जानिए.. ‘ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ’  का ऐतिहासिक व प्राकृतिक महत्व ?

वसुधैव कुटुम्बकम् यानि सारी धरती एक परिवार है। इस परिवार में कई धर्मो के लोग रहते हैं जिनमें हिन्दू धर्म के लोगों के लिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व होने के साथ साथ इस दिन भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व भी होता है। आज हम आपको बताएंगे कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के ऐतिहासिक दिन का क्या महत्व है । साथ ही इस दिन का प्राकृतिक महत्व भी है इससे जुड़ी जानकारी भी हम आपको देंगे।

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चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन हमारी सृष्टि की रचना हुई थी । ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना का प्रथम सूर्योदय इसी दिन से किया था । सम्राट विक्रमादित्य ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही अपने राज्य की स्थापना की थी और इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन भी प्रारंभ होता है। कहा जाता हैं कि भगवान श्री राम के राज्याभिषेक का दिन भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ही था। शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र का पहला दिन भी यही है।
सिक्खों के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी का जन्म चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को हुआ था। साथ ही स्वामी दयानंद सरस्वती जी जिनको आर्य समाज का संस्थापक भी कहा जाता है उन्होंने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की थी एवं कृणवंतो विश्वमआर्यमका संदेश दिया। विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने के लिए यही दिन चुना था ।
सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार भगवान झूलेलाल इसी दिन प्रकट हुए थे। महाभारत के युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था । संघ संस्थापक डॉ केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ही था । महर्षि गौतम जयंती भी इस दिन होती है।

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भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व
वसंत ऋतु जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है का आरंभ नववर्ष प्रतिपदा से ही होता है। फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है। कहा जाता है की इस समय नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।
भारतीय नववर्ष पुराने और नए तरीकों को साथ मिलकर मनाना चाहिए। परस्पर एक दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएँ पत्रक बांट कर , झंडे, बैनर आदि लगा कर देनी चाहिए । अपने परिचित मित्रों, रिश्तेदारों को नववर्ष के शुभ संदेश भी देने चाहिए। इस मांगलिक अवसर पर सभी को अपने-अपने घरों पर भगवे रंग की पताका फेहरानी चाहिए। अपने घरों के दरवाजों व मुख्य द्वारों पर आम के पत्तों के वंदनवार बनाकर लगाने चाहिए। साथ ही घरों और धार्मिक स्थलों की सफाई करके रंगोली तथा फूलों से सजावट करनी चाहिए। इस अवसर पर होने वाले धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए।

कलश व शोभा यात्रा का करें आयोजन
इस पावन व महत्वपूर्ण दिन पर कलश यात्रा व शोभा यात्रा का आयोजन करें और इस में हिस्सा लें। और साथ ही भजन संध्या भी आयोजित करनी चाहिए। धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होकर इस दिन को मनाएं।

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इस दिन दान का है विशेष महत्व
इस शुभ दिन पर किया गया दान फलित होता है। इस लिए इस दिन के दान का विशेष महत्व है। भारतीय नववर्ष के आरंभ पर किसी चिकित्सालय में दवाईयों व मरीजों को फल इत्यादि का दान किया जा सकता है। इसके साथ ही गौशाला में जाकर गाय की सेवा व चारे का दान करना भी शुभ माना जाता है। समाज सेवा में भी आप अपना योगदान डाल सकते हैं। इस दिन आप किसी रक्तदान शिविर में रक्त दान कर सकते हैं।

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