पराली जलाने से रोकने के लिए 878 करोड़ की कार्य योजना – मुख्य सचिव

चंडीगढ़, 03 जुलाई:

कृषि प्रधान राज्य पंजाब में से धान की पराली जलाने के रुझान को मुकम्मल तौर पर खत्म करने के लिए राज्य सरकार ने 878 करोड़ रुपए की कार्य योजना तैयार की है और 235 करोड़ रुपए की पहली किश्त मंजूर की जा चुकी है। खेत से बाहर फसलीय अवशेष प्रबंधन के लिए 97.5 मेगावाट क्षमता वाले 11 बायोमास पावर प्रोजैक्ट स्थापित करने के इलावा 23 सी.बी.जी. प्रोजैक्ट भी अलाट किये गए हैं।

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यह जानकारी मुख्य सचिव श्रीमती विनी महाजन ने आज एन.सी.आर. और पास के इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन संबंधी आयोग के साथ मीटिंग के दौरान पराली जलाने से रोकने और इस रुझान को कंट्रोल करने के राज्य की तरफ से किये प्रयासों के दौरान सांझा की। इस मीटिंग के दौरान राज्य में फसलीय अवशेष को जलाने से रोकने के लिए विचार-विमर्श किया गया।

 

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आयोग के चेयरमैन डा. एम.एम. कुट्टी ने आयोग की हिदायतों के मुताबिक फसलीय अवशेष के इन -सीटू/एक्स -सीटू प्रबंधन संबंधी पंजाब राज्य को कार्य योजना बनाने के लिए पंजाब सरकार की पीठ थपथपाई। उन्होंने धान की पराली बनाने के रुझान को कम करने की योजना के साथ-साथ प्रभावशाली निगरानी और नियम लागूकरण की जरूरत पर भी जोर दिया।

 

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आयोग के मुख्य सचिव ने आयोग को बताया कि पराली जलाने के रुझान को रोकने के लिए पंजाब ने कई कदम उठाए हैं और राज्य इस दिशा में बहुत सक्रियता से काम कर रहा है। इस सम्बन्ध में पिछले वर्षों के दौरान राज्य भर में कस्टम हायरिंग सैंटर स्थापित करने के अलावा किसानों को 75,000 विशेषीकृत यंत्र/मशीनें मुहैया करवाई गई हैं।

 

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श्रीमती महाजन ने बताया कि सरकार की तरफ से साल 2021 -22 के दौरान पीक डिमांड को पूरा करने के मद्देनजर 25,000 और ऐसी मशीनें मुहैया करवाने का प्रस्ताव है जिसके लिए किसानों, किसान समूहों और सहकारी सभाओं से आवेदनों की माँग की गई है।

पंजाब सरकार की तरफ से उठाये गए कदमों संबंधी अवगत करवाते हुये मुख्य सचिव ने जोर दिया कि धान की पराली के प्रबंधन के लिए आने वाले अतिरिक्त खर्च के लिए किसानों को मुआवजा देने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री के द्वारा पहले ही किसानों को मुआवजा देने के लिए चालू खर्चे -पराली प्रबंधन मुआवजा हेतु प्रस्ताव केंद्र को सौंपा जा चुका है।

मुख्य सचिव ने इस बात पर विशेषत: जोर दिया कि कोविड महामारी के मद्देनजर आयोग की तरफ से केंद्र सरकार को उचित पराली प्रबंधन के लिए किसानों को वातावरण -समर्थकी तरीके अपनाने और पराली जलाने का रुझान रोकने के लिए किसानों को उपयुक्त मुआवजा देने की सिफारिश करनी चाहिए।

इसी दौरान अतिरिक्त मुख्य सचिव (विकास) श्री अनिरुद्ध तिवाड़ी ने बताया कि कृषि विभाग की तरफ से राज्य में बरसातों के खड़े पानी में कददू के कारण धान की फसल लगाने और सीधी बीजाई के अधीन क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए किसानों को उत्साहित किया जा रहा है। जागरूकता गतिविधियों के अंतर्गत किसान मेले और जागरूकता कैंप लगा कर किसानों को जागरूक किया जा रहा है।
आयोग के मैंबर सचिव अरविन्द कुमार नौट्यिाल ने इस विषय सम्बन्धी पेशकारी भी दी।
इस मौके पर प्रमुख सचिव विज्ञान प्रौद्यौगिकी और वातावरण श्री अनुराग वर्मा और प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के मैंबर सचिव श्री करुणेश गर्ग भी मौजूद थे।

-Nav Gill

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