कहनी और कथनी के प्रेक्षक थे पी.एन. हकसर – कैप्टन अमरिन्दर सिंह

-मुख्यमंत्री द्वारा जयराम रमेश की नई किताब लोकार्पण
चंडीगढ़ : पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंंह ने आज कांग्रेसी नेता जयराम रमेश की किताब ‘इंटरवाईंड लाइव्ज:पी.एन. हकसर और इंदिरा गांधी’को लोकार्पण करते हुए इस किताब को नौजवान पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया। 
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि जयराम रमेश ने स्पष्ट रूप में हकसर की बहु-मुखी शख्सियत को पेश किया है। उन्होंने आर्मी कमांडर जनरल हरबक्श सिंह अधीन सेवा निभाने वाले दिनों में श्री हकसर के साथ अपनी निजी सांझ का भी जि़क्र किया।
मुख्यमंत्री को इस किताब ने उनकी हकसर के साथ लंदन में हुई पहली मुलाकात को याद करवा दिया जब नटवर सिंह वहां हाई कमिशनर थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने बंगलादेश की लड़ाई की बात सुनने में रूचि दिखाई जिसको बनाने में हकसर मुख्य तौर पर शामिल थे। उनकी बातचीत ने उनको अपने फ़ौज के दिनों को याद करवा दिया।
श्री हकसर के साथ अपने घनिष्ठ रिश्तों को याद करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि वह कहनी और कथनी के प्रेक्षक थे जिनके साथ उनको अपने जवानी के दिनों में विचार -विमर्श और ज्ञान के आपसी आदान -प्रदान करने का मौका मिला। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस किताब के द्वारा समकालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के महान सलाहकार के योगदान और उनकी बेमिसाल सामथ्र्य को सामने लाया गया है।
आज दोपहर यहाँ सैंटर फॉर रिर्सच इन रुरल एंड इंडस्ट्रियल डिवैल्पमैंट (करिड्ड) में विशेष सभा को संबोधन करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने इस किताब के लिए की व्यापक खोज की प्रशंसा की। मुख्यमंत्री ने जयराम रमेश की तरफ से अपनी गहरी समझ और लेख शैली से इंदिरा गांधी और हकसर के दरमियान नज़दीकी रिश्ते को जीवित कर देने के लिए उनकी प्रशंसा की।
इसके उपरांत जयराम रमेश ने कहा कि यह किताब मूल स्रोतों पर अधारित है जिनमें हाथ -लिखित पत्र और चि_ियोँ के अलावा लगभग 40 हज़ार से 50 हज़ार पन्नों वाली 1500 फाइलें शामिल हैं। श्री रमेश ने कहा कि किसी की जीवनी लिखना सबसे ख़तरनाक कार्य है परन्तु यदि उचित खोज ख़ासकर मूल स्रोतों की छान -बीन करके यह कार्य पूरा  किया जाये तो इससे भरोसे योग्यता, उद्देश्य और विषय की सार्थकता सिद्ध होती है। हालाँकि केवल यादों और जुबानी बातचीत को ही आधार बनाकर जीवनी लिखे जाने को निरूत्साह किया जाना चाहिए।
श्री रमेश ने कहा कि साल 1930 के समय के दौरान इंदिरा और हकसर के दरमियान रिश्ते पेशेवर और निजी थे जब दोनों फिरोज के साथ लंदन में इकठ्ठा रहते थे जहाँ हकसर तीनों के लिए खाना बनाया करता था।
श्री रमेश ने श्री हकसर को उच्च कोटी के अफसरशाह और राजनैतिक दूरदर्शी हस्ती बताया जो हमेशा सत्य बोलने में विश्वास रखते थे जो नौजवान पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने उम्मीद ज़ाहिर की कि यह किताब हकसर की शानदार विरासत बारे जानने में सहायक होगी। उन्होंने कहा कि बैंकों के राष्ट्रीयकरण जैसे रास्ते से एकतरफ़ हट के सुधारों के अलावा नाजुक मिल्ट्री ऑपरेशन ख़ास कर 1971 के भारत -पाक जंग और बंगलादेश का निर्माण करने के लिए समकालीन प्रधानमंत्री को रास्ता बताने जैसे कार्य उनकी शख्सियत का हिस्सा थे।
उन्होंने कहा कि श्री हकसर पर प्रधानमंत्री का पूरा भरोसा था और उन्होंने श्री हकसर को पुरी शक्तियां दीं हुई थीं। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी के बिना तो पी.एन. हकसर सामने भी न होते और उनका अस्तित्व भी इंदिरा गांधी के कारण था।
श्री रमेश ने कहा कि हकसर एक अनूठे मनुष्य थे जिन्होंने एक अनूठी महिला के साथ काम किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यहाँ तक कि जब श्री हकसर ने प्रधानमंत्री दफ़्तर छोड़ा तो भी वह राजनीति में बुलंद आवाज़ रहे। श्रीमती इंदिरा गांधी के पुत्र, प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने एक मौके पर श्री हकसर को विशेष दूत के तौर पर बीजिंग भेजा था।
अपनी किताब के हवाले का जि़क्र करते हुए उन्होंने वर्णन किया कि कैसे श्री हकसर जो आम तौर पर पूर्व फौजियों के राजनीति में जाने को धीमी रौशनी में जाने की तरह समझते थे परन्तु उन्होंने कैप्टन अमरिन्दर सिंह के पूर्व बोस जनरल हरबक्श सिंह को पूरा सम्मान दिया।
मुख्यमंत्री की लिखने की शैली की प्रशंसा करते हुए जयराम रमेश ने कहा कि उन्होंने कैप्टन अमरिन्दर सिंह को छोडक़र कई मुख्यमंत्री देखे हैं जिनके लिए किताबें लिखीं गई परन्तु कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने निजी तौर पर खोज और सख़्त मेहनत करने के बाद फ़ौज के इतिहास पर कई किताबें लिखीं।
अपने संबोधन में वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि इस किताब में इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के साथ श्री हकसर के निजी और पेशेवर रिश्तों का विशालता से जि़क्र किया गया है। उन्होंने कहा कि राजनीति में हरेक को यह किताब अवश्य पढऩी चाहिए। उन्होंने उम्मीद ज़ाहिर की कि नौजवान अफसरशाही श्री हकसर के तजुर्बेकार अफसरशाह और योग्य प्रशासक के तौर पर प्रेरणा ले सकती है।
इस मौके पर करिड्ड के डायरैक्टर रछपाल मल्होत्रा ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया जबकि प्रसिद्ध शिक्षा शास्त्रीय आर.पी. भांबा ने धन्यवाद किया।
इस मौके पर खेल मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढी, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल, पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बांसल और अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व विन्नी महाजन भी उपस्थित थे।

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