सृष्टि रचियता ब्रह्मा, माता गंगा, सरस्वती, वरुण देव का हैै इसमें वास

-शंख समाप्त करता है ग्रहों के दुष्प्रभाव

-शंख से जुड़े चमत्कारी धार्मिक व वैज्ञानिक तथ्य

-शंख पूजन से कैसे बरसेगा धन

भारतीय संस्कृति में शंख को विशेष महत्व प्रदान किया गया है। शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान प्राप्त हुए 14 रत्नों में से एक शंख रत्न था। विष्णु पुराण के अनुसार शंख लक्ष्मी माता का सहोदर भ्राता है। शंख समुद्र मंथन के दौरान आठवें स्थान पर प्राप्त हुआ था। शंख के अग्र भाग में गंगा और सरस्वती का, मध्य भाग में वरुण देवता और पृष्ठ भाग में ब्रह्मा जी का वास होता है। वेदों के अनुसार शंख घोष को विजय का प्रतीक माना जाता है। महाभारत में श्री कृष्ण और पांडवों ने विभिन्न नामों के शंखों का घोष किया था।

शंख के प्रकार

वामावर्ती शंख-इस शंख का खुला हुआ भाग बाईं ओर होता है।

दक्षिणावर्ती शंख- इस शंख का खुला हुआ भाग दाईं ओर होता है।

मध्यवर्ती शंख- इस शंख का खुला हुआ भाग मध्य में होता है।

दक्षिणावर्ती शंख शुभ फलदायक होता है और इसका प्रयोग पूजा पाठ, अनुष्ठानों और शुभ कार्यों के लिए होता है। माना जाता है कि अगहन (मार्गशीर्ष) के महीने में शंख पूजन का विशेष महत्व हैं। अगहन के महीने में किसी भी शंख को भगवान श्री कृष्ण का पंचजन्य शंख मानकर उसका पूजन-अर्चन करने से मनुष्य की समस्त इच्छाएं पूरी होती हैं। दक्षिणावर्ती शंख को लक्ष्मी स्वरूप कहा जाता है इसके बिना लक्ष्मी जी की आराधना पूरी नहीं मानी जाती है। अगहन मास में खास तौर पर गुरूवार के दिन लक्ष्मी पूजन करते समय दक्षिणावर्ती शंख की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इसके इलावा भी प्रति दिन शंख पूजन करने से जीवन में कभी भी धन की कमी महसूस नहीं होती।

कैसे करें शंख पूजन

प्रातः काल में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। एक आसन या वेदी पर एक पात्र में शंख रखें और दूध व जल से स्नान करवाएं। तत्पश्चात् घी का दीया और धूप जलाएं। अब शंख पर दूध-केसर मिश्रित घोल से श्री एकाक्षरी मंत्र लिखें व उसे चांदी या तांबे के पात्र में स्थापित कर दें। और ‘‘त्वं पुरा सागरोत्पन्न विष्णुना विधृतः करंे। निर्मितः सर्वदेवैश्च पाञचजन्य नमोस्तुते।’’ मंत्र का जाप करते हुए कुमकुम, चावल व इत्र अर्पित करके सफेद पुष्प चढ़ाएं। नैवेद्य का भोग लगाकर पूजन संपन्न करें।

शंख समाप्त करता है ग्रहों के दुष्प्रभाव

शंख कई प्रकार के होते हैं इनमें से कुछ शंख ऐसे हैं जिनके द्वारा ग्रहों के दुष्प्रभावों को समाप्त किया जा सकता है। इनमें प्रथम है- ‘गणेश शंख’। यह भगवान गणेश के आकार का होता है इस लिए इसे गणेश शंख कहा जाता है। इस शंख में प्रकृति का चमत्कार और प्रभु का आशीर्वाद होता है। यदि कोई व्यक्ति ‘गणेश शंख’ को घर में स्थापित करता है तथा नियमित पूजन करता है तो इससे घर में सुख-समृद्धि आती है। दूसरा है- ‘वामावर्ती शंख’ं इस शंख का प्रयोग सबसे अधिक होता है। इसका आकार बिल्कुल श्रीयंत्र की तरह होता है। जिस घर में इस शंख की पूजा पूरे विधि विधान से की जाती है वहां लक्ष्मी जी सदा वास करती हैं। इस शंख के बारे में कहा जाता है कि इसका जल पीने से मंदबुद्धि बालक भी ठीक हो जाता है। तीसरा है-दक्षिणावर्ती शंख। इस शंख को बजाया नहीं जाता बल्कि इसे पूजा स्थल पर रखना शुभ माना जाता है। चैथा है- ‘गोमुखी शंख’। इस शंख की आकृति गाय के मुख के समान होती है तथा इसे शिव-पार्वती का स्वरूप माना जाता है। धन की प्राप्ति और मनोकामना पूर्ति के लिए इस शंख की स्थापना उत्तर की तरफ मुख करके की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस शंख में रखे जल को पीने से गाय की हत्या के पाप से मुक्ति मिल जाती है। पांचवां है – ‘विष्णु शंख’। यह शंख सफेद रंग का तथा गरूड़ की आकृति के समान होता है। कहते हैं कि जिस स्थान पर इस शंख को स्थापित किया जाता है वहां नारायण का वास होता है। छठा शंख है-‘पंचजन्य शंख’। इसे भगवान श्री कृष्ण का स्वरूप माना जाता है। जिस घर में इसकी स्थापना होती है वहां वास्तु दोष समाप्त हो जाता है। यह राहु व केतु के दुष्प्रभाव को भी समाप्त करता है। सातवां है-‘अन्नपूर्णा शंख’। इसका प्रयोग भाग्यवृद्धि के लिए किया जाता है। आठवां है- ‘मोती शंख’। इस शंख की पूजा से व्यापार में सफलता हासिल होती है। नौवां है- ‘हीरा शंख’। यह पारदर्शी व चमकीला होता है। इसका प्रयोग शुक्रदोष से रक्षा करने के लिए किया जाता है। दसवां है-‘टाईगर शंख’। इससे शनि, राहु व केतु के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है।

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शंख से जुड़े चमत्कारी वैज्ञानिक तथ्य

शंख का प्रयोग बहुत ही वैज्ञानिक तथा तर्कसम्मत है। शंख के प्रयोग से मानव को होने वाले लाभ निसंदेह ही रोमांचित करने वाले हैं।

-शंख की ध्वनि नकारात्मक उर्जा को समाप्त कर सकारात्मक उर्जा को प्रवाहित करती है।

-फेफड़ों के लिए लाभदायक- शंख बजाना फेफड़ों के लिए एक अच्छा व्यायाम है। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि यदि श्वास का रोगी नियमित रूप से शंख बजाए तो इस रोग से मुक्ति पा सकता है। साथ ही शंख बजाने से स्मरण शक्ति भी बढ़ती है।

-त्वचा रोगों में लाभकारी- रात में शंख में भरे पानी से सुबह उठकर त्वचा की मसाज करने से त्वचा रोगों में लाभ मिलता है।

-आंखों के लिए गुणकारी- शंख में भरे पानी को हाथों में लेकर उसमें आंखों की पुतलियों को डुबोकर दाएं-बाएं घुमाने से आंखों की रोशनी, सूजन व शुष्क आंखों में फायदा मिलता है।

-शंख की ध्वनि हृदय रोगियों के लिए लाभकारी होती है। इसे लगातार सुनने वालों को कभी हृदयघात नहीं आता।

 

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