अभ्यास उपकरण माना गया है। गदा एक प्राचीन भारतीय पौराणिक अस्त्र  है। इसमें एक लंबा दंड होता है।  वहीं इस दंड के एक सिरे पर भारी गोल लट्टू जैसा शीर्ष होता है। दंड को पकड़कर शीर्ष की ओर से शत्रु पर प्रहार किया जाता था। इसका प्रयोग केवल बल से होता है। जो बेहद कठिन माना गया है। गदा भगवान शिव के अवतार महाबली हनुमान जी का प्रमुख अस्त्र है। महाबली होने के कारण ही हनुमान जी को पहलवानों में देवता स्वरुप पूजा जाता है।

 

गदा चलाने में कौन-कौन पारंगत रहे

हिंदू पुरातन साहित्य में गदा अस्त्र के बारे विस्तार से जानकारी वर्णित है। हिंदू धर्म में त्रिदेव में से एक भगवान श्री विष्णु जी एक हाथ में गदा धारण करते हैं। वहीं दूसरी तरफ इस धरती पर महाभारत में भीम, बलराम, दुर्योधन और जरासंध को गदा अस्त्र चलाने में पारंगत माना गया। भगवान श्री कृष्ण जी के बड़े भाई बलराम से अधिक गदा चलाने में किसी को माहिर नहीं माना गया। भीम, दुर्योधन को बलराम ने गदा अस्त्र चलाने में पारंगत किया था।

गदा को कितनी तरह के किया जाता है संचालित

यह पूर्ण तौर से सत्य है कि हर अस्त्र को चलाने में महारत कठिन अभ्यास के चलते ही हासिल की जाती है। हमारे पौराणिक शास्त्रों में गदा अस्त्र को बीस तरह से संचालित करने की जानकारी मिलती है। अग्नि पुराण में गदा युद्ध के आहत, गौमूत्र, प्रभृत, कमलासन, उर्ध्वगत्र, नमित, वामदक्षिण, आवृत्त, परावृत्त, पदोद्धृत, अवप्लत, हंसमार्ग और विभाग नामक प्रकारों का उल्लेख वर्णित हैं। वहीं महाभारत में भी कई प्रकारों के गदायुद्ध और कौशल का विस्तृत वर्णन है। प्राचीन युद्ध में गदा को बारूद में लपेट कर उंचे स्थान से या फिर सामने से शत्रु पर फेंका जाता था। जिसे आज प्रक्षेपास्त्र के तौर पर जाना जा रहा है। शास्त्रों में गदा को विशेषकर गौमूत्र द्वारा प्रक्षेपित किए जाने की जानकारी है।

पहलवान व्यायाम करने में करते हैं गदा (मुगदर) का प्रयोग

हनुमान जी को सभी पहलवान अपने गुरु के रुप में पूजते हैं। आधुनिक समय में गामा पहलवान को गदा के प्रयोग का माहिर माना गया है। मौजूदा समय में गदा का उपयोग व्यायाम के तौर पर किया जा रहा है। पहलवान अभ्यास के लिये गदा को पीछे की ओर विभिन्न तरीकों से घुमाया जाता है। यह विशेषकर पकड़ मजबूत करने तथा कन्धों की ताकत बढ़ाने में कारगर है। अभ्यासकर्ता की क्षमता तथा स्तर के अनुसार विभिन्न भार तथा उंचाई की गदा प्रयोग की जाती हैं। कुश्ती प्रतियोगिताओं में विजेताओं को गदा देकर सम्मानित करने की परंपरा लंबे समय से जारी है। उत्तर भारत के पहलवानी अखाड़ों में गदा का विशेष प्रचार हो रहा है। पहलवानों में मुगदर (लकड़ी का बना गदा का एक रूप) को कसरत के लिये प्रयोग किया जाता है। पहलवान एक हाथ अथवा दोनों में मुगदर (गदा) को लेकर आगे, पीछे, ऊपर तथा नीचे घुमाते हैं। इससे हाथ, बाजू  और छाती की नसें मजबूत होती हैं।

कराटे में चीसी उपकरण गदा का ही विशेष रुप

कराटे में कंडीशनिंग के लिये प्रयुक्त होने वाला उपकरण चीसी तथा इसकी कसरत की शैली गदा तथा मुगदर से ही प्रेरित है। पश्चिमी देशों में प्रचलित वार क्लब में होने वाली लड़ाईयों में प्रयुक्त होने वाले उपकरण भी गदा से ही प्रेरित हैं।

प्रदीप शाही

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