अद्भुत ! विश्व भर में प्रसिद्ध है भारत का यह जुड़वों का गांव…

– जुड़वों के गांव में रहते है 350 से अधिक जुड़वां
भारत अपनी प्राचीन सनातन सभ्यता कारण विश्व में हमेशा से चर्चा में रहा है। हमारी प्राचीन सभ्यता के सामने तो मौजूदा साइंस व इंजीनियरिंग भी नतमस्तक रही है। आज हम आपको भारत के एक एेसे गांव से जु़ड़े रहस्य से अवगत करवाएंगे। यह गांव विश्व भर में जुड़वों के गांव के नाम से ख्याति प्राप्त है। यह गांव समूची दुनिया में दूसरे नंबर पर आता है। हैरान मत होइए। यह पूर्णतया सच है। जुड़वों के गांव में मौजूदा समय 400 से अधिक जुड़़वां रह रहे हैं। गांव के हर हिस्से में आपको हमशक्ल जरुर नजर आएंगे। विश्व में कई अन्य देश भी एेसे हैं, जहां पर जुड़वों की संख्या औसत से कहीं अधिक पाई गई है।

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जुड़वां बच्चों के पैदा होने का औसत
आंकड़ों के अनुसार विश्व स्तर पर एक हजार बच्चों पर मात्र चार बच्चे ही जुड़वां पैदा होते हैं। जबकि एशिया में यह फीसद चार बच्चों से भी कम का है। परंतु भारत के केरल के मलप्पुरम जिले में स्थित कोडिन्ही गांव में एक हजार बच्चों के पीछे 45 जुडवां बच्चे जन्म लेते हैं। यानिकि जुड़वां बच्चों के जन्म लेने की औसत इस गांव में 11 गुणा अधिक है। यह गांव एशिया में पहले नंबर पर आता है। जबकि विश्व में जुड़वों के शहर के तौर पर पहला नंबर नाइजीरिया के इग्बो-ओरा के पास है। इस शहर को लैंड ऑफ ट्विन्स कहा जाता है। यहां पर एक हजार बच्चों के पीछे 155 बच्चे जुड़वां पैदा होते हैं।

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विश्व स्तर पर चर्चित है यह गांव
बच्चे, जवान और बुजुर्गों वाले जुड़वों का गांव केरल स्थित कोडिन्ही विश्व स्तर पर प्रसिद्ध हो चुका है। भारत ही नहीं विदशों के भी कई वैज्ञानिक समय-समय पर इस गांव में शोध करने आते रहते है। परंतु भारत सरकार ने तो अब एक स्थानीय डॉक्टर कृषणन श्री बीजू को इस के अध्ययन के लिए स्थायी तौर से नियुक्त कर रखा है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि आखिर इस गांव में ही जुड़वां अधिक क्यों पैदा होते हैं। इसका कारण अभी तक नहीं मिल सका है। पहले डॉकटरों ने यह तर्क दिया था कि यह सब खाने पीने के कारण होता है, लेकिन इस इलाके के लोगों का खाना पीना केरल के अन्य इलाकों के सामान ही है। इसलिए इस तर्क को एक सिरे से खारिज कर दिया गया।

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लगभग आठ दशक पहले हुई थी जुडवों के पैदा होने की शुरुआत
कोडिन्ही गांव में रहने वाले जुड़वां जोड़ो में सबसे बुजुर्ग अब्दुल हमीद और उनकी जुड़वा बहन कुन्ही कदिया है। करीब आठ दशक पहले इन दोनों भाई बहन के जु़ड़वां पैदा होने के बाद ही जुड़वां बच्चों के पैदा होने की संख्या में वृद्धि होनी शुरू हुई थी। पहले तो इक्का दुक्का ही जुड़वां बच्चे पैदा होते थे, लेकिन बाद में इसमें तेज़ी आनी शुरु हो गई। इसका इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस गांव के कुल जुडवां के आधे बच्चे तो बीते एक दशक में पैदा हुए हैं। इस गांव में वर्ष 2008 में 300 बच्चों ने जन्म लिया। इनमें से 15 बच्चे जुड़वां थे। जो की अब तक एक साल में जन्मे सबसे अधिक जुड़वां बच्चे थे। अब इस गांव में जुडवां ही नहीं तीन-तीन बच्चे भी एक साथ पैदा होने लग गए है। इस गांव में मुस्लिम समुदाय के परिवार अधिक रहते हैं।

हमशक्ल होने के कारण होती है परेशानी
एक ही गांव में इतने ज्यादा जुडवां होने के कारण लोगो को अक्सर परेशानी झेलनी पड़ती है। खासकर स्कूल में शिक्षको का बच्चों में भेद कर पाना अधिक मुश्किल होता है। इस के अलावा नव विवाहित जोड़ों को शुरुआती समय में तो ये समझ ही नहीं आता है कि उनका असल जीवन साथी कौन सा है। एक खास बात यह देखी गई है कि यदि एक बच्चा बीमार होता है, तो दूसरा बच्चा भी अवश्य बीमार हो जाता है।

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मोहम्मदपुर उमरी के हर दूसरे घर में हैं जुड़वां

प्रयागराज संगम नगरी में एक छोटे से गांव मोहम्मदपुर उमरी के हर दूसरे घर में एक जुड़वां बच्चा है। इस गांव की आबादी 600 है। इस गांव में करीब 40 से अधिक जोड़े जुड़वां हैं।

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विदेशों में भी जुड़वां बच्चों का जन्म है चर्चा में
वियतनाम दक्षिणी डोंड नई प्रांत से 70 किमी की दूरी पर एससीएम सिटी के पास स्थित एक छोटा सा गांव हुंग हाइप कई पीढिय़ों में करीब 100 जुड़वा बच्चे जन्म लेने के कारण प्रसिद्ध है। इतना ही नहीं हुंग लॉक समुदाय के करीब 2400 लोगों में करीब 100 जोड़े जुड़वां हैं। हुनान प्रांत के हेनसान गांव में 1954 के बाद 98 जुड़वा बच्चों ने जन्म लिया है।

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ट्विन्सबर्ग ओहियो में हर साल होता है विशेष आयोजन
अमरीका के ओहियो स्थित ट्विन्सबर्ग ओहियो में सालाना ट्विन्स फेस्टिवल आयोजित किया जाता है। इंस्टीट्यूट फॅार जेनेटिक इवेल्यूएशन आफ रिसर्च की ओर से हर साल आयोजित किए जाने वाले उत्सव में दुनिया भर से सबसे ज्यादा जुड़वों की भीड़ जुटती है। यहां पर यह आयोजन पिछले 30 वर्षों से अनवरत जारी है।

प्रदीप शाही

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