किस देवता ने किया था सुदर्शन चक्र का निर्माण

-इच्छा शक्ति से करता है सुदर्शन चक्र प्रहार

प्रदीप शाही

भगवान श्री विष्णु हरि के अलावा उनके द्वापर युग में अवतरित हुए अवतार भगवान श्री कृष्ण जी के हाथों में सुशोभित सुदर्शन चक्र के बारे कहा जाता है कि यह केवल इकलौता अस्त्र है, जो चलाने के बाद अपने लक्ष्य को वेध कर वापिस आ जाता है। या यूं कहें कि यह चक्र कभी भी नष्ट नहीं होता है। क्या आप जानते हैं कि इस अस्त्र का निर्माण किस देवता ने किया था। सुदर्शन चक्र के बारे कहा जाता है कि यह अस्त्र इच्छा शक्ति से प्रहार करता है। तमिल में सुदर्शन चक्र को चक्रथ अझवार भी कहा जाता है| वहीं थाईलैंड की सत्ता का नाम चक्री डायनेस्टी रखा गया है। सुदर्शन चक्र से संबंधित कई अन्य रोचक तथ्य हैं। जिनके बारे आज आपको विस्तार से जानकारी प्रदान करते हैं।

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सुदर्शन चक्र की उत्पत्ति कैसे हुई

सुदर्शन चक्र की उत्पत्ति के बारे अलग-अलग उल्लेख मिलते हैं। कहा जाता है कि भगवान श्री ब्रह्मा, भगवान श्री विष्णु,  भगवान श्री महेश और भगवान बृहस्पति की उर्जाओं से दर्शन चक्र की उत्पत्ति हुई। यह भी कहा जाता है कि सुदर्शन चक्र को भगवान श्री विष्णु हरि ने भगवान शिव की कठोर तपस्या कर हासिल किया था। यह भी माना जाता है कि द्वापर युग में महाभारत काल में अग्निदेव ने भगवान श्री विष्णु जी के अस्त्र सुदर्शन चक्र को भगवान श्री कृष्ण भेंट किया था।

भगवान श्री विश्वकर्मा ने किया था सुदर्शन चक्र का निर्माण

सुदर्शन चक्र के निर्माण बारे कहा जाता है कि इसका निर्माण भगवान श्री विश्वकर्मा ने किया था। भगवान श्री विश्वकर्मा ने अपनी पुत्री संजना का विवाह सूर्य देव के साथ किया। परन्तु संजना, सूर्य देव की रोशनी और तेज को सहन न करते हुए। उनके समीप न जा सकी। भगवान श्री विश्वकर्मा को जब इस बाबत सारी बात पता चली। तो उन्होंने सूर्य की चमक को थोड़ा कम कर दिया। सूर्य की कम की उर्जा से त्रिशूल, पुष्पक विमान तथा सुदर्शन चक्र का निर्माण किया।

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माता सती के शरीर को सुदर्शन चक्र से ही किया था विभाजित

माता सती के हवन कुंड में आत्मदाह करने के बाद भगवान शंकर इसका वियोग सह नहीं पाए थे। वह माता सती के शरीर को इधर-उधर घूम रहे थे। तब भगवान विष्णु ने माता सती के सदर्शन चक्र से माता के शरीर के 51 हिस्से कर दिए थे। माता के शऱीर के जहां-जहां अंग कट कर गिरे। वह आज शक्ति पीठे के नाम से पहचाने जाते हैं।

दो शब्दों के मेल से बना है सुदर्शन चक्र

सुदर्शन चक्र में सुदर्शन शब्द दो शब्दों के मेल सु यानि शुभ और दर्शन से बना है। जबकि चक्र शब्द चरुहु और करूहु शब्दों के मेल से बना है। इन शब्दों का अर्थ है गति है।

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सुदर्शन चक्र की शलकाओं पर लगा होता था विष

सुदर्शन चक्र के बारे कहा जाता है कि यह चांदी की शलाकाओं से निर्मित था। इसकी उपरी और निचली सतहों पर लौह शूल लगे हुए थे। इन शलकाओं में अत्यंत विषैले किस्म के विष का उपयोग किया जाता था।

इच्छा शक्ति से चलता था सुदर्शन चक्र

सुदर्शन चक्र को फैंक कर नहीं मारा जा सकता है। इसका प्रहार शत्रु पर केवल इच्छा शक्ति से ही किया जा सकता है। सुदर्शन चक्र किसी भी वस्तु को समाप्त कर वापिस आ जाता है।

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सुदर्शन चक्र की मदद से उपर उठाया था गोवर्धन पर्वत

यह भी कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण जी ने देवराज इंद्र का अहंकार तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत को सुदर्शन चक्र की सहायता से उपर उठाया था।

सुदर्शन चक्र से किया था युद्ध में भ्रमित

महाभारत के युद्ध के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने जयद्रथ का वध करने के लिए सुदर्शन चक्र का इस्तेमाल सूर्यास्त करने के लिए किया था। तब अर्जुन ने जयद्रथ का वध किया था।

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