इस मंदिर में देवी न देवता बल्कि होती है , मोटरसाइकिल की पूजा

धर्मेन्द्र संधू

पूरे देश में कुछ ऐसे अनूठे मंदिर हैं जो आज तक विज्ञान के लिए एक पहेली बने हुए हैं। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां किसी देवी-देवता की पूजा नहीं होती बल्कि एक मोटरसाइकिल की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं इस अद्भुत मंदिर के बारे में।

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ओम बन्ना मंदिर

अपने आप में अनूठा व अद्भुत यह मंदिर राजस्थान के पाली जिले में स्थित है। जहां किसी देवी-देवता या पशु-पक्षी की बजाय एक मोटरसाइकिल की पूजा तो की ही जाती है साथ ही इस मोटरसाइकिल के सवार यानि मालिक की पूजा भी होती है। इस मंदिर के प्रति लोगों की अथाह श्रद्धा है। इस चमत्कारी मंदिर को बुलेट बाबा मंदिर भी कहा जाता है।

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कौन है ओम बन्ना और क्यों की जाती है पूजा ?

ओम बन्ना राजस्थान के गांव चोटिला के ठाकुर जोग सिंह के पुत्र थे। ओम बन्ना का नाम ओम सिंह राठौड़ था और राजपूत घरानों में युवकों को बन्ना कहा जाता है। इसीलिए ओम सिंह राठौड़ को ओम बन्ना कहा जाता है। साथ ही जिस मोटरसाइकिल की पूजा होती है, वह मोटरसाइकिल ओम बन्ना का था। सन् 1988 में एक सड़क हादसे में ओम बन्ना की मृत्यु हो गई थी। उसके बाद से उनकी व उनकी मोटरसाइकिल की पूजा की जाती है। फूल-मालाओं से सजी इस मोटरसाइकिल को एक शीशे के बक्से में रखा गया है।

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मंदिर से जुड़ी कथा

कथा के अनुसार ओम बन्ना जब अपने ससुराल से अपने गांव चोटिला वापस आ रहे थे तो उनका मोटरसाइकिल एक पेड़ से टकरा गई। इस दुर्घटना में ओम बन्ना की मौके पर ही मृत्यु हो गई। बाद में उनकी मोटरसाइकिल को नजदीकी रोहट नामक थाने में ले जाया गया, लेकिन सुबह पुलिसकर्मी हैरान रह गए क्योंकि मोटरसाइकिल थाने में नहीं थी। काफी ढूंढने के बाद मोटरसाइकिल उसी स्थान पर मिली, जहां हादसा हुआ था। पुलिस वाले फिर से मोटरसाइकिल को थाने में ले आए लेकिन अगले दिन मोटरसाइकिल फिर गायब थी। ऐसा कई बार हुआ। पुलिसकर्मियों ने थाने में मोटरसाइकिल को एक चेन से बांध दिया लेकिन फिर भी मोटरसाइकिल चमत्कारी ढंग से घटना वाले स्थान पर पहुंच गई। गांव वासियों व पुलिस कर्मियों ने मोटरसाइकिल को घटना वाले स्थान पर ही खड़ा कर दिया और धीरे-धीरे इस चमत्कारी मोटरसाइकिल की पूजा-अर्चना होने लगी। इस स्थान पर एक चबूतरा भी बना हुआ है। कहते हैं कि इसी स्थान पर ओम बन्ना ने अंतिम सांस ली थी। इस चबूतरे पर निरंतर एक ज्योति जलती रहती है।

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इस स्थान पर नहीं होता कोई सड़क हादसा

यह मंदिर जोधपुर-अहमदाबाद मुख्य मार्ग पर स्थित है। जोधपुर से पाली को जाते समय बिल्कुल सड़क के किनारे पर यह मंदिर है। इस मंदिर की पाली से दूरी 20 किलोमीटर के करीब है। लोगों की मान्यता व विश्वास है कि जिस दिन से इस स्थान पर मोटरसाइकिल को रखा गया है, उस दिन से यहां कोई सड़क हादसा नहीं हुआ हालांकि इस स्थान को सड़क दुर्घटनाओं के लिए जाना जाता था। विश्वास है कि ओम बन्ना आज भी लोगों की सड़क हादसों से रक्षा करते हैं। यह भी कहा जाता है कि इस रास्ते से गुज़रने वाला हर व्यक्ति इस मंदिर में माथा जरूर टेकता है। कुछ लोगों का मानना है कि ऐसा न करने से हादसा होने की संभावना बनी रहती है। इसके अलावा थाने में आने वाला नया थानेदार ओम बन्ना के मंदिर में नतमस्तक जरूर होता है जिसे स्थानीय भाषा में धोक लगाना कहा जाता है। आज दूर-दूर से लोग इस मंदिर में माथा टेकने के लिए आते हैं और मन्नतें मांगते हैं। लोगों का विश्वास है यहां माथा टेकने से हर मनोकामना पूरी होती है।

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