भोले शंकर नलास में या फिर कैलाश में , शिवरात्रि मेला 16 फरवरी से

राजपुरा : राजपुरा जी टी रोड से 6 किलोमीटर दूर गाँव नलास में लगभग 551 वर्ष प्रचीन ऐतिहासिक श्री शनालेश्वर महादेव मंदिर में शिवरात्रि पर लाखो की संख्या में श्रदालु मंदिर में माथा टेका आते है और जगह जगह पर विशाल भण्डारे का आयोजन किया जाता है श्रदालुओ की आस्था है कि शिव कैलाश में या फिर नलास में ।

मंदिर के महंत श्री लाल गिरी जी महाराज की देख रेख में यहां पर सारा कार्य होता है । इस दौरान लाखो रुपये की लागत से भगवान भोले बाबा की 65 फुट ऊची मूर्ति है करोड़ों रुपये की लागत से 108 फुट ऊँचा गुम्बद बना हुआ है और 110 फुट ऊँचा तिरशूल लगा हुआ है इस के इलावा मंदिर में 2 विशाल हाल भण्डारे के लिए बने हुए है।

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इस के इलावा महाराज की देख रेख में 21 वर्षों से श्री अमरनाथ यात्रा के श्रदालुओ के लिए जम्मू कश्मीर के बटोत में विशाल भण्डारे का आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि यहां किसी श्रदालु की ओर से शिवलिंग स्थापित नही किया गया ।यहाँ स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हुए है। लगभग 551वर्ष पूर्व यहां पर जंगल था वा कुछ गुजर परिवार के घर थे उन के पास गऊएं थी उन में से एक कपिला गाय भी थी ।

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Alt text : लाल गिरिजी महाराज भगवान शिव का शृंगार करते हुए 

जब वह गाय जंगल मे चरने जाती तो जब वापस आने से पूर्व झाड़ी के पीछे जाने पर दूध अपने आप बहना शुरू हो जाता था । और थन खाली होने पर गाय घर आ जाती थी । एक दिन कपिला गाय के मालिक गुज्जर ने क्रोध में आकर उस झाड़ी की खुदाई शुरू करते समय स्वयंभू शिवलिंग पर कुल्हाड़ी से प्रहार कर दिया जिससे रक्त की धार बह निकली जिसे यहां मौजूद कई लोगों ने देखा। कहा जाता है कि उस सयम बड के वृक्ष के नीचे स्वामी कर्म गिरी जी तपस्या कर रहे थे।

 

Alt text : भगवान शिव को दूध से स्नान करवाते हुए लाल गिरिजी महाराज

दूसरी ओर महाराजा धिराज पटियाला नरेश को रात्रि स्वपन में भगवान शिव ने दर्शन दिए वा कहा कि तेरी रियासत में मेरा अनादर हो रहा है । महाराजा ने पूछा कहा अनादर हो रहा है तो उतर मिला जहां तेरा हाथी रुकवाए वही मेरा स्थान है।स्वपन के अनुसार महाराजा ने अपने हाथी को बिना महावत खुला छोड़ दिया हाथी ने गांव नलास में उस झाड़ी पर आ कर रुक कर चारो ओर परिक्रमा की।

Alt text : लाल गिरिजी महाराज, नलास (राजपुरा)

महराजा ने गांव नलास के लोगों से इस विषय बारे जानकारी मांगी ।और कपिला गाय की दूध की धाराएं बहती को अपनी आँखों से देखा तो फिर राजा ने शिव से माफी मांगी।और मन्दिर बनाने के लिए काफी अलाट कर दी।यहां पर शिवरात्रि पर लाखों की संख्या में श्रदालुओ माथा टेकने आते है। आस्था यह शिव कैलाश में या फिर नलास में। फोटो भोले बाबा की 65 फुट ऊची मुर्ति ,शिवलिंग वा लाल गिरिजी महाराज के बी राजपुरा

 

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