भगवान श्री कृष्ण की बहन को समर्पित है यह प्राचीन मंदिर

धर्मेन्द्र संधू

भारत में विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है। भारत के कोने-कोने में विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित मंदिर मौजूद हैं। आपने भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित मंदिरों के दर्शन तो किए होंगे लेकिन आज हम आपको जिस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, वह मंदिर भगवान श्री कृष्ण की बहन को समर्पित है। यह प्राचीन मंदिर देश की राजधानी दिल्ली में स्थित है। इस मंदिर को ‘योगमाया मंदिर’ के नाम से जाना जाता है।

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योगमाया मंदिर

दिल्ली के महरौली में स्थित योगमाया मंदिर देश-विदेश के भक्तों की आस्था का केंद्र है। इस मंदिर को ‘जोगमाया मंदिर’ भी कहते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने महाभारत का युद्ध जीतने के बाद करवाया था। इस मंदिर को उन 27 मंदिरों में से एक माना जाता है, जिन्हें महमूद गजनवी और बाद में मुगलों ने भारी नुकसान पहुंचाया था। इस प्राचीन मंदिर का निर्माण कई बार किया गया। यहां तक कि औरंगजेब के शासनकाल में इसे मस्जिद में बदलने की कोशिश की गई। मुगलों ने यहां पर एक कक्ष का निर्माण करवाया था, लेकिन मुगलों की यह कोशिश असफल रही।

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कौन है योगमाया ?

योगमाया भगवान श्री कृष्ण की बहन थी। कहा जाता है कि योगमाया ने ही भगवान श्री कृष्ण के प्राणों की रक्षा की थी। मान्यता है कि देवी देवकी के सातवें गर्भ को योगमाया द्वारा ही रोहिणी के गर्भ में पहुंचाया गया था जिसके बाद बलराम जी का जन्म हुआ। बलराम जी श्री कृष्ण के बड़े भाई थे और योग माया भी श्रीकृष्ण की बड़ी बहन थी। एक प्राचीन कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के जन्म से पहले जिस कन्या का जन्म हुआ था वही कन्या योगमाया है। उस समय मां दुर्गा ने ही योगमाया का रूप धारण किया था। श्री वासुदेव उस कन्या को लेकर मथुरा आए थे और भगवान कृष्ण को माता यशोदा के पास छोड़ आए थे। योगमाया ने ही कंस के वध की आकाशवाणी भी की थी। एक अन्य कथा के अनुसार अर्जुन और भगवान श्री कृष्ण भी इस स्थान पर आए थे। इसी स्थान पर ही अर्जुन ने जयद्रथ को मारने का प्रण लिया था और योगमाया की कृपा से ही महाभारत के युद्ध के दौरान सूर्य ग्रहण का भ्रम पैदा हुआ था और अर्जुन ने अभिमन्यु को मारने वाले जयद्रथ का वध किया था।

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योगमाया मंदिर तक कैसे पहुंचें ?

प्राचीन योगमाया मंदिर देश की राजधानी दिल्ली में महरौली नामक स्थान पर कुतुब परिसर के पास स्थित है। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से इस प्राचीन मंदिर की दूरी 15 किलोमीटर के करीब है। इस प्राचीन मंदिर तक ऑटो, बस या टैक्सी द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। वैसे तो सारा साल ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु योगमाया मंदिर में देवी के दर्शन करने के लिए आते हैं लेकिन चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र में अधिक भीड़ होती है। इस दौरान देवी का खास पूजन किया जाता है। इसके अलावा महाशिवरात्रि का पर्व भी इस मंदिर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

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