मंदिर में स्थापित खंभों में से कैसे निकलता है संगीतमयी स्वर ??

प्रदीप शाही

भारत में अनमोल, नक्काशीयुक्त एतिहासिक धरोहरों का खजाना मौजूद है। जो पर्यटकों को अपनी तरफ सहज ही आकर्षित कर लेता है। इसी तरह तमिलनाडू राज्य के मदुरई नगर स्थित प्राचीन एतिहासिक हजार नक्काशीयुक्त खंबों के मंडप वाला मीनाक्षी मंदिर पहली नजर में ही हर किसी को सम्मोहित कर देता है। यह मंदिर भगवान शिव व उनकी पत्नी देवी पार्वती (मीनाक्षी यानिकि मछली के आकार की आंख वाली देवी ) के रुप में इन दोनों देवी देवताओं को पूर्ण तौर से समर्पित है। इस मंदिर को तमिल भाषा के गृहस्थान 2500 वर्ष पुराने मदुरई नगर की जीवन रेखा भी माना जाता है। यह मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनुरक्षण में है।

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संगीतमयी हजार खंबों वाला मंडप
उच्चा शिल्पकारी वाले हजा़र खंभों वाला मंडप मंदिर की पहचान को अद्वितीय बनाता है। मंदिर में 985 भव्य नक्काशीयुक्त खंभे स्थापित है। इस मंदिर का निर्माण आर्य नाथ मुदलियार की ओर से करवाया मना जाता है। हर खंबे पर उच्चकोटि की शिल्पकारी की हुई है। जो द्रविड़ शिल्पकारी का बेहतरीन प्रमाम है। मंदिर के प्रांगण में स्थापित मूर्तियां, चित्र व वित्रकारी में प्राचीन 1200 वर्ष के इतिहास के दर्शन किए जा सकते हैं। मंडप के पश्चिम भाग की ओर बने खंभों में थाप देने से अलग-अलग तरह का स्वर निकलता है। आखिर कैसे इन खंभों का निर्माण किया गया है। दक्षिण भाग में स्थित खंभों को कल्याण मंडप कहा जाता है। जहां हर साल अप्रैल माह में एक उत्सव मनाया जाता है। इस दौरान भगवान शिव व पार्वती विवाह का भव्य आयोजन किया जाता है।


मंदिर का विशाल ढांचा
मंदिर का गर्भगृह 3500 वर्ष पुराना माना जाता है। इसकी बाहरी दीवारें और अन्य बाहरी निर्माण करीब 15 से दो हजार साल पुराना माना गया है। समूचे मन्दिर का भवन करीब 45 एकड़ भूमि में निर्मित है। मंदिर की लंबाई 254 मीटर और चौडा़ई 237 मीटर है। पूर्व, दक्षिण, पश्चिम व उतर क्षेत्र में नौ-नौ द्वार हैं। पूर्व क्षेत्र के नौ द्वारों पर 1011, दक्षिण क्षेत्र के नौ द्वारों पर 1511 व पश्चिम क्षेत्र के नौ द्वार पर 1124 अनूठी नक्काशी का काम हुआ है। उत्तर क्षेत्र के नौ द्वार पर नक्काशी बेहद कम है।

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मंदिर का प्राचीन इतिहास
प्राचीन कथा अनुसार भगवान शिव सुंदरेश्वरर के रूप में अपने गणों के साथ पांड्य राजा मल्यध्वज की बेटी मीनाक्षी से शादी करने मदुरई नगर आये थे। मीनाक्षी को देवी पार्वती का अवतार माना जाता है। इसी कारण मंदिर को देवी पार्वती के पवित्र स्थानों में दर्जा प्राप्त है। मंदिर में शिव की नटराज मुद्रा स्थापित है। इस गृह के बाहर बडे़ शिल्प आकृतियां हैं, जो कि एक ही पत्थर से बनी हुई हैं। मंदिर के प्रांगण में यहां एक विशाल गणेश मन्दिर भी है। इस मूर्ति को मन्दिर के सरोवर की खुदाई के समय निकाला गया था। मंदिर का पावन सरोवर 165 फ़ीट लंबा व 120 फ़ीट चौड़ा है इस सरोवर को स्वर्ण कमल वाला सरोवर भी कहा जाता है।

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