कुंभ नगरी प्रयागराज के कण-कण में है देवताओं का वास

-प्राचीन मंदिरों में हैं प्राण-प्रतिष्ठित हैं देवताओं की प्रतिमाएं
-अर्धकुंभ स्नान दौरान, इन स्थलों के जरुर करें दर्शन
कुंभ नगरी प्रयागराज ही एक एेसा पावन स्थल है, जहां पर गंगा, यमुना और सरस्वती का पावन संगम होता है। प्रयागराज की धरती अमृत कलश से छलकी अमृत की गिरी बूंदों के अलावा भगवान श्री ब्रह्मा जी की ओर से किए गए प्रथम यज्ञ के कारण पावन हो चुकी है। कुंभ नगरी के कण-कण में देवताओं का वास है। प्रयागराज की धरती पर स्थित प्राचीन मंदिरों में देवताओं की प्रतिमाएं प्राण प्रतिष्ठित हैं। अगले साल माह जनवरी में अर्ध कुंभ का शुभारंभ होने जा रहा है। कुंभ में स्नान करने के दौरान प्रयागराज में स्थित प्राचीन मंदिरों के दर्शन जरुर करने चाहिए। आईए आपको बताएं कि यहां कौन से एेसे पावन मंदिर हैं, जिनके दर्शन करने से प्रभु का आशीर्वाद हासिल होता है।

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भगवान विष्णू जी, भगवान शंकर का वास
शंकर विमान मंडपम मंदिर बेहद प्राचीन मंदिर हैं। दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित यह मंदिर चार स्तंभों पर बनाया गया है। इस मंदिर में कुमारिल भट्ट, जगतगुरु आदि शंकराचार्य के अलावा कामाक्षी देवी का मंदिर जिसमें चारों तरफ 51 शक्ति की मूर्तियां प्राण-प्रतिष्ठित हैं। भगवान तिरूपति बाला जी चारों तरफ 108 विष्णु भगवान और योगशास्त्र सहस्त्रयोग लिंग (108 शिवलिंग) स्थापित है।

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श्री वेणी माधव मंदिर
पद्मपुराण अनुसार सृष्टिकर्ता भगवान श्री ब्रह्मा जी प्रयाग राज की धरती पर जब प्रथम यज्ञ कर रहे थे, तब उन्होंने यज्ञ की सुरक्षा हेतु भगवान विष्णु से प्रार्थना कर उनके बारह स्वरूपों की स्थापना करवाई थी। प्रयागराज के बारह माधव मंदिरों में सर्वप्रसिद्ध श्री वेणी माधव जी का मंदिर है। मंदिर में शालिग्राम शिला निर्मित श्याम रंग की माधव प्रतिमा गर्भगृह में स्थापित है। श्री वेणी माधव को ही प्रयागराज का प्रधान देवता कहा जाता है। श्री वेणी माधव के दर्शन के बिना प्रयागराज की यात्रा को पूर्ण नहीं माना जाता है। यह भी कहा जाता है क चैतन्य महाप्रभु जी स्वयं अपने प्रयागराज प्रवास के समय यहां पर भजन-कीर्तन किया करते थे।

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संकटमोचन हनुमान मंदिर
गंगा जी के किनारे संकटमोचन हनुमान जी का प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में संत समर्थ गुरू रामदास जी ने भगवान हनुमान जी की मूर्ति को प्राण-प्रतिष्ठित किया था। इस मंदिर में शिव-पार्वती, गणेश, भैरव, दुर्गा, काली व नवग्रह की मूर्तियां भी मंदिर परिसर में स्थापित हैं। साथ ही श्री राम जानकी मंदिर व हरित माधव मंदिर भी हैं।


मनकामेश्वर मंदिर
प्रयागराज के पश्चिम यमुना तट पर मिंटो पार्क के पास मनकामेश्वर मंदिर स्थित है। यहां काले रंग के पत्थर का भगवान शिव का एक लिंग और गणेश एवं नंदी की मूर्तियां हैं। यहां हनुमान जी की भी एक बड़ी मूर्ति है। मंदिर के निकट एक प्राचीन पीपल का पेड़ है। इस मंदिर में हनुमान जी के दर्शन मात्र से मन को आनंद मिलता है।


वनवास दौरान भगवान राम, सीता माता आए थे भारद्वाज आश्रम
मुनि भारद्वाज से संबंधित यह एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। मुनि भारद्वाज के समय यह एक प्रसिद्ध शिक्षा केंद्र था। माना जाता है कि भगवान राम अपने वनवास पर चित्रकूट जाते समय सीता जी, लक्ष्मण जी के साथ इस स्थान पर आये थे। वर्तमान में वहां भारद्वाजेश्वर महादेव मुनि भारद्वाज, तीर्थराज प्रयाग और देवी काली के मंदिर हैं।

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दशाश्वमेघ मंदिर में स्थापित हैं शेषनाग की प्रतिमा

कहा जाता है कि भगवान बह्मा जी ने यहां दस अश्वमेघ यज्ञ किया था। दशाश्वमेघेश्वर मंदिर में महादेव-शिवलिंग, नंदी, शेषनाग की मूर्तियां व एक बड़ा त्रिशूल मंदिर में स्थापित है। चैतन्य महाप्रभु की स्मृति में उनके पदचिन्हों की बिम्ब धारित करती हुई एक संगमरमर की पट्टी यहां लगी हुई है। इस मंदिर के निकट में ही देवी अन्नपूर्णा भगवान हनुमान व भगवान गणेश के मंदिर हैं।


तक्षकेश्वर नाथ मंदिर
तक्षकेश्वर भगवान शंकर का मंदिर है। जो प्रयागराज की दक्षिण दिशा में यमुना तट पर स्थित है। इससे थोड़ी दूर पर यमुना में तक्षकेश्वर कुंड है। किदवंती है कि तक्षक नाग ने भगवान कृष्ण द्वारा मथुरा से भगाये जाने के पश्चात् यहां शरण ली थी।

 

प्रदीप शाही

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