अदभुत! इस मंदिर में 8 दशकों से जल रही है अखंड ज्योति

धर्मेन्द्र संधू

भारत की राजधानी दिल्ली जहां अपनी ऐतिहासिक इमारतों के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है वहीं राजधानी में स्थित मंदिर हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। ऐसा ही एक प्राचीन मंदिर दिल्ली में स्थित जो आज भी श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, इस मंदिर को झंडेवाला मंदिर के नाम से जाना जाता है।

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झंडेवाला मंदिर

मां शक्ति को समर्पित यह मंदिर झंडेवाला रोड पर करोल बाग में स्थित है। मान्यता है कि इस मंदिर में मुगल शासक शाहजहां ने एक झंडा देवी को अर्पित किया था, इसी कारण इस मंदिर को झंडेवाला मंदिर कहा जाता है और इस मंदिर में विराजमान देवी को झंडेवाली माता के नाम से जाना जाता है।

झंडेवाला मंदिर से जुड़ी प्राचीन कथा

झंडेवाला मंदिर के साथ एक प्राचीन कथा जुड़ी है। कहा जाता है कि जिस स्थान पर है यह पावन मंदिर मौजूद है, वह स्थान अरावली पर्वत श्रृंखला पर मौजूद था। इस इलाके का शांत वातावरण हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता था। मानसिक शांति और साधना के लिए लोग अक्सर यहां आया करते थे। उस समय में एक व्यापारी बद्रीदास माता वैष्णो के परम भक्त थे। वह भी इस स्थान पर साधना कर रहे थे कि उन्हें ज्ञात हुआ कि इस स्थान पर एक प्राचीन मंदिर धरती के नीचे मौजूद है। उन्होंने जमीन खरीदकर खुदाई का काम शुरू करवाया तो मंदिर के अवशेष मिले और ज्यादा गहरा खोदने पर एक झंडा मिला, जिसके बाद इस स्थान को लोग झंडेवाला के नाम से जानने लगे। इसके बाद खुदाई करने पर माता की मूर्ति प्राप्त हुई लेकिन खुदाई करने वाले मूर्ति को सुरक्षित बाहर नहीं निकाल पाए। खुदाई के दौरान माता की मूर्ति के हाथ खंडित हो गए जिसके बाद मूर्ति को चांदी के हाथ लगाकर स्थापित कर दिया गया। आज भी वह प्राचीन मूर्ति मंदिर के निचले हिस्से में स्थापित है। मंदिर में भक्तों के दर्शनों के लिए अलग मूर्ति भी स्थापित की गई है।

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मंदिर के नामकरण से जुड़ी मान्यताएं

मंदिर का नाम झंडेवाला मंदिर क्यों पड़ा ? इसके साथ भी कई कथाएं जुड़ी हैं। कुछ लोगों का मानना है शाहजहां ने इस मंदिर में प्रार्थना करने के बाद झंडा अर्पित किया था तो इस मंदिर का नाम झंडेवाला मंदिर पड़ा। वहीं दूसरी ओर मान्यता है कि इस स्थान पर खुदाई के दौरान एक झंडा मिला था, इसलिए इस स्थान को झंडेवाला कहा जाता है। एक अन्य मान्यता के अनुसार जब इस मंदिर का निर्माण किया गया तो पहाड़ी पर बने इस मंदिर का झंडा हर किसी को दूर से ही दिखाई देता था, इसलिए यह मंदिर झंडेवाला मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

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मंदिर में स्थापित है प्राचीन शिवलिंग और अन्य मूर्तियां

इस स्थान पर खुदाई के दौरान एक प्राचीन शिवलिंग भी प्राप्त हुआ था खुदाई के दौरान शिवलिंग को नुकसान न पहुंचे इसलिए जितना भाग ऊपर पहले दिखाई दिया, उतना ही छोड़ दिया गया। इसी भाग के आज दर्शन होते हैं। मंदिर के नीचे वाले भाग में माता झंडेवाली की प्राचीन मूर्ति स्थापित है। वहीं ऊपर मुख्य भवन में माता झंडेवाली की नई मूर्ति के दर्शन होते हैं। इसके साथ ही मंदिर में श्री हनुमान जी, गणेश जी, शीतला माता, वैष्णो देवी, संतोषी माता और लक्ष्मी माता की भव्य मूर्तियां स्थापित हैं। मंदिर में आसपास बने बगीचे में मंदिर का निर्माण करने वाले बद्रीनाथ जी की धातु से बनी मूर्ति लगाई गई है क्योंकि उन्होंने अपना सारा जीवन ही माता झंडेवाली को समर्पित कर दिया था। इसके अलावा प्राचीन गुफा में पिछले 8 दशकों से माता की ज्योतियां निरंतर जल रही हैं।

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मंदिर के पर्व और त्योहार

झंडेवाला मंदिर में हर पर्व और त्योहार पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। नवरात्र के पावन पर्व पर इस मंदिर में 9 दिनों तक मेला लगता है जिसका आयोजन बद्री भगत झंडेवाला टेंपल सोसायटीद्वारा किया जाता है। इसके अलावा मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है जिसमें मुख्य रूप से खिचड़ी का प्रसाद बांटा जाता है। साथ ही हनुमान जयंती, महाशिवरात्रि के पर्व भी मनाए जाते हैं और समय-समय पर धार्मिक कथा समागमों का आयोजन भी किया जाता है। झंडेवाला मंदिर में सारा साल ही भक्त बड़ी संख्या में माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पहुंचते हैं। मान्यता है कि झंडेवाली माता सच्चे मन से मांगी हुई हर मनोकामना पूरी करती है।

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