21 मंगलवार व्रत पूजन से प्रसन्न होते हैं बजरंग बली

सुख-सम्पत्ति, यश और संतान के दाता है हनुमान जी
यह पूर्णतया सच है कि जब हम सच्चे मन से किसी मनोकामना की पूर्ति के लिए अपने ईष्ट का पूजन करते हैं। तो वह ईष्ट भी अपने भक्त की मनोकामना को अवश्य पूर्ण करते हैं। माना जाता है कि सुख-सम्पत्ति, यश और संतान प्राप्ति के लिए मंगलवार को हनुमान जी का पूजन करना और व्रत रखना बेहद शुभ माना जाता है। जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह निर्बल होता है, उसे बजरंग बली के दिन मंगलवार को खास तौर से पूजन कर उन्हें प्रसन्न करना चाहिए। आईए आज आपको देवों के देव महादेव के अवतार हनुमान जी के पावन दिन मंगलवार के महत्व के बारे बताते है। किस तरह से मंगलवार की कथा सुन कर विधि पूर्वक पूजन करना चाहिए।

क्या है मंगलवार व्रत कथा….
कहा जाता है कि प्राचीन काल में ऋषिनगर में केशवदत्त ब्राह्मण अपनी पत्नी अंजलि के साथ सुखपूर्वक जीवन व्यतीत कर रहा था। धन संपदा से संपन्न केशवदत्त संतान न होने से हमेशा चिंतित रहता था। पुत्र-प्राप्ति की इच्छा से दोनों पति-पत्नी ने मंगलवार के दिन हनुमान जी के मंदिर में जाकर व्रत रख कर पूजा करनी शुरु कर दी। कई साल तक हर मंगलवार का व्रत और पूजन करना दंपति के जीवन का हिस्सा बन चुका था। परंतु संतान की प्राप्ति न होने से केशवदत्त बहुत निराश हो गए, लेकिन उन्होंने व्रत करना नहीं छोड़ा। कुछ दिनों के पश्चात् केशवदत्त हनुमान जी की सेवा करने के लिए अपना घर छोड़ कर जंगल चला गया। जबकि अंजलि घर में ही रहकर मंगलवार का व्रत करती रही। एक दिन अंजलि ने मंगलवार को व्रत रखा, लेकिन किसी कारणवश उस दिन वह हनुमान जी को भोग नहीं लगा सकी। सूर्यास्त के बाद भूखी ही सो गई। अगले दिन सुबह जब जागी, तो बीते दिन भोग न लगाने की घटना से चिंतित हो गई। तब उसने अगले मंगलवार तक हनुमानजी को भोग लगाये बिना भोजन न करने की प्रतिज्ञा कर ली। सातवें दिन मंगलवार को अंजलि ने हनुमानजी की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना की, लेकिन भूख-प्यास के कारण वह बेहोश हो गई। अंजलि की इस भक्ति को देखकर हनुमानजी प्रसन्न हो गए और बेहोश अंजलि के स्वप्न में आकर कहा कि उठो पुत्री, मैं तुम्हारी पूजा से प्रसन्न हूं और तुम्हें पुत्र प्रापत होने का वर देता हूं। तब अंजलि ने उठकर हनुमानजी को भोग लगाया और स्वयं भी भोजन किया।
हनुमानजी की कृपा से कुछ समय बाद मंगलवार के दिन अंजलि ने एक सुंदर बालक को जन्म दिया। अंजलि ने मंगलवार को जन्म लेने के कारण उस बच्चे का नाम मंगल प्रसाद रखा। कुछ दिनों बाद केशवदत्त भी घर लौट आया। उसने मंगल को देखा तो अंजलि से पूछा- यह सुन्दर बच्चा किसका है? अंजलि ने हनुमानजी के दर्शन देने और पुत्र प्राप्त होने का वरदान देने की सारी कथा सुना दी, लेकिन केशवदत्त को उसकी बातों पर विश्वास नहीं हुआ। उसने सोचा कि अंजलि ने उसके साथ विश्वासघात किया है। वह अपना पाप छिपाने के लिए झूठ बोल रही है। तब केशवदत्त ने उस बच्चे को मार डालने की योजना बनाई। एक दिन केशवदत्त स्नान करने के लिए कुएं पर गया, मंगल भी उसके साथ था। केशवदत्त ने मौका देखकर मंगल को कुएं में फैंक दिया। घर आकर बहाना बना दिया कि मंगल तो कुएं पर मेरे पास पहुंचा ही नहीं। केशवदत्त के इतने कहने के ठीक बाद मंगल दौड़ता हुआ घर लौट आया। केशवदत्त मंगल को देखकर बुरी तरह हैरान हो उठा। उसी रात हनुमानजी ने केशवदत्त को स्वप्न में दर्शन देते हुए कहा- तुम दोनों के मंगलवार के व्रत करने से प्रसन्न होकर तुम्हारे घर में पुत्रजन्म का वरदान दिया था। परंतु तुमने अपनी पत्नी पर शक औऱ बच्चे को मारने की कोशिश की। उसी समय केशवदत्त ने अंजलि को जगाकर उसे हनुमानजी के दर्शन देने की सारी कहानी सुनाई। उस दिन के बाद सभी आनंदपूर्वक रहने लगे।

मंगलवार व्रत की विधि
हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए लगातार 21 मंगलवार तक व्रत औऱ पूजन करना चाहिए। व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर किसी एकांत में बैठकर हनुमानजी की मूर्ति या चित्र स्थापित कर लाल फूल चढ़ा कर सामने घी का दीप जलाएं। । इस दिन लाल कपड़े पहनें और हाथ में पानी ले कर व्रत का संकल्प करें। फिर रुई में चमेली के तेल लेकर बजरंगबली के सामने रख दें या मूर्ति पर तेल के हलके छीटे दे दें। मंगलवार व्रत कथा पढ़ने के बाद हनुमान चालीसा और सुंदर कांड का पाठ करें। फिर आरती करके सभी को व्रत का प्रसाद बांटें। दिन में सिर्फ एक पहर का भोजन लें। शाम को हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर आरती करें। इस व्रत में गेहूं और गुड़ का ही भोजन करना चाहिये। नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।

21 मंगलवार का व्रत रखें
21 मंगलवार के व्रत रखने के बाद 22वें मंगलवार को विधि-विधान से हनुमान जी का पूजन कर उन्हें चोला चढ़ाएं। ब्राह्मणों को भोजन कराएं और क्षमतानुसार दान इस व्रत से कुंडली का मंगल ग्रह शुभ फल देने वाला होता है। जो यह व्रत करते हैं उन पर भूत-प्रेत, काली शक्तियों का दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता है। इस व्रत के करने से शरीर के सभी रक्त विकार के रोग भी नष्ट हो जाते हैं।

प्रदीप शाही

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