इस अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित है विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग

-यहां पर राजा भोज के समय का है अधूरा जैन मंदिर
त्रिदेवों भगवान श्री ब्रह्मा जी, भगवान श्री हरि विष्णु जी व भगवान शिव में से सबसे अधिक देवों के देव महादेव भगवान शिव के मंदिर विश्व भर में प्राण-प्रतिष्ठित है। भारत में एक एेसा भी स्थान है जहां पर भगवान शिव के सबसे बड़ा शिवलिंग प्राण-प्रतिष्ठित है। सबसे खास बात यह भी है कि सदियों से इस मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हुआ है। एक पहाडी पर स्थित इस मंदिर में राजा भोज के समय का एक जैन मंदिर भी बना हुआ है। आईए, आपको बताएं कि आखिर यह मंदिर कब, कहां और किसने बनाया। यह मंदिर अपनी कई विशेषताओं को अपने आप में समेटे हुए है।

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कहां पर स्थित है यह अधूरा मंदिर
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 32 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर देवों के देव महादेव का मंदिर स्थित है। सदियों पहले पहाड़ी पर बनाया गया यह विशाल मंदिर आज भी अधूरा पड़ा है। इस शिव मंदिर को भोजपुर शिव मंदिर या भोजेश्वर मंदिर के नाम से पुकारा जाता है। इस शिव मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज ने 1010–1055 ईस्वी में किया था।

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एक पत्थर से निर्मित है विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग
भोजेश्वर शिव मंदिर की पहली विशेषता यह है कि इस मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठित शिवलिंग एक ही पत्थर से निर्मित किया गया है। जो विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग है। सम्पूर्ण शिवलिंग कि लंबाई 18 फीट है। जबकि चौड़ाई 7.5 फीट है। अकेले लिंग की लंबाई 12 फीट है।

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आखिर कैसे भारी पत्थरों को पहाड़ी पर पहुंचाया
मंदिर के शीर्ष पर 70 टन से अधिक भार वाले विशाल पत्थरे स्थापित है। इन पत्थरों को मंदिर के शीर्ष पर पहुंचाने के लिए विशेष तकनीक का प्रयोग किया। मंदिर के पिछले भाग में ढलान बनाई हुई है। जिससे पत्त्थरों को मंदिर तक पहुंचाया गया। सदियों पहले ढलान से ही भारी भरकम पत्थरों को उपर लाने का काम किया।

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गुंबदाकार छत गुंबद निर्माण को करती है प्रमाणित
इस मंदिर का निर्माण भारत में इस्लाम धर्म के आने से पहले किया गया था। मंदिर की गुंबदाकार छत भारत में गुंबद निर्माण को प्रमाणित करती है। इस मंदिर का दरवाजा भी किसी अन्य हिंदू इमारत के दरवाजों में सबसे बड़ा है। भोजेश्वर मंदिर के अधूरे रहने के बारे कहा जाता है कि यह मंदिर एक ही रात में बनाना था। परंतु छत का काम पूरा होने के पहले ही सुबह हो गई। इस लिए काम अधूरा रह गया। मंदिर में 40 फीट उंचाई वाले चार स्तंभ हैं। मंदिर की अधूरी बनी छत इन्हीं चार स्तंभों पर टिकी हुई है। मंदिर के प्रांगण में कई भागों का निर्माण शुरु तो किया था, परंतु अधूरा ही पड़ा है।

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पार्वती गुफा में अनेक प्राचीन मूर्तियां
भोजपुर शिव मंदिर के बिलकुल सामने वाले हिस्से में पश्चिमी दिशा में एक गुफा है। जिसे पार्वती गुफा के नाम से पुकारा जाता है। इस गुफा में अनेक प्राचीन मूर्तियां बनी हुई है।

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नहीं पूरा हुआ जैन मंदिर का निर्माण 
शिव मंदिर की तरह ही यहां पर एक अधूरा जैन मंदिर भी है। इस मंदिर में भगवन शांतिनाथ की छह मीटर उंची मूर्ति लगी हुई है। भगवान पार्शवनाथ व सुपारासनाथ की दो अन्य मुर्तियां हैं। इस मंदिर में लगे एक शिलालेख पर राजा भोज का नाम भी लिखा है। यह एक मात्र शिलालेख है, जो कि राजा भोज से सम्बंधित हैं। इसी मंदिर परिसर में आचार्य मांटूंगा का समाधि स्थल है। जिन्होंने भक्तमारा स्रोत लिखा था।

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प्रदीप शाही

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