बलबीर सिद्धू द्वारा जगतार भुल्लर की ‘पंजाब सिआं मैं चंडीगढ़ बोलदां’ किताब जारी

चंडीगढ़, 6 मार्च:
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री स. बलबीर सिंह सिद्धू नेे आज चण्डीगढ़ प्रैस क्लब में सीनियर पत्रकार जगतार सिंह भुल्लर द्वारा लिखी किताब ‘पंजाब सिआं मैं चंडीगढ़ बोलदां’ जारी की ।
इस मौके पर बलबीर सिंह सिद्धू ने लेखक जगतार भुल्लर को बधाई देते हुए कहा कि चंडीगढ़ शहर सम्बन्धी लिखी यह ‘पंजाब सिआं मैं चंडीगढ़ बोलदा’ किताब में उन्होंने पंजाब की राजधानी और पंजाबियों की भावनाओं और अधिकारों बारे खुलकर लिखा है कि कैसे पंजाब राज्य के अधिकारों को चण्डीगढ़ में ख़त्म किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राजधानी चण्डीगढ़ में पंजाबी भाषा को नजरअन्दाज करके अंग्रेज़ी और हिंदी भाषा पर ध्यान देना भी हमारे लिए एक चिंता का विषय है जिसके लिए उन्होंने भरोसा दिलाते हुए कहा कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार हर ज़रुरी और ठोस कदम उठाएगी।

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उन्होंने कहा कि चण्डीगढ़ को पंजाब के 28 गाँवों को खाली करवाकर स्थापित किया गया था परन्तु आज राज्य की मलकीयत और हकों को लगातार घटाया जा रहा है जो पंजाबी और पंजाबीयत के साथ धोखा करने के बराबर है। उन्होंने कहा कि 1947 में पश्चिमी पंजाब 1966 में हरियाणा हिमाचल प्रदेश को अलग कर दिया गया जिसके लिए कुछ राजनैतिक पार्टियाँ सीधे तौर पर जि़म्मेदार थीं।
जगतार सिंह भुल्लर ने बहुत ख़ूबसूरती के साथ इस किताब में बहुत कुछ पेश किया है जिससे पंजाब वासियों को अपनी राजधानी और राज्य के साथ जुड़े हर एक पहलू का पता चल सके और साथ ही हमारी युवा पीढ़ी भी राजधानी के साथ जुड़े अपने ऐतिहासिक तथ्यों को गहराई के साथ समझ सके।
बलबीर सिंह सिद्धू ने कहा कि जगतार भुल्लर ने चण्डीगढ़ को बसाने के लिए पंजाब के गाँवों के हुए नुक्सान से लेकर इसको पंजाब की राजधानी बनाने की जगह केंद्रीय शासित प्रदेश बनाकर पंजाब से छीनने की सारी गाथा लिखी है। पंजाब की राजधानी के तौर पर बसाए गए चण्डीगढ़ को पंजाब को न देने का सारा वृतांत वर्णन करने के साथ-साथ जहां एक ओर मामला उठाया है वहीं यहाँ पंजाबी भाषा के साथ हर स्तर पर हो रहे भेदभाव का जि़क्र है।
इस मौके पर संबोधन करते हुए सीनियर पत्रकार स. तरलोचन सिंह ने कहा कि इस किताब में राजधानी चण्डीगढ़ के प्रति पंजाबियों की चिंता और मातृभाषा पंजाबी के साथ हो रहे भेदभाव को उजागर किया गया है। उन्होंने कहा कि इस शहर का चेहरा भी अब पंजाबी नहीं रहा, हर साल पंजाबी बोलने वालों की संख्या भी कम हो रही है। उन्होंने कहा कि पंजाब, पंजाबी और पंजाबीयत के साथ प्यार करने वालों की तरफ से पंजाबी को चण्डीगढ़ में उपयुक्त स्थान दिलाने के लिए लगातार किये जा रहे यत्नों सम्बन्धी भी इस किताब में जि़क्र है। उन्होंने कहा कि जगतार भुल्लर की यह किताब भी पिछली दो किताबें ‘प्रैस रूम’ और ‘दहशत दे परछावें’ की तरह ही पाठकों का भारी प्यार हासिल करने में सफल होगी।
इस मौके पर शिरोमणि साहित्यकार निन्दर घुग्यानवी ने कहा कि यह किताब पंजाब का मार्गदर्शक बनेगी और एक पत्रकार की तरफ से लिखी गई किताब एक दस्तावेज़ होती है जिसको झुठलाया नहीं जा सकता और ऐसी किताबें एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ बन जाती हैं जो फिर समय-समय की सरकारों की तरफ से की गई गलतियों को जीवित रखती हैं।
इस मौके पर ए.एन.बी. न्यूज के एम. डी. योहानन मैथ्यू, एस एस एस बोर्ड के मैंबर राहुल सिद्धू, टी आर सारंगल सेवामुक्त आईएएस अधिकारी, तीर्थ सिंह सेवामुक्त डायरैक्टर योजना विभाग, संयुक्त डायरैक्टर लोक संपर्क विभाग पंजाब डॉक्टर अजीत कंवल और सीनियर पत्रकार और लेखक भी उपस्थित थे। मंच का संचालन सीनियर पत्रकार और लेखक दीपक चनारथल ने किया।

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