पंजाब की जेलों में कैदी जेल के अंदर लगे पी.सी.ओ से मुख्यालय पर विशेष नंबर पर कर सकेंगे शिकायत

चंडीगढ़ /रूपनगर, 10 सितम्बर
पंजाब सरकार ने एक अहम फ़ैसला लेते हुये राज्य की जेलों के अंदर मुख्यालय का एक विशेष फ़ोन नंबर मुहैया करवाने का फ़ैसला किया है, जिस नंबर पर कैदी /हवालाती फ़ोन करके जेल के अंदर होती किसी भी अनियमिता की शिकायत दर्ज करवा सकेंगे। आज यहाँ विश्व सूसाईड प्रीवेन्शन दिवस के मौके पर पहुँचे ए.डी.जी.पी जेलें पी.के. सिन्हा ने यह जानकारी साझा की। श्री सिन्हा ने बताया कि यह प्रयास सरकार द्वारा जेलों के अंदर रिश्वतख़ोरी, नशा और अन्य नाजायज गतिविधियों को रोकने के लिए उठाया जा रहा है।

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उन्होंने बताया कि कैदी /हवालाती इस नंबर पर जेल में लगे पी.सी.ओ से मुफ़्त काल करके जेलों में चल रही किसी भी नाजायज गतिविधि की शिकायत कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि ऐसी शिकायतों की पूरी जांच की जायेगी और यदि शिकायत सही पाई जाती है तो बनती कार्यवाही भी दोषियों के खि़लाफ़ की जायेगी।
इससे पहले ए.डी.जी.पी जेलें पी.के. सिन्हा ने रूपनगर जेल की विभिन्न बैरकों का दौरा किया विशेषत: महिला बैरकों में उन्होंने ने महिलाओं की तरफ से कपड़ों पर की गई कढ़ाई, दीवार पेंटिंग और रसोई के कामकाज की काफ़ी सराहना की। इसके बाद उन्होंने जेल के अंदर बने गुरुद्वारा साहिब में कैदियों को विश्व सूसाईड प्रीवेन्शन दिवस के मौके पर संबोधन किया। उन्होंने इस मौके पर कहा कि पंजाब सरकार जेलों में कैदियों में आत्म-हत्याओं की घटनाओं को रोकने के लिए एक मास्टर योजना लागू करने जा रही है।
इस योजना के अंतर्गत जेल कैदियों को विभिन्न गतिविधियों में व्यस्त रखा जायेगा, जिसके अंतर्गत पब्लिक स्पीकिंग, पेंटिंग, हुनर विकास आदि प्रोग्राम शुरू किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आत्म-हत्या का मुख कारण निराशा है और निराशा को दूर करने के लिए ही कैदियों /हवलातियों को सकरात्मक गतिविधियों में शामिल करके उनके मन को अच्छाई की ओर लगाया जायेगा। इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि जेल विभाग की तरफ से जेलों के साथ ही पेट्रोल पंप खोले जा रहे हैं, जहाँ बढिय़ा छवि वाले कैदियों को काम पर लगाया जायेगा।
इस मौके पर इंस्टीट्यूट ऑफ कुरैकलशनल एडमनिस्टरेशन चण्डीगढ़ की डिप्टी डायरैक्टर डा. उपनीत लाली ने भी अपने विचार सांझा करते हुये बताया कि कैदी में आत्म-हत्या के कई कारण पाये जाते हैं। जिनमें मुख्य तौर पर उन्होंने बताया कि किसी को भी व्यक्ति के लिए किसी भी अपराध में हिरासत का समय और जेल में पहले कुछ घंटे और कुछ दिन काफ़ी अहम होते हैं। इस समय काफ़ी निगरानी की ज़रूरत होती है। इसके साथ ही उन्होंने जेलों में मनोवैज्ञानिकों को तैनात करने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया।
इस मौके पर डी.आई.जी जेलें सुरिन्दर सिंह सैनी, जेल सुपरटैंडैंट रूपनगर के. एस. सिद्धू, डिप्टी जेल सुपरटैंडैंट कुलविन्दर सिंह और जेलों के अंदर कैदियों को सकारात्मक गतिविधियों के साथ जोडऩे के लिए काम कर रही एन.जी.ओ से जुड़ी मैडम मोनिका भी मौजूद थे।
-Nav Gill

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