99 % श्रद्धालु नहीं जानते कि कहां गिरा था माता सती का ‘कपाल’

धर्मेन्द्र संधू

देव भूमि हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत वादियां व पहाड़ हर किसी को अपनी ओर खींचते हैं। प्रकृति के मनमोहक नज़ारों का आनन्द लेने के लिए पूरा साल ही बड़ी संख्या में पर्यटक हिमाचल के विभिन्न स्थलों पर पहुंचते हैं। खूबसूरत वादियों व पहाड़ों के साथ ही हिमाचल प्रदेश के प्राचीन मंदिर भी देश व विदेश के श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र हैं। एक ऐसा ही प्राचीन मंदिर हिमाचल के प्रसिद्ध शहर कांगड़ा में स्थित है जिसे ‘कुनाल पत्थरी माता मंदिर’ के नाम से जाना जाता है।

इसे भी देखें…भारत का अदभुत् मंदिर जहां होती है भगवान शिव के मुख की पूजा…

कुनाल पत्थरी माता मंदिर

प्राचीन कुनाल पत्थरी माता मंदिर को 52 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। मान्यता के अनुसार यहां देवी सती का पावन कपाल गिरा था। कुनाल पत्थरी माता मंदिर ‘कपालेश्वरी मंदिर’ के नाम से भी विख्यात है। इस मंदिर में माता कपालेश्वरी की प्रतिमा या पिंडी के ऊपर एक जल का कुंड है जिसे स्थानीय भाषा में कुनाल कहा जाता है। कांगड़ी भाषा में कुनाल का अर्थ परात होता है जो आटा गूंथने के काम आती है। इसी कारण इसे कुनाल पत्थरी माता मंदिर कहा जाता है। यह प्राचीन मंदिर हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा-धर्मशाला मार्ग पर स्थित है।

इसे भी देखें…NASA के वैज्ञानिकों के लिए खोज का केन्द्र बना भारत का यह चमत्कारी मंदिर

यहां गिरा था देवी सती का पावन कपाल

पौराणिक कथा के अनुसार माता सती के पिता प्रजापति दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया था। लेकिन इस यज्ञ में उन्होंने भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। इस पर माता सती हठपूर्वक उस यज्ञ में शामिल होने के लिए चली गईं और अपने पति भोलेनाथ का अपमान सहन न करते हुए देवी सती ने अग्निकुंड में कूदकर अपने प्राणों की आहुति दे दी। इस पर क्रोधित होकर भगवान शिव माता सती के पार्थिव शरीर को लेकर पूरे ब्रह्माण्ड में भ्रमण करने लगे तो भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के पावन शरीर को कई हिस्सों में विभाजित कर दिया। माता सती के पावन शरीर के यह पावन अंग जिस भी स्थान पर गिरे वह स्थान शक्ति पीठ कहलाए। इस स्थान पर भी माता सती का पावन कपाल गिरा था। इस लिए इस स्थान को ‘कपालेश्वरी’ या ‘कुनाल पत्थरी माता’ मंदिर के नाम से जाना जाता है।

इसे भी देखें…ऐसा रहस्यमयी मंदिर जिसके बंद होने पर भी आती है पूजा व घंटी की आवाज़

रोगों को दूर करता है यहां का पावन जल

मंदिर में माता कपालेश्वरी की प्रतिमा के ऊपर बने एक कुंड में वर्षा का जल इकट्ठा होता है। मान्यता है कि यह जल कभी खराब नहीं होता और इसमें किसी भी प्रकार के कीड़े नहीं पैदा होते। साथ ही इस कुंड का जल कभी सूखता भी नहीं है। इस जल के सेवन से कैंसर व पथरी जैसे रोग ठीक हो जाते हैं। इस जल को श्रद्धालु अपने साथ अपने घर में ले जाते हैं।

मंदिर तक कैसे पहुंचें

हालांकि माता कपालेश्वरी मंदिर या कुनाल पत्थरी माता मंदिर को 52 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है लेकिन फिर भी अन्य शक्ति पीठों की तुलना में यहां बहुत कम श्रद्धालु आते हैं। या यूं कहें कि शायद बड़ी संख्या में लोग इस शक्ति पीठ से अनजान हैं। फिर भी इस मंदिर तक बस, कार या टैक्सी के द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। कांगडा़ शहर से कुनाल पत्थरी माता मंदिर की दूरी 20 किलोमीटर के करीब है। वहीं धर्मशाला से यह प्राचीन मंदिर 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हिमाचल प्रदेश के शहर कांगड़ा तक पंजाब के शहरों रोपड़ व नंगल से होते हुए बस या टैक्सी के द्वारा पहुंच सकते हैं। पठानकोट से भी सीधा सड़क मार्ग कांगड़ा तक जाता है। साथ ही पठानकोट से एक छोटी रेल गाड़ी कांगड़ा से होते हुए जोगिन्द्र नगर तक जाती है। मंदिर का नजदीकी हवाई अड्डा गग्गल एयर पोर्ट है। इस स्थान पर भगवान शिव को समर्पित मंदिर भी मौजूद है जिसे ‘गुप्तेश्वर महादेव’ कहा जाता है।

इसे भी देखें…11वीं शताब्दी में बना रहस्यमयी मन्दिर…जिसके रहस्य आज भी बने हुए हैं पहेली

LEAVE A REPLY