भोलेनाथ, माता पार्वती के विवाह का पावन पल है महाशिवरात्रि

-आज ही शिव लिंग के रुप में अवतरित हुए देवों के देव महादेव
देवों के देव महादेव की स्तुति में शिवरात्रि का पर्व हर माह आता है। परंतु महाशिवरात्रि का पावन पर्व अन्य शिवरात्रि की तुलना में विशेष होता है। क्या आप जानते हैं कि आखिर महाशिवरात्रि को ही क्यों अधिक महत्व दिया जाता है। आईए, आपको महाशिवरात्रि के महत्व व इस पावन पर्व पर किस समय पूजन करना हितकारी होगा। इस बारे आपको अवगत करवाते हैं।

इसे भी देखें….इन पांच चमत्कारिक शिवलिगों का हर साल बढ़ रहा आकार


हर माह आने वाली शिवरात्रि व महाशिवरात्रि में अंतर
हर माह आने वाले शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि का पर्व सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन शिवरात्रि मनाई जाती है। परंतु फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी के दिन आने वाले शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है।

इसे भी देखें….अद्भुत ! खंडित होने पर मक्खन से जुड़़ जाता है यहां शिवलिंग

महाशिवरात्रि का विशेष महत्व
भोले बाबा के भक्तों के लिए महाशिवरात्रि का दिन बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस दिन देवों के देव महादेव भगवान शंकर का व्रत रख खास तौर से पूजा-अर्चना की जाती है। महिलाओं और पुरुषों के लिए महाशिवरात्रि का व्रत एक समान से लाभदायक होता है। माना जाता है कि महाशिवरात्रि का व्रत रखने से अविवाहित लड़कियों की शादी शीघ्र होती है। वहीं विवाहित महिलाएं अपने पति के सुखी जीवन के लिए महाशिवरात्रि का पावन व्रत रखती हैं।

इसे भी देखें….भगवान शिव चौरासी मन्दिर में करते हैं विश्राम

महाशिवरात्रि के दिन हुआ था भोले नाथ, माता पार्वती का विवाह
कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था। नेपाल में तो महाशिवरात्रि का पर्व बेहद धूमधाम व श्रद्धा से मनाया जाता है। वहां पर यह पर्व तीन दिन पहले ही शुरु हो जाता है। वहां पर मंदिरों को मंडप की तरह सजाया जाता है। माता पार्वती को दुल्हन और भोले नाथ को दूल्हा बनाकर घर-घर घुमाने की परंपरा है। अंत में महाशिवरात्रि के दिन उनका विवाह करवाया जाता है।

इसे भी देखें….जानिए किस मुसलमान के वंशजों ने ढूंडी थी भगवान की पावन गुफा

महाशिवरात्रि पर शिवलिंग के रुप में प्रकट हुए थे भोलेनाथ
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का शिवलिंग के रूप में प्रकट होना माना जाता है। इसी दिन पहली बार शिवलिंग की भगवान विष्णु और भगवान श्री ब्रह्मा जी ने पूजा की थी। यह भी माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही शंकर भगवान का रुद्र रूप का प्रकट हुआ था।

इसे भी देखें…भगवान के सिर के बाल और ठोडी के घाव में छिपे हैं अनसुलझे रहस्य

महाशिवरात्रि पर ही भोलेनाथ बने नीलकंठ
भगवान शिव द्वारा समुद्र मंथन के दौरान हलाहल पीकर पूरे संसार को बचाने की घटना के उपलक्ष्य में महाशिवरात्रि मनाई जाती है। मंथन के दौरान भगवान शिव ने कालकूट नामक विष को अपने कंठ में धारण किया था। इसी कारण उनका कंठ नीला हो गया। तब से ही भगवान शिव का नाम नीलकंठ पड़ा।

इसे भी देखें…यहां दिन में तीन बार बदलता शिवलिंग का रंग

महाशिवरात्रि पर पूजन की सामग्री और विधि
शिवपुराण के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ की पूजा करते समय इन चीज़ों को पूजन में जरूर शामिल करें। शिव लिंग के अभिषेक के लिए दूध, गंगा जल, शहद की कुछ बूंद को मिलाएं। अभिषेक के बाद शिवलिंग पर सिंदूर लगा कर धूप और दीपक जलाएं। इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र और पान के पत्ते अर्पित करें। अंत में फल चढ़ा कर पूजा संपन्न होने तक ओंम नम: शिवाय् का जाप जरुर करें। भारत में महाकाल व पातालेश्वर मंदिर में भगवान शिव को सबसे अधिक प्रिय भस्म आरती करने की भी परंपरा है।

इसे भी देखें…महाभारत कालीन इस मंदिर में समुद्र की लहरें करती हैं…शिवलिंग का जलाभिषेक

महाशिवरात्रि का व्रत
ब्रह्म मुहूर्त में नहाकर भगवान शिव का पूजन कर दिन में केवल फलाहार, चाय, पानी का सेवन करें। शाम के समय भगवान शिव की पूजा कर रात के समय सेंधा नमक से बनें भोजन को ग्रहण करें।

इसे भी देखें…यहां होते हैं भगवान शिव के त्रिशूल के अंश के साक्षात दर्शन….

महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त चार मार्च शुरू- सांय 04:28
शुभ मुहूर्त समाप्त पांच मांर्च – सुबह 07:07

इसे भी देखें….जानिए कहां पर स्थापित है.. एक लाख छिद्रों (छेदों) वाला अद्भुत शिवलिंग…

प्रदीप शाही

LEAVE A REPLY