सोनी ने किसानों और माईक्रो फूड प्रोसेसिंग इंटरप्राईज़ की आय को बढ़ावा देने और जिला उत्पादों की पहुँच बढ़ाने के लिए ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ रिपोर्ट की रिलीज़

चंडीगढ़ 17 सितम्बर:

पंजाब के फूड प्रोसेसिंग मंत्री श्री ओम प्रकाश सोनी ने आज यहाँ अपनी सरकारी रिहायश पर ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ (ओ.डी.ओ.पी) की रिपोर्ट जारी की, जो राज्य के किसानों और माईक्रो फूड प्रोसेसिंग उद्योगपतियों को अपने सम्बन्धित जिले के संभावित उत्पादों को प्रफुलित करने में सहायता करेगी जिससे उनकी आय और विशेष उत्पादों की आम लोगों तक पहुँच को बढ़ाया जा सके।

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वैज्ञानिक दस्तावेज़ तैयार करने के लिए पंजाब एग्रो इंडस्ट्री कोरर्पोशन (पीएआईसी) के अधिकारियों की पीठ थपथपाते हुये मंत्री ने कहा कि कृषि के सहायक धंधों से जुड़े कामों किसानों के लिए ओडीओपी रिपोर्ट बहुत मददगार होगी। उन्होंने कहा कि ‘ओ.डी.ओ.पी के अलावा अन्य खाने पीने वाली वस्तुओं की प्रोसेसिंग करने वाले मौजूदा माईक्रो ऐंटरप्राईजज को भी समर्थन दिया जायेगा। इस योजना के अंतर्गत सहायता प्राप्त करने वाली नयी इकाईयों को अपने सम्बन्धित जिले के लिए चुने गए ओ.डी.ओ.पी. उत्पादों की प्रोसेसिंग करनी होगी।

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ओ.डी.ओ.पी. रिपोर्ट में राज्य के सभी 22 जि़लों को शामिल किया गया है और वैज्ञानिक तौर पर हर जिले के लिए एक संभावित उत्पाद का चयन किया गया है जैसे जिला अमृतसर के लिए अचार और मुरब्बा के लिए, लुधियाना के लिए बेकरी उत्पाद, जिला होशियारपुर और फतेहगढ़ साहिब के लिए गुड़, एस.ए.एस.नगर, मानसा और श्री मुक्तसर साहिब के लिए दूध और दूध उत्पाद, बरनाला और फरीदकोट के लिए पोल्ट्री / मीट / मछली, जिला बठिंडा के लिए शहद, पटियाला के लिए अमरूद, तरन तारन के लिए नाशपाती, जालंधर और मोगा के लिए आलू, एसबीएस नगर के लिए मटर, रोपड़ के लिए आम, फाजि़लका के लिए किनू, फिऱोज़पुर के लिए मिर्च, पठानकोट के लिए लीची, कपूरथला के लिए टमाटर, गुरदासपुर के लिए गोभी और संगरूर के लिए प्याज़ शामिल हैं।

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इसके इलावा, पीएआईसी के मैनेजिंग डायरैक्टर मनजीत सिंह बराड़ ने बताया कि डिप्टी कमिशनर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कमेटियों का गठन किया गया है जिसमें जनरल सचिव, जिला उद्योग केंद्र को इसका जिला नोडल अफ़सर नियुक्त किया गया है जिससे सचिवीय सहायता प्रदान की जा सके। उन्होंने कहा कि पीएआईसी जल्द ही जिला औद्योगिक केन्द्रों (डीआईसी) में डीएलसी और माईक्रो उद्योगों / एफपीओज़ / एसएचजीज़ / सहकारी समूहों को तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए फूड प्रौद्यौगिकी का अपेक्षित तजुर्बा रखने वाले व्यक्तियों को नियुक्त करेगी। उन्होंने सभी माईक्रो फूड इंटरप्राईज़ के मालिकों को पीएआईसी के साथ संपर्क करने के लिए कहा और उद्यमियों ने और जानकारी के लिए ओडीओपी रिपोर्ट पी.ए.आई.सी वैबसाईट www.punjabagro.co.in . पर अपलोड की गई है। उन्होंने बताया कि योजना की समय सीमा के अनुसार, पीएआईसी ने ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ (ओडीओपी) संबंधी एक व्यापक रिपोर्ट तैयार की है और राज्य सरकार की योजना को लागू करने हेतु इसको राज्य स्तरीय मंजूरी कमेटी (एसएलएसी) की एक उच्च स्तरीय संस्था की पहली मीटिंग में मंजूरी दी गई है।

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बाद में, श्री सोनी ने एक मीटिंग की अध्यक्षता करते हुये 29 जून, 2020 को शुरू की नयी केंद्र से सहायता प्राप्त स्कीम ‘पीएम फार्मूलायज़ेशन माईक्रो फूड प्रोसेसिंग ऐंटरप्राईजेज़’ को लागू करने की स्थिति का जायज़ा भी लिया।
मीटिंग के दौरान श्री अनिरुद्ध तिवाड़ी, अतिरिक्त मुख्य सचिव (विकास और फूड प्रोसेसिंग) ने बताया कि यह स्कीम न सिफऱ् अधिक से अधिक 10 लाख रुपए प्रति यूनिट के साथ 35 प्रतिशत क्रेडिट-इन क्रेडिट सब्सिडी मुहैया करवा के बल्कि उद्यम, टेक्नोलोजी और ब्रांडिंग और मार्किटिंग के साथ-साथ सामथ्र्य में विस्तार करके 6672 नये और मौजूदा माईक्रो फूड प्रोसेसिंग उद्योगों के दरमियान सीधी मुकाबलेबाज़ी को बढ़ाएगी।
श्री तिवाड़ी ने आगे कहा कि यह पाँच वर्षीय योजना है जो 2020-21 से शुरू हो रही है। उन्होंने आगे कहा कि इसमें ग्रुप कैटागरी के अधीन, किसान उत्पादक संस्थाओं, स्वै-सहायता समूहों और सहकारी समूहों और इनके सभी शारटिंग, ग्रेडिंग, असेइंग, स्टोरेज, आम प्रक्रिया, पैकजिंग, मार्किटिंग, कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग और टेस्टिंग प्रयोगशालाओं को क्रेडिट से जुड़ी पूँजी पर 35 प्रतिशत सब्सिडी दी जायेगी जिसकी अधिक से अधिक सीमा अभी निर्धारित की जायेगी। उन्होंने आगे कहा कि फूड प्रोसेसिंग करने वाले व्यक्तिगत समूह सदस्यों को कार्यशील पूँजी और छोटे उपकरणों की खरीद के लिए 40,000 रुपए प्रति मैंबर लागत पूँजी दी जायेगी।

-NAV GILL

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