राजा के श्राप से समूचा गांव हुआ पत्थर में हुआ तब्दील

-धूल भरी आंधी के बाद गांव जमीन में दफन

प्रदीप शाही

वरदान हो या श्राप। दोनों एक ही सिक्के के पहलू हैं। वरदान से किसी का जीवन या उसका वंश सुखद और आनंदमयी हो जाता है। वहीं श्राप से भी किसी का जीवन या वंश समाप्त हो सकता है। इसी लिए कहा जाता है कि इंसान को हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए। औऱ किसी का दिल दुखाना नहीं चाहिए। आज आपको एक ऐसे गांव की जानकारी देते हैं। वह गांव जो एक राजा के श्राप से पत्थर में बदल गया। इतना ही पत्थर में तब्दील होने के बाद आई धूलभरी आंधी के बाद समूचा गांव जमीन में भी दफन हो गया। भारत के किस राज्य में हैं यह गांव, जो राजा के श्राप से शापित हैं।

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किस राजा ने दिया था गांव को पत्थर बनने का श्राप

मध्यप्रदेश के देवास जिले की सोनकच्छ तहसील का गांव गंधर्वपुरी बौद्धकालीन इतिहास का गवाह रहा है। इस गांव का पहले नाम चंपावती था। चंपावती के पुत्र गंधर्वसेन के नाम के बाद यह चंपावती गांव गंधर्वपुरी के नाम से जाना जाने लगा। मौजूदा समय में इस गांव का नाम गंधर्वपुरी ही है। गंधर्वसेन के राजा बनने के बाद यहां पर अनेक किस्से प्रचलित हो गए। कहा जाता हैं कि राजा गंधर्वसेन ने चार विवाह किए थे। उनकी पत्नियां चारों वर्णों से थीं। क्षत्राणी रानी से उनके तीन पुत्र सेनापति शंख, राजा विक्रमादित्य तथा ऋषि भर्तृहरि उत्पन्न हुए थे। एक अन्य कथानुसार गधे के मुख वाले गंधर्वसेन से चंपावती के राजा की पुत्री ने पिता की मर्जी के खिलाफ शादी की है। कहते हैं कि गंधर्वसेन दिन में गधे समान ही दिखते थे। परंतु रात के समय वह एक सुंदर राजकुमार बन जाते थे। एक दिन जब चंपावती के राजा को इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने अपने दामाद गंधर्वसेन के गधे से राजकुमार बनने के चमत्कारिक खोल को आग लगवा दी। चमत्कारिक खोल को आग लगने से गंधर्वसेन भी जलने लगा। तब गंधर्वसेन ने जलते-जलते राजा सहित पूरे गांव को श्राप दे दिया कि यहां पर रहने वाला हर इंसान, पशु, पक्षी सभी पत्थर के हो जाएं। पत्थर होने के बाद चली धूलभरी आंधी के बाद समूचा गांव जमीन में ही दफन हो गया।

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गांव की जमीन से आज भी निकलती हैं मूर्तियां व अन्य सामान

जनश्रुति के अनुसार यहां गंधर्वसेन को गर्धभिल्ल भी कहते थे। इस गांव के नीचे मिट्टी में एक प्राचीन नगरी दबी हुई है। यहां पर हजारों मूर्तियां भी दबी हुई हैं। कहते हैं कि यहां पर 1966 में एक संग्रहालय का निर्माण किया गया था। जमीन में निकलने वाली मूर्तियां यहां संग्रहित की गई। इस संग्रहालय में अब तक 300 मूर्तियां संग्रहित हैं। इलाके में कई जगहों पर कुछ मिट्टी हटाने पर ही कई मूर्तियां व अन्य सामान मिल जाता है। जमीन की खुदाई के दौरान यहां आज भी भगवान बुद्ध, भगवान महावीर, भगवान श्री विष्‍णु हरि के अलावा ग्रामीणों की दिनचर्या वाली मूर्तियां मिलती रहती हैं। कुछ प्रतिमाओं को यहां पर स्थित राजा गंधर्वसेन के मंदिर में भी रखा हुआ है। गांव के शापित होने की कहानियां आज भी यहां सुनी और सुनाई जाती हैं।

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