मंत्रीमंडल द्वारा नशेे के सौदागरों और तस्करों के लिए मौत की सजा तय करने के लिए केंद्र सरकार को सिफारश का फैसला

-मुख्यमंत्री के नेतृत्व अधीन कैबिनेट सब -कमेटी नशों विरुद्ध उठाए जाने वाले कदमों की साप्ताहिक समीक्षा करेगी
-रोज़मर्रा आधार पर निगरानी करने के लिए विशेष कार्य समूह का गठन
चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की अध्यक्षता अधीन मंत्रीमंडल ने नशे के कारोबारियों के साथ कोई लिहाज़ न करने के लिए अपने दृड़ निश्चय को दोहराते हुए नशेे के सौदागरों और तस्करों के लिए मौत की सजा तय करने के लिए केंद्र सरकार को सिफारश करने का फ़ैसला किया है । मंत्रीमंडल ने नशेे के कारोबार को रोक लगाने के लिए इसको घोर अपराध मानते यह सख्त फ़ैसला लिया है क्योंकि नशे ने पंजाब सहित अन्य बहुत से स्थानों पर नौजवानों की जि़ंदगी तबाह कर दी है ।
एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि यह फ़ैसला मंत्रीमंडल ने अपनी मीटिंग के दौरान लिया और इस दौरान इस सम्बन्ध में केंद्र सरकार को औपचारिक तौर पर सिफारश जल्दी भेजने का भी निश्चय किया । प्रवक्ता ने बताया कि मंत्रीमंडल ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) एन.एस. कलसी की अध्यक्षता अधीन विशेष कार्य समूह गठित करने का फ़ैसला किया जो नशे पर काबू पाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की रोज़ामरा के आधार पर समीक्षा और निगरानी करेगा । यह विशेष ग्रुप नशे के विरुद्ध सरकारी रणनीति का जायज़ा लेकर स्थिति मुताबिक रणनीति अपनाएगा।  इस ग्रुप में अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) सतीश चंद्रा, डी.जी.पी. (कानून-व्यवस्था) ईश्वर सिंह, डी.जी.पी. (इंटेलिजेंस) दिनकर गुप्ता और ए.डी.जी.पी. विशेष टास्क फोर्स एच.एस. सिद्धू शामिल हैं ।
प्रवक्ता ने आगे बताया कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एक कैबिनेट सब -कमेटी का गठन भी किया गया और विशेष कार्य समूह कैबिनेट सब-कमेटी को सीधे तौर पर रिपोर्ट करेगा । स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री और सामाजिक सुरक्षा मंत्री इस सब-कमेटी के मैंबर होंगे । यह कमेटी सप्ताह में एक बार मीटिंग करके सरकार की नशा विरोधी मुहिम की प्रगति और स्थिति का जायज़ा लिया करेगी ।
मीटिंग की शुरूआत से पहले मंत्रीमंडल के समूह सदस्यों ने खड़े होकर अफगानिस्तान में फिदाईन हमले से मारे गए सिखों, राज्य में ज़्यादा नशा करने से मारे नौजवानों और खुदकुशी कर चुके किसानों की याद में दो मिनट का मौन रखा ।
मीटिंग में अनौपचारिक तौर पर विचार -विमर्श हुआ जिस दौरान गृह विभाग और पंजाब पुलिस के सीनियर अधिकारियों ने मंत्रालय के सदस्यों को संक्षिप्त में जानकारी दी।  इस मीटिंग के बाद में पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान सुनील जाखड़ भी शामिल हुए ।
विचार-विमर्श के दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य के पुलिस प्रमुख सुरेश अरोड़ा को नशे की बीमारी के खि़लाफ़ पुलिस की कार्यवाही ओैर तेज करने के आदेश दिए । उन्होंने डी.जी.पी. को नशेे के सौदागरों और तस्करों के विरुद्ध सख्ती से डट जाने की हिदायत करते हुए स्पष्ट किया कि इस मुद्दे पर किसी किस्म की ढील बर्दास्त नहीं की जायेगी ।
मंत्रीमंडल ने ज़्यादा नशा लेने से हुई मौतों के मामलों का भी जायज़ा लिया जिस दौरान विशेष टास्क फोर्स के प्रमुख एच.एस. सिद्धू ने माना कि यह चिंता का विषय है । श्री सिद्धू ने ऐसे सभी मामलों की रजिस्ट्रेशन करवाने का सुझाव दिया जिससे नकली नशे की सप्लाई और मौत का कारण बनने वाले पदार्थों की नशे में मिलावट करने जैसे कारणों की शिनाख्त करने और जोखिम घटाया जा सके । उन्होंने ऐसे सभी मामलों की विस्तृत जांच करवाने के लिए कहा और मुख्यमंत्री को उनकी टीम की तरफ से नशे की बीमारी के विरुद्ध किये जा रहे यत्न ओैर तेज करने का भरोसा दिया । उन्होंने कहा कि नशेे के आदियों को सामाजिक कलंक की प्रस्थितियों में से बाहर निकालने में मदद देने के लिए डी.ए.पी.ओज़. को प्रशिक्षण दी जाना चाहिए ।
अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह एन.एस.कलसी ने इच्छाजनक नतीजे प्राप्त करने के लिए इन्नफोरसमैंट विंग और नशा मुक्ति और पुनर्निवास केन्द्रों की भागीदारी से समुची रणनीति बनाऐ जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया । उन्होंने राज्य भर में पन्दरवाड़े के आधार पर एस.एस.पीज़. के साथ मिलकर नशे का जायज़ा लेने के लिए डी.जी.पी. को कहा है । उन्होंने सुझाव दिया कि जो एस.एस.पी. अपने कारगुज़ारी उपयुक्त नहीं दिखाऐंगे, उनकी ए.सी.आर में विपरीत टिप्पणी दर्ज की जाये ।
एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत हुई प्राप्तियाँ और गिरफ्तारियों संबंधी आंकड़ों की जानकारी देते हुए डी.जी.पी सुरेश अरोड़ा ने बताया कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह सरकार द्वारा पद संभालने के बाद इन आंकड़ों में तेज़ी से विस्तार हुआ है । तब से हेरोइन की बरामदगी में लगातार कमी आई है। उन्होंने सरहद के पार निगरानी रखने वाली प्रौद्यौगिकी और अन्य बुनियादी ढांचों का स्तर ऊँचा उठाने और अतिरिक्त बी.एस.एफ. तैनात किये जाने से पुलिस, एस.टी.एफ. और अन्य केंद्रीय एजेंसियोंँ द्वारा प्रभावी कार्यवाही किये जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है । उन्होंने कहा कि यह संभव है कि प्रामाणिक ड्रग की कमी के कारण नशेड़ी जाली ड्रग का सेवन करने के लिए मज़बूर हो सकते हैं और इससे मौतें हो सकती हैं ।  इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस का पता रासायनों की जांच की रिपोर्टों के आधार पर ही लगाया जा सकता है ।
इसी दौरान मीटिंग में स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा ने बताया कि इस समय पर राज्य में 81 पेटैंट ओप्योइड असिस्टड ट्रीटमैन (ओ.ओ.ए.टी) सैंटर प्रभावी तरीकों के साथ काम कर रहे हैं। इन सेंटरों में 8000 नौजवानों का सफलतापूर्वक इलाज कराया गया है । उन्होंने स्पष्ट किया है कि नशे का प्रयोग के साथ जुड़ी हुई सामाजिक बदनामी से बचाने के लिए नशेडिय़ों और उनके माँ बाप की शिनाख़त को गुप्त रखा जा रहा है ।
जल सप्लाई और सैनीटेशन मंत्री रजिया सुलताना ने सुझाव दिया कि ऐसे नौजवानों के इलाज और पुनर्निवास के लिए नशेडिय़ों के माँ बाप को भरोसे में लिया जाये । आवास निर्माण और शहरी विकास मंत्री तृप्त रजिन्दर सिंह बाजवा ने भी नशे के आदी नौजवानों के साथ जुड़े सामाजिक कलंक से नशेडिय़ों को बचाने की महत्ता पर ज़ोर दिया । उन्होंने नशा मुक्ति केन्द्रों में उनके इलाज के लिए उनको प्रेरित करने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया ।
स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने इस बात पर चिंता प्रकट की कि लोगों में यह अनुभव पैदा हो रहा है कि नशे को ख़त्म करने में सरकार सफल नहीं हो रही । उन्होंने नशे में पुलिस मुलाजिमों के शामिल होने संबंधी आ रही रिपोर्टों का भी जिक्र किया और दोषी पुलिस मुलाजिमों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही किये जाने की अपील की ।
मुख्यमंत्री के सीनियर सलाहकार लैफ्टिनैंट जनरल (सेवामुक्त) टी.एस. शेरगिल की राय था कि नशे के मुद्दे पर नौजवानों को संवेदनशील बनाने के लिए गारडियनज़ ऑफ गवर्नेंस अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं । उन्होंने नशे के विरुद्ध लड़ाई के लिए निचले स्तर पर लोगों की भागीदारी और लहर बनाने का न्योता दिया ।
एन.डी.पी.एस. एक्ट के बहुत ज़्यादा नाजुक और विशेषीक्रित कानून होने का जिक्र करते हुए एडवोकेट जनरल अतुल्य नन्दा ने पूरी तरह माहिर कम से कम 15 वकीलों का विशेष काडर तैयार करने का प्रस्ताव किया जिससे नशे में शामिल लोगों को प्रभावी तरीकों से सजा दिलायी जा सके ।
सचिव स्कूल शिक्षा कृष्ण कुमार ने नशे के संबंध में विद्यार्थियों को संवेदनशील बनाने के लिए उठाए गए कदमों संबंधी बताया । उन्होंने बताया कि नशे के दुष्प्रभावों से अवगत करवाने के लिए चौथी कक्षा से शारीरिक शिक्षा की किताब में विशेष चैप्टर शामिल किये गए हैं । हाई और हायर सकैंडरी स्कूलों में हरेक में दो समर्पित अध्यापक नशे संबंधी विद्यार्थियों में जागरूकता पैदा करने के लिए नियुक्त किये गए हैं ।
इससे पहले अनौपचारिक बहस में शामिल दूसरे कैबिनेट मंत्रियों में मनप्रीत सिंह बादल, चरनजीत सिंह चन्नी, सुखजिन्दर सिंह रंधावा, सुखबिन्दर सिंह सरकारिया, गुरप्रीत सिंह कांगड़, बलबीर सिंह सिद्धू, सुंदर शाम अरोड़ा और भारत भूषण आशु शामिल थे । साधु सिंह धर्मसोत, राणा गुरमीत सिंह सोढी और विजय इंद्र सिंगला पंजाब सरकार की तरफ़ से पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरिन्दर सिंगला के भोग के मौके शामिल होने के लिए दिल्ली गए हुए थे । प्रवक्ता के अनुसार अरुणा चौधरी और ओ.पी. सोनी मीटिंग में शामिल नहीं हो सके ।
मीटिंग में दूसरों के अलावा मुख्य सचिव करन अवतार सिंह, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रमुख सचिव सुरेश कुमार, विशेष मुख्य सचिव सामाजिक सुरक्षा के.वी.ऐस. सिद्धू, प्रमुख सचिव अनिरुद्ध तिवाड़ी, विशेष प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री गुरकिरत कृपाल सिंह और सचिव गृह राहुल तिवाड़ी उपस्थित थे ।

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