देवी देवताओं संग राक्षसों के नाम पर हैं इन शहरों के नाम….

भारत एक एेसा धर्म निरपेक्ष देश है, जहां पर हर धर्म व जाति के लोगों व उनके ईष्ट को पूरा सम्मान दिया जाता है। यही कारण है कि भारत के कई एेसे शहर भी हैं, जिनके नाम देवी देवताओं के नाम पर हैं। इतना ही नहीं कई शहर एेसे भी हैं, जिनके नाम तो राक्षसों के नाम पर रखे गए। आईए, आज आपको इन शहरों के बारे जानकारी प्रदान करते हैं। जिनके नाम देवी-देवताओं और राक्षसों के नाम पर रखे गए थे। यह नाम आज भी प्रचलित हैं।

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राक्षस गयासुर के नाम से प्रसिद्ध है मोक्ष स्थली गया
बिहार में मोक्ष स्थली के नाम विश्व प्रसिद्ध गया केवल हिंदू ही नहीं बल्कि बौद्ध धर्म के मानने वालों के लिए बेहद पावन स्थलों में से एक हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि गया एक राक्षस गयासुर के नाम पर स्थापित है। गया का नाम राक्षस गयासुर के कारण पड़ा। भगवान विष्णु के वरदान के चलते इस स्थान को पिंडदान और श्राद्ध करने वाले के लिए पुण्य प्रदान करने वाले स्थान के रुप पूजा जाता है। वहीं बौद्ध धर्म के अनुयायी इसे महात्मा बुद्ध का ज्ञान क्षेत्र मानते हैं।
पुराणों के अनुसार गया में एक राक्षस गयासुर रहता था। गयासुर को उसकी तपस्या के कारण वरदान म‌िला था क‌ि जो भी उसे देखेगा या उसका स्पर्श करेगा।उसे यमलोक नहीं जाना पड़ेगा। ऐसा व्यक्त‌ि सीधे व‌िष्‍णुलोक जाएगा। इस वरदान के कारण यमलोक पहुंचने वालों की संख्या कम होने लगी। इस समस्या के उतपन्न होने पर यमराज ने जब भगवान श्री ब्रह‍्मा, भगवान श्री व‌िष्णु और भोले नाथ से कहा क‌ि गयासुर के कारण अब पापी लोगो भी बैकुंठ जाने लगे हैं। इस समस्या का समाधान किया जाए। तब भगवान ब्रह‍्मा जी ने गयासुर से कहा क‌ि तुम परम पव‌ित्र हो। इसल‌िए देवता चाहते हैं क‌ि हम आपकी पीठ पर यज्ञ करें। राक्षस गयासुर इसके ल‌िए तैयार हो गया। गयासुर के पीठ पर सभी देवता और गदा धारण कर व‌िष्‍णु स्‍थ‌ित हो गए। गयासुर के शरीर को स्‍थ‌िर करने के ल‌िए इसकी पीठ पर एक बड़ा श‌िला भी रखी गई। यह श‌िला आज प्रेत श‌िला कहलाती है। गयासुर के इस समर्पण से व‌िष्‍णु भगवान ने वरदान द‌िया क‌ि अब से यह स्‍थान जहां तुम्हारे शरीर पर यज्ञ हुआ है। वह गया के नाम से जाना जाएगा। यहां पर प‌िंडदान और श्राद्ध करने वाले को पुण्य और प‌िंडदान प्राप्त करने वाले को मुक्त‌ि म‌िल जाएगी। यहां आकर आत्मा को भटकना नहीं पड़ेगा।

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शंखचूड़ जालंधर के नाम से स्थापित है जालंधर
पंजाब के जालंधर शहर का नाम भगवान शिव के बेटे शंखचूड़ जालंधर के नाम पर रखा गया है। कहा जाता है जालंधर की राक्षसी प्रवृति के कारण भगवान शिव ने ही जालंधर का वध किया था।

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दानव तंजान के नाम पर स्थापित हुआ तंजौर
तंजावुर या तंजौर का नाम हिंदू पौराणिक कथाओं के दानव तंजान के नाम से लिया गया है। ये शहर बृहदेश्वर मन्दिर के लिए प्रसिद्ध है। दानव तंजान के नाम स्थापित इस शहर के मंदिर के निर्माण में पत्थरों को जोड़ने के लिए किसी भी तरह के सीमेंट, मिट्टी, चूना या किसी अन्य चीज का प्रयोग नहीं किया था। इसके निर्माण पजल्स सिस्टम का उपयोग किया गया था।

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महिषासुर के नाम पर है मैसूर
पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार मैसूर का नाम राक्षस महिषासुर के नाम पर रखा गया थ। जो आज भी कायम है। राक्षस महिषासुर का वध माता चंडी ने किया था। सबसे खास बात यह भी है कि झारखंड में गुमला की पहाड़ियों पर बसने वाले आदिम जनजाति दानव महिषासुर को भगवान के रुप में पूजती है।

भगवान हरि विष्णु के नाम पर स्थापित है हरिद्वार
हरिद्वार का अर्थ है हरि का द्वार यानी भगवान तक पहुंचने का दरवाजा। हरिद्वार को चार धामों का प्रवेश द्वार माना गया। हरिद्वार का नाम भगवान श्री हरि विष्णु के नाम पर रखा गया है। हरिद्वार में ही गंगा बहती है। यहां पर ही हिंदू धर्म से संबंधित लोग मृ्त्यु के बाद अस्थियों का विसर्जन करने वल अन्य क्रियाएं पूर्ण करने पहुंचते हैं।

माता चंडी के नाम पर स्थापित है चंडीगढ़
पंजाब व हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ का नाम माता के योद्धा स्वरूप चंडी देवी पर रखा गया था। चंडीगढ़ का असल अर्थ देवी चंडी का किला है। इस इलाके में चंडी देवी का मंदिर भी स्थापित हैं।

ऋषि मनु के नाम पर मनाली
हिंदू धर्म के अनुसार मनु संसार के प्रथम पुरुष थे। मनु के संग प्रथम स्त्री थी शतरूपा। ब्रह्मा द्वारा प्रकट होने के कारण ही मनु स्वयंभू कहलाये। इन्हें प्रथम पुरुष और प्रथम स्त्री के रुप में माना जाता है। इस धरती पर समस्त इंसानों को मनु की संतान कहा जाता है। स्वयंभुव मनु को आदि भी कहा जाता है। आदि का अर्थ होता है प्रारंभ। मनाली का नाम मनु स्मृति लिखने वाले ऋषि मनु के नाम पर ही रखा गया है।

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ब्रिटिश शासकों ने इंदूर को इंदौर का नाम दिया
शिप्रा की सहायक सरस्वती और खान धाराओं पर स्थित इंदौर शहर मध्य प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध शहर है। सबसे खास बात यह भी है कि स्वर कोकिला लता मंगेशकर का जन्म इसी शहर में हुआ। इंदौर का नाम पहले इंदूर था। यह नाम इंद्रेश्वर मन्दिर के नाम पर रखा गया था। ब्रिटिश काल में इंदूर नाम को बदल कर इंदौर कर दिया गया था।

अनंत भगवान के नाम पर है तिरुवनन्तपुरम
तिरुवनन्तपुरम का नाम पधनाभस्वामी मन्दिर के मुख्य देवता अनंत भगवान के नाम पर रखा गया है। तिरुवनन्तपुरम को मौजूदा समय में त्रिवेंद्रम भी कहा जाता है। यह स्थान केरल के प्रमुख शहरों में से एक है।

ऋषि जाबालि के नाम पर है जबलपुर

जबलपुर का नाम रामायण काल के जाबालि ऋषि के नाम पर रखा गया था। यह नाम आज भी प्रचलित है। एक मान्यता के अनुसार जबल का मतलब पर्वत भी होता है।

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सूर्य पुत्र कर्ण के नाम पर है कानपुर
उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहर कानपुर का प्राचीन नाम कान्हपुर था। माना जाता है कि कानपुर शहर का नाम महाभारत के दानवीर सूर्य पुत्र कर्ण के नाम पर रखा गया है।

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मुंबा देवी के नाम पर है मुंबई
मुंबई का पहले नाम बंबई था। इसके बाम्बे भी कहा जाता था। मुंबई का नाम यहां के प्रसिद्ध मुंबा देवी मंदिर के नाम पर रखा गया है। मुंबा शब्द महा और अंबा से मिलकर बना है।

मंगला देवी के नाम पर स्थापित हुआ मंगलौर
मंगलौर का नाम शहर के मंगलादेवी मंदिर के नाम पर रखा गया है। मंगला देवी मंदिर केरल और तमिलनाडू राज्यों की सीमा पर स्थित है।

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शयामला देवी के नाम पर बना शिमला
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला का नाम कालिका देवी के अवतार श्यामला देवी के नाम पर रखा गया है। भारत में अंग्रेज शासनकाल के दौरान श्यामला देवी के नाम को बदल कर शिमला किया गया।

 

प्रदीप शाही

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