इस पावन स्थान पर जन्मे थे राम भक्त श्री हनुमान

-यहां के लोग अपने आप को मानते हैं हनुमान के वंशज
लंकापति रावण की ओर से छल से माता सीता के हरण के बाद भगवान श्री राम के साथ हुए युद्ध में राम भक्त श्री हनुमान का अमूल्य योगदान रहा है। इस बाबत हम सभी जानते हैं, परंतु क्या आप जानते हैं कि श्री हनुमान का जन्म कहां हुआ था। आईए आज इस रहस्य पर गिरे पर्दे को आज हम उठाते हैं। कहां पर है श्री राम भक्त हनुमान की जन्म स्थली। इस इलाके में रहने वाले लोग आज भी अपने आप को भक्त श्री हनुमान जी का वंशज मानते हैं। इतना ही नहीं इस इलाके में पंपापुर सरोवर भी हैं, जहां पर भगवान श्री राम व लक्ष्मण जी ने स्नान किया था। साथ ही यहां शबरी की कुटिया भी हैं, जहां पर भगवान श्री राम ने उनके जूठे बेर खाए थे। इसके अलावा इस इलाके में सैंकड़ों शिवलिंग व सरोवर भी मौजूद हैं। जहां पर माता अंजनी स्नान कर शिवलिंग का जलाभिषेक किया करती थी।

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कहां पर स्थित है हनुमान जी की जन्मस्थली
हनुमान जी का जन्म झारखंड राज्य के गुमला जिले से करीब 20 किमी दूर स्थिल आंजनधाम में हुआ माना जाता है। इस बाबत इस इलाके में कई दंतकथाएं भी प्रचलित हैं। रामायण काल में गुमला जिले के पालकोट प्रखंड में बालि व सुग्रीव का राज था। आंजन गांव (धाम) है, जो जंगल व पहाड़ों से घिरा है। यह जगह प्राचीन धार्मिक स्थल है। यहीं पहाड़ की चोटी पर स्थित विशाल गुफा में माता अंजनी के गर्भ से भगवान हनुमान ने जन्म लिया था। यहां पर आज भी अंजनी माता की मूर्ति विद्यमान है। अंजनी माता जिस गुफा में रहा करती थी। कुछ समय पहले ही इस खुदाई कर इस गुफा को खोला गया है। माना जाता है कि इस गुफा की लंबाई 1500 फीट से भी ज्यादा है। इस गुफा से ही माता अंजनी खटवा नदी पर जाकर स्नान करती थी। खटवा नदी के पास आज भी एक अंधेरी सुरंग है, जो आंजन गुफा तक जाती है। इस सुरंग में खूंखार जानवर व विषैले जीव जंतुओं के कारण अब लोग इस में नहीं जाते हैं।

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शिवलिंग व तालाबों का डेरा
आंजन धाम के इस क्षेत्र में भगवान शिव की पूजा करने की प्राचीन परंपरा है।। माना जाता है कि इस इलाके में 360 तालाब व इतने ही शिवलिंग थे। अंजनी माता हर रोज एक तालाब में स्नान कर शिवलिंग की पूजा करती थी। वक्त की मार के कारण इन शिवलिंग व तालावों की संख्या कम हो गई है। परंतु आज भी इस क्षेत्र में प्राचीन काल के 100 से अधिक शिवलिंग व बड़ी संख्या में तालाब मौजूद हैं।

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नकटी देवी के समक्ष दी जाती है बकरे की बलि
आंजन में नकटी देवी नामक देवी स्थान है। यह भी प्राचीन मंदिर है। यहां कुछ धार्मिक आयोजनों पर सफेद व काले बकरों की बलि दी जाती है। अंजनी माता के मंदिर के नीचे एक सर्प गुफा है, जो अति प्राचीन है। अंजनी माता के दर्शन के बाद लोग इस सर्प गुफा का दर्शन करते हैं। गुफा में मिट्टी का एक टीला है। जहां पर सांप भी देखा जाता है। लोगों का मानना है कि यह नागदेव हैं।

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धमधमिया पहाड़ था माता अंजनी का कोषागार
आंजन गुफा के नजदीक ही धमधमिया पहाड़ है। इस पहाड़ का आकार बैल की तरह है। सबसे खास बात यह है कि इस पहाड़ पर चलने से एक स्थान पर धमधम की आवाज भी आती है। कहा जाता है कि माता अंजनी का यह कोषागार था। जहां पर माता अपनी बहुमूल्य वस्तुएं रखती थीं।

पंपापुर स्थित गुफा में छिपा था सुग्रीव
किश्किंधा मौजूदा समय का उमड़ा गांव से कुछ दूरी पर एक गुफा हैष जब बालि ने सुग्रीव को भागा दिया, तो सुग्रीप उसी गुफा में आकर छिप गया था। आज भी यह गुफा मौजूद है। इसे सुग्रीव गुफा कहा जाता है। गुफा के भीतर प्राचीन काल का बना जलकुंड भी है। इस गुफा से दूसरे छोर पर एक सुरंग निकलती है।

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पंपापुर रुके था श्री राम व लक्ष्मण
सुग्रीव गुफा के पास ही पंपापुर नामक स्थान है। यहां एक सरोवर भी है। लंकपति रावण द्वारा माता सीता का हरण करने के बाद राम व लक्ष्मण इसी स्थान पर आकर रुके थे। यहीं पर श्री राम व लक्ष्मण की मुलाकात सुग्रीव से हुई थी। यहां पर सुग्रीव ने बालि को ललकारा और श्री राम ने छिपकर बालि को मार दिया था। तब लक्ष्मण द्वारा सुग्रीव का अभिषेक करवाया था।

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पंपापुर में ही है शबरी की कुटिया
पंपापुर पहाड़ में शबरी आश्रम भी है। सीता की खोज करते हुए श्री राम व लक्ष्मण शबरी की कुटिया में आए थे। तब शबरी ने बेर खिलाकर उनका आदर सत्कार किया था।

बैगा, पहान व पुजार अपने आप को मानते हैं हनुमान के वंशज
गुमला जिले के लोग आज भी अपने आपको श्री हनुमान का वंशज मानते हैं। आंजन में रामनवमी पर्व पर गांव के बैगा, पहान व पुजार जाति के लोग सबसे पहले पूजा करते हैं। गांव में एक अखाड़ा भी बना है। जहां पर तीन दिनों तक शस्त्र चालन प्रतियोगिता वाला एक एतिहासिक मेला लगता है। यहां पर मेला एक सदी से आयोजित किया जा रहा है। इस मेले में आसपास के गांवों के लोग हिस्सा लेते हैं।

प्रदीप शाही

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