फेल होना जीवन का अंत नहीं बल्कि ….

रिजल्ट आने के बाद कुछ स्टूडेंट्स तो पास हो जाते है और कुछ फेल| फेल होने वाले विद्यार्थियों को निराशा दर्द तिरस्कार सभी से गुजरना होता है ऐसे में कुछ बच्चे तो संभल जाते है पर कुछ बिलकुल टूट भी जाते है | जब ये स्थिति हो तो माता पिता को आगे आकर बच्चे को डिप्रेशन से बाहर निकलने में मदद करनी चाहिए | बच्चे को प्यार से समझाना चाहिए ना कि उसको ताना देते हुए या उसको नीचे दिखाते हुए | फेल होने का सही मतलब खुद को सुधारने का एक और मौका मिलना होता है | फेल होते ही बहुत बच्चे तनाव में चले जाते हैं और आत्महत्या जैसा बड़ा और गलत कदम भी उठा लेते है

फेल होते ही कई बच्चों पर परिजनों का दवाब इतना होता है कि वो खाना पीना छोड़ देते है, बात बात पर झगड़ा करते है, बहस भी करते है क्योंकि उन में कही ना कही नकारात्मकता पनपने लगती है | ऐसे में माँ बाप को अपने बच्चों की मनोदशा समझते हुए उन्हें इस स्तिथी से बाहर निकालना चाहिए |

बच्चे के फेल होने पर उसको सँभालने में माता पिता की अहम् भूमिका होती है | अगर बच्चा माता पिता का कहना नहीं मान रहा है तो मनोवैज्ञानिक से संपर्क कर समस्या की जड़ तक जाना चाहिए | बच्चे को उसके इंट्रेस्ट(रूचि )के हिसाब से सब्जेक्ट्स (विषय ) दिलवाने चाहिए | कई बार तो माँ बाप भी साथ नहीं देते है तो बच्चे से पहले उनकी कॉउन्सिलिंग होनी चाहिए | फिर बच्चे की |

माता पिता को चहिये कि वो बच्चे से बात कर उसकी समस्या का समाधान करें नाकि उसको उसके हाल पर छोड़ दें वरना बच्चा और ज्यादा नकारात्मक हो जाएगा | बच्चों और माता पिता की ये सोच बिलकुल गलत है कि अब तो कैरियर ख़तम हो गया | जीवन में 70-80 साल की उम्र तक हर एक व्यक्ति को सभी तरह की परीक्षाएं देनी पड़ती हैं इसलिए सिर्फ एक परीक्षा का असर अपने ऊपर इतना नहीं होने देना चााहिए, कि यह स्तिथि जीवन के लिए घातक बन जाए| माता पिता अपने बच्चों का आई क्यू लेवल टेस्ट करवा कर उनकी प्रगति में अहम् भूमिका निभा सकते है |

बच्चों को चाहिए कि फेल होने पर वो इसे एक चुनौती के रूप में लें और सही दिशा में आगे बढ़े| किसी के दबाव में आकर कोई गलत कदम ना उठाएं | बच्चे निराश ना हो , आलस से बचें, नकारात्मक्ता से बचें, बातचीत करें बहस नहीं , बड़े अपने विचार बच्चों पर थोपें नहीं , ज्यादा परेशानी हो तो किसी काउंसलर से बात करें, देश विदेश में कई ऐसी हस्तियां हुई हैं, जो हाई स्कूल शिक्षा में फेल हुई हैं, लेकिन उन्होंने दुनिया में अपना नाम किया है | दुनिया का इतिहास और भूगोल बदल दिया है| महात्मा गांधी कम नम्बर आने और अलबर्ट आइंस्टीन फेल होने के दर्द से गुजरे थे | महात्मा गांधी ने हाईस्कूल की परीक्षा सिर्फ 40 प्रतिशत अंकों से पास की थी | इसी तरह आइंस्टीन भी स्कूली शिक्षा में कई विषयों में फेल हो गए थे लेकिन इन दोनों ने ही दुनिया में अपना नाम किया |

किसी भी एग्जाम में फेल होना केरियर का अंत नहीं होता बल्कि आने वाले एक बेहतरीन कल की शुरआत भी हो सकती है | फेल होने को एक स्पीड ब्रेकर की तरह लें ताकि आपकी जिंदगी को फिर से रफ़्तार पकड़ने का मौका मिले |

-वंदना

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