जानिए एशिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिर के बारे में 

देव भूमि हिमाचल प्रदेश को आध्यात्म और श्रद्धा का केन्द्र माना जाता है। देश-विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक व भक्त हिमाचल प्रदेश के प्राचीन मंदिरों के दर्शन करने और प्राकृतिक सौन्दर्य का आनन्द मानने आते हैं। देव भूमि में स्थित प्राचीन मंदिर भक्तों की आस्था का केन्द्र हैं। इन मंदिरों में सारा साल भक्तों का तांता लगा रहता है। हिमाचल में भगवान शिव को समर्पित कई मंदिर हैं। जिनका अपना इतिहास है व अपनी मान्यताएं हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही शिव मंदिर के बारे में जानकारी देंगे जो हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत वादियों में स्थित है। इस मंदिर को एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है।

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जटोली शिव मंदिर

जटोली शिव मंदिर हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सोलन में स्थित है। दक्षिण-द्रविड़ शैली में निर्मित इस मंदिर को भारत ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है। इस भव्य मंदिर की स्थापना श्री श्री 1008 स्वामी कृष्णानंद परमहंस महाराज द्वारा की गई थी। सन् 1950 में स्वामी कृष्णानंद परमहंस इस स्थान पर आए थे और 1974 में मंदिर को बनाने का कार्य शुरू हुआ था। इसके बाद 1983 में स्वामी कृष्णानंद परमहंस जी ब्रह्मलीन हो गए। इस भव्य प्राचीन शिव मंदिर का निर्माण 39 सालों में पूरा किया गया था। इस मंदिर से जुड़ी विशेष बात यह है कि इसका निर्माण भक्तों द्वारा दिए गए दान से किया गया है। 

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एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर

भक्त 100 सीढ़ियां चढ़कर इस मंदिर तक पहुंचते हैं। स्वामी कृष्णानंद के ब्रह्मलीन होने के बाद भी इस मंदिर का निर्माण कार्य जारी रहा। उनके बाद मंदिर प्रबंधक कमेटी ने मंदिर के निर्माण की जिम्मेदारी निभाई। मंदिर के शिखर पर 11 फुट लंबा स्वर्ण कलश चढ़ा हुआ है। वैसे इस मंदिर की ऊंचाई 111 फुट के करीब है लेकिन इस स्वर्ण कलश के कारण मंदिर की कुल ऊंचाई 122 फुट के करीब है। मंदिर में स्फटिक मणि शिवलिंग की स्थापना की गई है। साथ ही भगवान शिव व माता पार्वती की मूर्तियों के दर्शन भी होते हैं। भगवान शिव की मूर्ति से 200 मीटर की दूरी पर शिवलिंग स्थापित है। मंदिर में विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं।

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मंदिर से जुड़ी कथाएं

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव इस स्थान पर विश्राम के लिए रुके थे। इसके बाद इस स्थान पर मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया गया था। इस मंदिर के अंदर एक गुफा भी बनी हुई है।

कहा जाता है कि इस स्थान पर रहने वाले लोगों को पानी की कमी के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ता था। लोगों को इस समस्या से राहत दिलाने के लिए स्वामी कृष्णानंद परमहंस जी ने भगवान शिव की अराधना करते हुए घोर तप किया। जिसके बाद उन्होंने त्रिशुल के प्रहार से जमीन में से पानी निकाला। और कहते हैं कि इसके बाद आजतक इस स्थान पर पानी की कमी नहीं हुई। मान्यता है कि यह चमत्कारी पानी है जिसके उपयोग से हर रोग ठीक होता है।

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कैसे पहुंचें

हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत पहाड़ियों में स्थित यह प्राचीन शिव मंदिर सोलन से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर है। सोलन से राजगढ़ मार्ग से होते हुए, इस मंदिर तक बस या टैक्सी के द्वारा पहुंचा जा सकता है। पंजाब व हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ से सोलन की दूरी लगभग 66 किलोमीटर है। चंडीगढ़ से बस या कार से सोलन पहुंच सकते हैं और कालका से छोटी रेल गाड़ी भी शिमला तक चलती है। इस पावन स्थल के दर्शन करने के लिए पूरा साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर इस प्राचीन शिव मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पहुंचते हैं।

धर्मेन्द्र संधू 

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