नासा के वैज्ञानिकों के लिए खोज का केन्द्र बना भारत का यह चमत्कारी मंदिर

धर्मेन्द्र संधू

पूरे भारत में मां दूर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। हिमाचल प्रदेश के साथ ही पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में भी मां दुर्गा से संबंधित मंदिर मौजूद हैं। मां दुर्गा का एक मंदिर  उत्तराखंड के अल्मोड़ा में स्थित है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि इस स्थान पर प्रकट होकर मां दुर्गा ने राक्षसों का वध किया था। इस स्थान से जुड़ी एक खास बात यह है कि यहां पर नासा द्वारा की गई शोध में पाया गया है कि इस स्थान पर चुम्बकीय शक्तियां मौजूद हैं।

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कसार देवी मंदिर

प्राचीन कसार देवी मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा में स्थित है। अल्मोड़ा से कसार देवी मंदिर की दूरी 5 किलोमीटर के करीब है। काषय या कश्यप पर्वत पर स्थित मंदिर में मां दुर्गा के दर्शन करने के लिए कालीमठ शहर से पैदल यात्रा शुरू होती है। इस स्थान का धार्मिक के साथ ही वैज्ञानिक महत्व भी है। इस क्षेत्र में मौजूद वैन एलेन बेल्ट विशेष चुम्बकीय शक्तियों से युक्त है, जो इस स्थान को ध्यान और तप करने के लिए अहम बनाती है।

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मां दुर्गा ने यहां किया था शुंभ-निशुंभ का वध

इस स्थान के बारे में मान्यता है कि इसी स्थान पर मां दुर्गा, मां कात्यायनी के रूप में प्रकट हुई थी। इसके बाद मां कात्यायनी ने यहां शुंभ-निशुंभ नामक दो राक्षसों का वध किया था। मंदिर परिसर में पहाड़ का एक हिस्सा सिंह रूप में विशेष दर्शनीय है।

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नासा के वैज्ञानिक यहां कर चुके है शोध

इस स्थान पर विशेष चुम्बकीय शक्तियां मौजूद हैं। इस क्षेत्र के अलावा पूरे विश्व में केवल दो और ऐेसे स्थान हैं जहां यह शक्तियां पाई गई हैं। पूरे विश्व में इंग्लैंड के स्टोन हेंग और पेरू के माचू पिच्चू के अलावा केवल इसी स्थान पर चुम्बकीय शक्तियां होने की पुष्टि की गई है। नासा के वैज्ञानिकों द्वारा 2012 में इस स्थान पर की गई शोध के बाद यह बात सामने आई थी। इसलिए चुम्बकीय शक्तियों से युक्त कसार देवी विश्व का तीसरा स्थान है। अद्वितीय व चुंबकीय शक्तियों के कारण ही यह स्थान तप करने व ध्यान लगाने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र है। हर इंसान यहां पहुंचकर मानसिक शांति का अनुभव करता है।

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स्वामी विवेकानंद ने भी यहां की थी साधना

इस स्थान पर तप करने व ध्यान लगाने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। यह मंदिर 1970-1980 में डच संन्यासियों का अहम केन्द्र हुआ करता था। 1890 के आसपास स्वामी विवेकानंद जी भी इस स्थान पर ध्यान लगाने के लिए पहुंचे थे। कई महीनों तक वह यहां रुके थे। कहा जाता है कि अल्मोड़ा से 22 किलोमीटर के करीब दूरी पर स्थित काकड़ीघाट नामक स्थान पर स्वामी जी को विशेष ज्ञान प्राप्त हुआ था। बाद में स्वामी विवेकानंद के दो  शिष्यों स्वामी तुरियानंद और स्वामी शिवानंद ने 1916 में अल्मोड़ा में एक केंद्र की स्थापना करवाई, जिसे आज रामकृष्ण कुटीर कहा जाता है।

इसके अलावा बौद्ध गुरु लामा अंगरिका गोविंदा ने भी इसी स्थान पर गुफा में रहते हुए साधना की थी।

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बड़ी संख्या में आते हैं विदेशी साधक

वनों व पहाड़ों से घिरे कसार देवी मंदिर में देश के साथ ही विदेश से भी पूरा साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। कुछ विदेशी लोग जो यहां साधना करने आए थे, उन्होंने काफी लंबे समय से यहीं पर डेरा जमाया हुआ है। हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाला कसार देवी का मेला विशेष आर्कषण का केन्द्र है।

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