पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा एस.सी. विद्यार्थियों के लिए पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप संबंधी संशोधित दिशा निर्देशों की समीक्षा करने की मांग

-नए दिशा -निर्देशों को एस.सी. विद्यार्थियों के कैरियर के लिए नुक्सानदेह बताया, राज्य सरकार के लिए नये दिशा -निर्देश अयोग्य

चंडीगढ़, : पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने अनुसूचित जातियों के लिए पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए संशोधित दिशा -निर्देशों की समीक्षा करने के लिए केंद्र से अपील की है। उन्होंने कहा कि इससे अप्रत्यक्ष रूप से भारत सरकार पंजाब में इस स्कीम के लिए किसी भी राशि का योगदान देने के लिए स्वयं को मुक्त कर रही है। उन्होंने कहा कि मौजूदा वर्ष के दौरान राज्य का ख़र्च 700 करोड़ रुपए से काफ़ी कम रहने का अनुमान है।

केंद्रीय सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्री डा. थावरचन्द गहलोत को लिखे एक पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि 3 मई, 2018 को संशोधित हुए दिशा-निर्देश उनकी सरकार को प्राप्त हुए हैं जो अनुसूचित जातियों के गरीब विद्यार्थियों के कैरियर के लिए बहुत ज़्यादा नुकसानदेह हैं। उन्होंने कहा कि ये विद्यार्थी इतनी ज़्यादा ट्यूशन और दाखि़ला फ़ीस का भुगतान नहीं कर सकते जो दाखि़ले के समय शिक्षा संस्थाओं द्वारा ली जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि दिशा-निर्देशों के पैरा -15 के नतीजे के तौर पर राज्य सरकार की वार्षिक प्रतिबद्ध देनदारी 60 करोड़ रुपए से बढक़र 750 करोड़ रुपए से भी अधिक हो जायेगी जो उनकी सरकार के लिए वहनीय नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि संशोधित दिशा -निर्देश अनुसूचित जातियों के लिए पोस्ट -मैट्रिक स्कॉलरशिप के उद्देश्यों को क्षति पहुंचाते हैं और यह सिफऱ् एस.सी. विद्यार्थियों को नुक्सान पहुँचने वाली स्थिति में धकेल देंगे। इसके अलावा ये दिशा-निर्देश राज्य सरकार पर अवहनीय वित्तीय भार डालेंगेे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कुछ निजी शिक्षा संस्थाओं ने पहले ही इन दिशा -निर्देशों के अंतर्गत एस.सी. विद्यार्थियों से अग्रिम फ़ीस मंागनी शुरू कर दी है। उन्होंने इन संशोधित दिशा -निर्देशों की समीक्षा करने की मंत्री से अपील की है। उन्होंने एस.सी. विद्यार्थियों के हितों की रक्षा के लिए ज़रूरी कदम उठाने और इस स्कीम को लागू करने के लिए वित्तीय बोझ बांटने के लिए भी केंद्रीय मंत्री को कहा है।

LEAVE A REPLY