किस पौधे में त्रिदेव व अन्य सभी देवताओं का है वास

-क्यों की जाती है पीपल के वृक्ष की पूजा?
-क्या है पीपल की पूजा का वैज्ञानिक महत्व ?
पेड़ पौधे हमारे जीवन में विशेष महत्व रखते हैं। वनस्पति व पेड़ पौधों के बिना मानव जीवन की कल्पना करना भी असंभव सा लगता है। वनस्पति हमें जीवन प्रदान करती है, हमारे जीवन की जरूरतें पूर्ण करती है। हिन्दू धर्म में भी कुछ पौधों को पवित्र मानते हुए इनकी पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म में ‘पीपल’ के वृक्ष का विशेष महत्व है। अन्य वृक्षों की बजाए ‘पीपल’ के वृक्ष को सबसे अधिक पूजनीय मानते हुए इसकी पूजा की जाती है। पीपल के वृक्ष की पूजा का धार्मिक महत्व भी है और वैज्ञानिक महत्व भी। पीपल का वृक्ष ही एक मात्र ऐसा वृक्ष है जो 24 घेंटे ही कार्बन डाईआक्साइड ग्रहण करता है और आक्सीजन छोड़ता है।

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संस्कृत में पीपल को ‘अश्वत्थ’ के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि पीपल के वृक्ष के एक-एक पत्ते में देवताओं का वास रहता है। प्राचीन समय में पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर ऋषि-मुनि तप किया करते थे। पीपल के वृक्ष को ‘अक्ष्य वृक्ष’ कहा जाता है क्योंकि इसके पत्ते कभी समाप्त नहीं होते।

पीपल के वृक्ष का धार्मिक महत्व
श्रीमदभगवद गीता में भगवान श्री कृष्ण ने पीपल के वृक्ष को स्वयं का स्वरूप कहा है। स्कंदपुराण में पीपल के वृक्ष का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए कहा गया है कि पीपल के वृक्ष के मूल में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण और पत्तों में सभी देवताओं का वास होता है तथा पीपल के वृक्ष को श्रद्धा से प्रणाम करने व पूजन करने से सभी देवता प्रसन्न हो जाते हैं। वेदों में भी पीपल के वृक्ष के बारे में बताया गया है। ऋग्वेद में पीपल के वृक्ष को देव रूप बताया गया है, यजुर्वेद में कहा गया है कि पीपल का वृक्ष प्रत्येक यज्ञ की जरूरत है, अथर्ववेद में पीपल के वृक्ष का ज़िक्र देवताओं के निवास स्थान के रूप में किया गया है। इसके अतिरिक्त पीपल का उल्लेख बौद्ध इतिहास, रामायण, महाभारत व गीता इत्यादि धार्मिक ग्रन्थों में भी मिलता है। मान्यता के अनुसार पीपल के पेड़ पर देवताओं का वास होने के कारण ही इसे काटने से लोग डरते हैं।

पीपल के वृक्ष का चिकित्सा के क्षेत्र में महत्व
पीपल के वृक्ष का चिकित्सा के क्षेत्र में विशेष महत्व है। चाणक्य काल में पीपल के वृक्ष के पत्तों का इस्तेमाल सांप के काटे का इलाज करने के लिए किया जाता था। प्राचीन समय में पीने वाले पानी को शुद्ध करने व गंदगी दूर करने के लिए पीपल के पत्तों को पानी में डाला जाता था। पीपल के वृक्ष के पत्ते व पत्तों को पित्त नाशक माना जाता है, पेट की समस्याओं कब्ज़ व गैस में इनका प्रयोग लाभदायक होता है। पीपल की दातुन करने से दांत मज़बूत होते हैं। त्वचा रोग, जुकाम, सांस की तकलीफ इत्यादि रोगों को दूर करने में पीपल के पेड़ की छाल व पत्ते गुणकारी सिद्ध होते हैं ।

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पीपल के वृक्ष का वैज्ञानिक महत्व
ज्यादातर पेड़ पौधे दिन में कार्बनडाइआक्साड लेते हैं और आक्सीजन छोड़ते हैं। साथ ही रात के समय सभी वृक्ष आक्सीजन ग्रहण करते हैं और कार्बनडाइआक्साइड छोड़ते हैं जबकि पीपल का पेड़ एक मात्र ऐसा पेड़ है जो हर समय केवल आक्सीजन ही देता है। इसी कारण पीपल के वृक्ष के पास जाने से शरीर रोग मुक्त होता व स्वस्थ रहता है।

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पीपल के वृक्ष का पूजन
हिन्दू धर्म में पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है।माना जाता है कि पीपल के पेड़ को जल चढ़ाने, पूजन करने व पेड़ की परिक्रमा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पीपल की पूजा करने से पितृ दोष व अन्य ग्रहों से पैदा होने वाले दोषों तथा कष्टों इत्यादि का निवारण होता है। वहीं पीपल के वृक्ष की पूजा करने व जल चढ़ाने से शत्रुओं का नाश होता है तथा सुख संपत्ति, शांति के साथ-साथ संतान का सुख प्राप्त होता है। माना जाता है कि जो व्यक्ति पीपल का वृक्ष लगाता है और उसका पालन पोषण करता है, नियमित रूप से जल डालता है तो जैसे-जैसे पीपल का पेड़ बढ़ता फूलता है वैसे ही उस व्यक्ति का परिवार भी खुशहाल होता है तथा फलता-फूलता है।

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