रानी पद्मावती ने जहां जौहर किया था वहां सरकार ने बनाया गार्डन

राजस्थान अपने शाशन के साथ साथ अपनी शूरवीरता के लिए भी प्रसिद्ध है | शूरवीरो की धरती पर राजस्थान का एक राज्य ऐसा भी है जो जौहर के लिए प्रसिद्ध है| हम बात कर रहे है चित्तौड़ की| चित्तौड़गढ़ दुर्ग भारत का सबसे विशाल किला है। यह किला इतिहास की सबसे खूनी लड़ाईयों का भी  गवाह रहा है| जब यहाँ रावल रतन सिंह का राज था तभी यहाँ पहला जौहर हुआ था | जहां यह जौहर हुआ था उस जगह को अब अर्कोलॉजिकल डिपार्टमेंट ने गार्डन का रूप दिया दे दिया है | यहाँ पहले  30 से 40 फुट गहरा कुंड होता था जो कि जौहर कुंड कहलाता था | यह वही जौहर कुंड है जहां इतिहास में तीन बार जौहर किया गया था | पहला जौहर रानी पद्मावती, दूसरा जौहर रानी कर्णावती ,और तीसरा जौहर फूल कँवर  के नेतृत्व में किया गया था | यहाँ अकबर के शाशनकाल में 8  हज़ार सैनिको कि विधवाओं ने भी जौहर किया था |
 सन 1303  अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में जब खिलजी का मन रानी पद्मावती को हासिल करने का हुआ तो खिलजी ने चित्तोड पर आक्रमण कर दिया जिसमें राजा रावल रतनसिंह और उनके कई सैनिक  मारे गए | जब यह समाचार रानी पद्मावती को मिला तो रानी पद्मावती ने युद्ध में मारे गए सैनिको की विधवाओं के साथ कुल 16 हज़ार महिलाओं का नेतृत्व करते हुए जौहर किया | यह चित्तोड़ का पहला जौहर था |
 दूसरा जौहर राणा विक्रमादित्य के शासनकाल मेें सन् 1535 ई. में किया गया था | उस समय गुजरात के शासक बहादुर शाह थे | सन1526 में चित्तोड़ के महाराणा सांगा  जिन्होंने पानीपत के मैदान में  खंडवा का युद्ध लड़ा था बुरी तरह से घायल हो गए थे | उस युद्ध में उनका एक हाथ, एक पैर, और एक आँख चले गए थे और 80 घाव उनके शरीर पर थे | कुछ समय तो ऐसे ही निकल गया पर राणा सांगा  अभी भी पूरी तरह ठीक नहीं हुए थे | 1535 में जब  बहादुर शाह ने बड़ा हमला किया तो उस वक़्त बाबर से लड़ते हुए सांगा  कि सेनाएं कम हो गई थी | तब रानी कर्णावती ने हुमायु को राखी भेज कर अपना भाई बनाया था और यहाँ मदद के लिए बुलाया मगर जब तक हुमायु यहाँ आया देर हो चुकी थी | राणा सांगा  सहित कई सैनिक युद्ध में मारे गए |  रानी कर्णावती ने 13 हज़ार औरतों के साथ यही इसी कुंड में लकड़ियाँ डाल कर 8मार्च,1535 ई. को जौहर किया | राजस्थान के राज्य चित्तौडग़ढ़ में एक बार फिर से जौहर का इतिहास दोहराया गया |
 तीसरा जौहर अकबर के समय किया गया | अकबर का सपना था कि पूरे हिन्दुस्तान पर राज करना | यहाँ आसपास के कुछ राज्य जो कि युद्ध नहीं चाहते थे उन्होंने तो अकबर से संधि कर ली और कुछ राज्य युद्ध में हार गए| जब अकबर ने राणा उदयसिंह के पास संधि का प्रस्ताव भेजा तो राणा उदयसिंह ने  यह कहकर ठुकरा दिया कि हम राजपूत है लड़ मरेंगे पर किसी के आगे गुलामी नहीं करेंगे | अकबर ने हमला कर मेवाड़ के छोटे छोटे राज्यों को अपने कब्जे में किया | इस वक़्त उदयसिंह के पास केवल 8 हज़ार सैनिक ही बचे थे तो राणा के सेनापति पत्ता सिसोदिया  बोले कि हम अकबर के 1 लाख 80 हज़ार सैनिको का मुकाबला नहीं कर सकते और राज परिवार भी ख़तम हो जाएगा | सेनापति कि सलाह पर उदयसिंह अपने बेटे महाराणा प्रताप  को लेकर अरावली की पहाड़ियों पर चले गए | अकबर के आक्रमण के बाद किले पर विजय का समाचार जब उदय सिंह को मिला तो वह यहाँ लौट कर नहीं आए|   25 फरवरी,1568 में पत्ता सिसौदिया की पत्नी फूल कँवर ने और युद्ध में मारे गए सैनिको की 8 हज़ार विधवाओं ने जौहर किया गया | एक बार फिर इतिहास दोहराया गया | बाद में उदयसिंह ने उदयपुर बसाया | चित्तोड़ का किला फिर कभी आबाद नहीं हुआ |
अब यहाँ जौहरकुण्ड की जगह हवनकुंड और गार्डन बना दिया गया है | होली की एकादशी पर हर साल यहाँ जौहर मेला होता है| इस मेले में बहुत दूर दूर से राजपूत भाग लेने आते है | मेवाड़ के वंशज जो अभी भी है अरविन्द सिंह , मेवाड़ महाराणा महिंदर सिंह जो उदयपुर के सिटी पैलेस में रहते है पूरे राज परिवार के साथ आकर हवनकुंड में यज्ञ कर रानी पद्मावती , रानी कर्णावती और सेनापति पत्ता सिसौदिया की पत्नी फूल कँवर और दासियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते है |
-वंदना

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