ऐसा गणेश मंदिर.. जिसके आसपास के क्षेत्र में नहीं टिकती कोई ‘बुरी शक्ति’

इन चार मंदिरों में साक्षात विराजमान हैं भगवान श्री गणेश
भारत में किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत करने से पहले भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने का विधान है। हिन्दू धर्म में भगवान गणेश के प्रति लोगों में अथाह श्रद्धा व आस्था है। पूरे देश में भगवान गणेश से संबंधित मंदिर मौजूद हैं। इन मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठित गणपति अपने भक्तों के विघ्न हरकर सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। राजस्थान के प्रसिद्ध शहर उदयपुर में मौजूद चार गणेश मंदिर ऐसे हैं जहां पर भक्त अपने मन की मुरादें लेकर आते हैं और भगवान गणेश अपने भक्तों को निराश नहीं करते। सच्चे मन से भक्तों द्वारा की गई प्रार्थना खाली नहीं जाती। आज हम आपको इन चारों मंदिरों के इतिहास के बारे में जानकारी देंगें।

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बोहरा गणेश मंदिर
बोहरा गणेश मंदिर राजस्थान के शहर उदयपुर के गणेश मंदिरों में से एक है। यह मंदिर लगभग 350 साल से अधिक प्राचीन है। यह प्राचीन मंदिर पहले ‘बोर गणेश जी’ के नाम से प्रसिद्ध था। इस मंदिर में स्थापित भगवान गणेश की मूर्ति नृत्य करने की मुद्रा में है। ‘बोर गणेश’ से इस मंदिर का नाम बाद में ‘बोहरा गणेश’ पड़ गया। इसके साथ भी एक प्रसंग जुड़ा है। कहा जाता है कि आज से तकरीबन 80 साल पहले किसी भक्त को किसी कार्य के लिए, शादी या कोई व्यवसाय करना होता था तो वह इस मंदिर में एक कागज पर अपनी मांग लिखकर रख जाते था। और कहते हैं कि भगवान गणेश उस भक्त की मदद जरूर करते थे। इसके बाद भक्त वह पैसा ब्याज सहित मंदिर में वापिस कर देता थे। इस इलाके में ब्याज पर पैसे देने का काम बोहरा जाति के लोग करते हैं। इसीलिए भक्तों की धन संबंधी मदद करने के कारण ही इस मंदिर का नाम ‘बोहरा गणेश’ पड़ा। हालांकि आज लोग इस मंदिर में ऐसी सहायता नहीं मांगते लेकिन फिर भी इस मंदिर के प्रति लोगों की श्रद्धा ज्यों की त्यों है। आज भी इस मंदिर में देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।

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पाला गणेश मंदिर
पाला गणेश उदयपुर के गुलाब बाग क्षेत्र में स्थित है। पाला गणेश मंदिर उदयपुर के प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस प्राचीन मंदिर का निर्माण आज से पांच सौ साल पहले हुआ माना जाता है। इस मंदिर के इतिहास के साथ एक कथा जुड़ी है। कथा के अनुसार बंजारा जाति से संबंधित एक लाखा बंजारा नामक व्यक्ति आज से तकरीबन 500 सौ साल पहले इस स्थान से जा रहा था। थकावट के चलते वह इस स्थान पर कुछ समय के लिए विश्राम करने के लिए रुका था। विश्राम के दौरान ही लाखा बंजारा ने वहां पड़े गोबर से भगवान गणेश की मूर्ति का निर्माण किया। रात के समय नजदीक से बहने वाली नदी में अचानक पानी का स्तर बढ़ गया। उस समय सभी सोए हुए थे। नदी के पानी में सभी जानवर भी बह गए और साथ ही लाखा बंजारा द्वारा बनाई भगवान गणेश की मूर्ति भी बह गई। इसके बाद इस घटना से दुखी होकर लाखा ने महाराणा से मदद की गुहार लगाते हुए मंदिर बनवाने की अरज की। इसी के चलते यह मंदिर पाला गणेश के नाम से प्रसिद्ध हुआ। पाला गणेश मंदिर में गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।

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जाड़ा गणेश मंदिर
जाड़ा गणेश मंदिर भी उदयपुर का प्राचीन मंदिर है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण एक पंडित परिवार ने आज से लगभग 250 साल पहले करवाया था। इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं में इस मंदिर के प्रति अपार श्रद्धा व विश्वास है। भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में स्थापित मूर्ति में भगवान गणेश स्वयं निवास करते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित भगवान गणेश की मूर्ति का निर्माण सज्जनगढ़ किले के पत्थर से किया गया था। भगवान गणेश के भक्तों व मंदिर के आसपास रहने वाले लोगों का विश्वास है कि इस मंदिर के आसपास का क्षेत्र बेहद पावन व पवित्र है। इस क्षेत्र में कोई भी बुरी शक्ति प्रवेश नहीं कर सकती। वैसे तो जाड़ा गणेश मंदिर में पूरा साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं लेकिन गणेश चतुर्थी के अवसर सुबह चार बजे से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो जाता है। इसे भी पढ़ें…51 शक्तिपीठों में से एक है… ‘मां माया देवी शक्तिपीठ’
दुधिया गणेश मंदिर
उदयपुर में ही स्थित है दुधिया गणेश जी मंदिर। इस मंदिर में स्थापित मूर्ति सज्जनगढ़ की नींव रखने से पहले ही स्थापित कर दी गई थी। इस प्राचीन मंदिर का निर्माण महाराणा सज्जन सिंह द्वारा करवाया गया था। महाराणा सज्जन सिंह के समय में भी इस मंदिर में गणेश चतुर्थी का त्योहार श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाया जाता था। इस अवसर पर महाराणा परिवार सहित भगवान गणेश के दर्शन करने आता था। पूरे शहर में जशन का माहौल होता था और पूरे शहर में हजारों दीपक जलाए जाते थे व मिठाई बांटी जाती थी। आज भी इस मंदिर में हजारों की संख्या में भगवान गणेश के भक्त भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं।

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