यहां मां गंगा करती है शिवलिंग का जलाभिषेक

-जल के स्त्रोत का उद्गम आज भी रहस्य

प्रदीप शाही

भारत की भूमि एक देव भूमि है। जहां पर भगवान के अलावा देवी देवताओं ने अवतार ले कर जनमानस की उद्धार किया। सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग में अवतरित हुए हमारे श्रद्धेय, हमारे पूजनीय देवताओं के इस धरती से जुड़े रहस्य आज भी विद्यमान है। इन पावन स्थलों के दर्शन मात्र से ही हमारी आत्मा तृप्त हो जाती है। और हमारा मस्तक स्वत:  उनके नमन में झुक जाता है। आज हम आपको एक देवों के देव महादेव भगवान शिव के एक ऐसे मंदिर से जुड़े रहस्य से अवगत करवाएंगे। इस मंदिर में माता गंगा स्वयं शिवलिंग का जलाभिषेक करती हैं। जल के इस स्त्रोत का उद्गम आज भी एक रहस्य बना हुआ है।

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कहां पर स्थित है यह शिव मंदिर

झारखंड का समूचा क्षेत्र त्रेतायुग में राम काल से संबंधित माना जाता है। उस काल में यह भगवान राम के अलावा ऋषियों, मुनियों, साधु संतों की तपोभूमि थी। घने जंगलों में रहने वाले इन ऋषियों मुनियों के पास देवतागण का आगमन होता रहता था। झारखंड के रामगढ़ जिले में एक चमत्कारिक शिव मंदिर स्थित हैं। इस प्राचीन शिव मंदिर की पहचान टूटी झऱना शिव मंदिर के नाम से है। इस मंदिर में प्राणप्रतिष्ठित शिव लिंग का माता गंगा अपने हाथों से जलाभिषेक करती है। इसे एक चमत्कार कहें, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। इस चमत्कार को देखकर अंग्रेज भी हतप्रभ हो गए थे। शिव लिंग के पास ही माता गंगा की एक प्रतिमा स्थापित है। मां गंगा की नाभि से पानी की धारा का प्रवाह होता है। जो माता के दोनों हाथों से निकल कर शिव लिंग का जलाभिषेक करता है।

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पानी के स्त्रोत का उद्गम आज भी एक रहस्य

शिव मंदिर में स्थापित माता गंगा की प्रतिमा के हाथों से प्रवाहित होकर शिव लिंग का जलाभिषेक करने वाले जल का उदगम आज भी एक रहस्य है। आखिर यह जल कहां से आता है। इस मंदिर के बारे कहा जाता है कि इस का उल्लेख पुराणों में भी है। यह भी कहा जाता है कि इस इलाके में अंग्रेजों के शासनकाल में रेलवे लाइन को बिछाने का काम शुरु हुआ। तो खुदाई के दौरान धरती के भीतर कुछ दिखाई दिया। बेहद ध्यान से खुदाई करवाई गई तो वहां पर माता गंगा की एक प्रतिमा और नीचे शिव लिंग दिखाई दिया। इस शिव लिंग पर माता गंगा के हाथों से गुजरने वाला जल शिवलिंग का अभिषेक कर रहा था। इस अद्भुत नजारे को देखकर अंग्रेज भी आश्चर्यचकित हो गए। आखिर पानी कहां से आ रहा है। इस रहस्य को खोजने की काफी कोशिश की गई। परंतु यह रहस्य सुलझ नहीं पाया। क्योंकि गंगा माता की प्रतिमा में किसी तरह का भी कोई सुराख नहीं था। यह रहस्य आज भी बरकरार है। इस चमत्कार को देखने के लिए हर साल बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। और नतमस्तक होते हैं। कहा जाता है कि आखिर अंग्रेजों ने रेलवे लाइन को बिछाने का काम कुछ हट के करवाया था।

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