दुनिया भर के लोकतांत्रिक देशों ने इकठ्ठा होकर कोविड 19 के दौरान मतदान करवाने संबंधी अनुभव साझे किए

नई दिल्ली/चंडीगढ, 22 सितम्बर:

एसोसिएशन ऑफ वल्र्ड इलैक्शन बॉडीज (ए-वेब) की अध्यक्षता का एक साल पूरा होने पर भारत के चुनाव आयोग ने आज ‘‘मुद्दे, कोविड-19 दौरान मतदान के आयोजन के लिए चुनौतियां और सावधानियां’’ विषय पर एक इंटरनेशनल वैबिनार की मेज़बानी की। यह ऐसा मौका था जब दुनिया भर के लोकतांत्रिक देशों ने इकठ्ठा होकर कोविड 19 के दौरान मतदान का आयोजन करवाने संबंधी तजुर्बे साझे किये।

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जि़क्रयोग्य है कि पिछले साल बेंगलुरु में आयोजित हुए ए-वेब की चौथी महासभा के सम्मेलन दौरान 2019-2021 के लिए 3 सितम्बर, 2019 को भारत ने चेयर का पद संभाला था। वैबिनार का उद्घाटन करते हुए भारत के माननीय मुख्य चुनाव आयुक्त और चेयरपर्सन (ए-वेब) श्री सुनील अरोड़ा ने कहा कि महामारी के हैल्थ एमरजैंसी की स्थिति में लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पूरे विश्व में मतदान करवाना बहुत कठिन है।
उन्होंने कहा कि हर देश का प्रासंगिक ढांचा अलग-अलग है, बीमारी का प्रभाव भी अलग अलग है और इसलिए हर देश की नोवल कोरोना वायरस और इसके विनाशकारी प्रभावों के साथ लडऩे की क्षमता भी अलग है। उन्होंने कहा कि दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया, मालावी, ताईवान, मंगोलिया और अन्य बहुत से देश लोगों की सेहत और सुरक्षा को यकीनी बनाने वाले प्रबंधों को अपनाकर ही निर्धारित मतदान करवाकर आगे बढ़े हैं। ऐसे सभ्यक प्रबंधों को अपनाने की ज़रूरत है।
श्री सुनील अरोड़ा ने बताया कि भारत में मतदान बड़ी चुनौतियां हैं जैसे कि बड़ा चुनाव क्षेत्र, भौगोलिक और भाषाई विभिन्नताओं और अलग अलग मौसम की स्थिति आदि। बिहार में आने वाले विधानसभा मतदान के लिए पैमानो बारे उन्होंने बताया कि बिहार में वोटरों की कुल संख्या 72.9 मिलियन है।

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मतदान पर कोविड-19 के प्रभावों बारे स्पष्ट करते हुए श्री अरोड़ा ने बताया कि कैसे कोविड 19 संकटकालीन और सामाजिक दूरी के उपायों के लिए भारतीय चुनाव आयोग के मौजूदा निर्देशों को फिर से जांचने की ज़रूरत है। एक पोलिंग स्टेशन पर अधिक से अधिक वोटरों की संख्या को 1500 से घटाकर 1000 कर दिया गया और नतीजे के तौर पर पोलिंग स्टेशनों की संख्या में 40 प्रतिशत बढ़ौतरी हुई जोकि 65,000 से बढक़र 100,000 हो गए। इन तबदीलियों से लॉजिस्टिक्स और मानवशक्ति में विस्तार होगा। सीईसी ने बताया कि आयोग बिहार के दौरे संबंधी अगले दो से तीन दिनों के अंदर अंदर फ़ैसला लेगा।

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मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी बताया कि चुनाव आयोग ने बुज़ुर्ग नागरिकों, महिलाओं, दिव्यांगों और मौजूदा हालत में कोविड पॉजिटिव वोटरों और क्वारंटीन अधीन लोगों को वोट डालने की सुविधा देने पर ज़ोर दिया है। इस संदर्भ में, सी.ई.सी. ने बताया कि कैसे नवंबर-दिसंबर 2019 में झारखंड के विधानसभा मतदान और फरवरी 2020 में दिल्ली के विधानसभा मतदान के दौरान 80 साल से अधिक उम्र वाले व्यक्तियों, दिव्यांगों और ज़रूरी सेवाओं में लगे व्यक्तियों को पोस्टल बैलेट की सुविधा दी गई थी। पोस्टल बैलेट की यह सुविधा उन कोविड पॉजिटिव वोटरों को भी दी गई जो कि क्वारंटीन अधीन या हस्पताल में दाखि़ल हैं।
श्री सुनील अरोड़ा ने कोविड के दौरान मतदान करवाने के लिए उचित और विस्तृत दिशा निर्देश बनाने बारे बताया। उन्होंने जून, 2020 के महीने में राज्यसभा की 18 सीटों पर हुए मतदान के सफल आयोजन का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि साल 2021 के पहली छमाही में पश्चिमी बंगाल, असाम, केरल, पुडूचेरी और तामिलनाडु राज्यों में मतदान होने हैं। सी.ई.सी ने सितम्बर 2019 में बंगलुरू में हुई ए.डब्ल्यू.ई.बी. महासभा को याद किया। उन्होंने बताया कि आज यह वैबिनार ई.सी.आई. द्वारा ए-डब्ल्यू.ई.बी. के चेयरमैन के तौर पर एक साल का कार्यकाल मुकम्मल करने के अवसर पर इंडिया ए-डब्ल्यू.ई.बी. सैंटर के नेतृत्व अधीन आयोजित किया जा रहा है।

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आज जारी किये जा रहे दो प्रकाशनों ‘देशों, ईएमबी के मैंबर और ए-डब्ल्यू.ई.बी. की सहभागी संस्थाओं के संक्षिप्त प्रोफाइल और ‘कोविड-19 और अंतरराष्ट्रीय चुनाव अनुभव’, का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह शोधकर्ताओं और अभ्यास करने वालों के लिए समान लाभकारी साधन साबित होंगे। उन्होंने कहा कि ए-डब्ल्यू.ई.बी. इंडिया सैंटर ने ए.डब्ल्यू.ई.बी. जर्नल ऑफ इलैक्शंस नामक विश्व स्तरीय पत्रिका प्रकाशित करने में भी काफ़ी प्रगति की है। इस पत्रिका का पहला अंक मार्च 2021 में जारी किया जायेगा।

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आज इस वैबिनार में दुनिया भर के 45 देशों (जैसे कि अंगोला, अर्जन्टीना, आस्ट्रेलिया, बंाग्लादेश, भूटान, बोस्निया और हर्जेगोविना, बोत्सवाना, ब्राजील, कम्बोडिया, कैमरून, कोलम्बिया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कौंगो, डोमिनिका, एल सेल्वाडोर, ईथोपिया, फीजी, जॉर्जिया, इंडोनेशिया, जॉर्डन, कजाकिस्तान, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, किरगिज रिपब्लिक, लायबेरिया, मालावी, मालदीव, मालडोवा, मंगोलिया, मोजामबीक, नाइजीरिया, फिलस्तीन, फिलपींस, रोमानिया, रूस, सायो टोम और प्रिंसिप, सोलोमन आइलैंड, सियरा ल्योन, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, सूरीनेम, स्वीडन, ताईवान, टोंगा, तुर्की, उजबेकिस्तान और जांबिया) के 120 से अधिक प्रतीनिधियों और 4 अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं (जैसे कि इंटरनैशनल आई.डी.ई.ए., इंटरनैशनल फाउंडेशन ऑफ इलैक्टोरल सिस्टम्स (आई.एफ.ई.एस.), ऐसोसीएशन ऑफ वल्र्ड इलेक्शन बॉडिज (ए-डब्ल्यू.ई.बी.) और योरोपियन सैंटर फॉर इलैक्शंस ने भाग लिया।
ऐसोसीएशन ऑफ वल्र्ड इलेक्शन बॉडीज (ए-डब्ल्यू.ई.बी.) अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इलैक्शन मैनेजमेंट बॉडीज (ई.एम.बीज़) की सबसे बड़ी ऐसोसीएशन है। मौजूदा समय में ए-डब्ल्यू.ई.बी के पास सहयोगी सदस्यों के तौर पर 115 ई.एम.बीज़ और एसोशिएट सदस्यों के तौर पर 16 क्षेत्रीय ऐसोसीएशन/संस्थाएं हैं। ई.सी.आई. साल 2011-12 से ए-डब्ल्यू.ई.बी. के गठन की प्रक्रिया के साथ बहुत पास से जुड़े हुए हैं।
—NAV GILL

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