जानिए कहां पर.. मां काली देवी ने पहलवान का रूप धारण कर.. किया था राक्षसों का वध

भारत एक आस्था प्रधान देश है। पूरे भारत में भगवान के कई रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है और भारत के कोने-कोने में विभिन्न देवी-देवताओं से संबंधित मंदिर मौजूद हैं। खासकर देव भूमि हिमाचल प्रदेश में कई प्राचीन, ऐतिहासिक और रहस्यमयी मंदिर मौजूद हैं जिनके दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते  हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही अदभुत मंदिर के बारे में जानकारी देंगें जो हिमाचल प्रदेश की वादियों में स्थित है।

पोहलानी माता मंदिर

भक्तों की आस्था का केन्द्र ‘माता पोहलानी’ का प्राचीन मंदिर हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल डलहौजी में स्थित है। जिस स्थान पर यह मंदिर स्थित है उस स्थान को डैनकुंड की वादियां कहा जाता है। देव भूमि हिमाचल प्रदेश के जिला चंबा के डलहौजी से महज 12 किलोमीटर की दूरी पर खूबसूरत वादियों में मां काली देवी पोहलानी माता के रूप में दर्शन देती हैं।

इसे भी पढ़ें…इस पावन स्थान पर जन्मे थे राम भक्त श्री हनुमान

मंदिर से जुड़ी कथाएं

मान्यता है कि हजारों साल पहले इस इलाके में राक्षसों का वास था इसलिए इस रास्ते से कोई नहीं गुज़रता था। इस स्थान को राक्षसों से मुक्त करवाने के लिए देवी काली मां ने पहलवान का रूप धारण कर उन राक्षसों का संहार किया था। इसलिए इस मंदिर को पोहलवानी माता के नाम से जाना जाता है। लोगों का यह भी मानना है कि डेनकुण्ड नामक स्थान पर डायने रहा करती थीं। इस स्थान पर  आज भी वह कुंड देखे जा सकते हैं। लोगों का कहना है कि डैन अमावस्या के अवसर पर अब भी इस स्थान पर डायनें आती हैं।

एक अन्य कथा के अनुसार लोगों को अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए मां काली  डैन कुंड की इन पहाड़ियों पर एक बड़े पत्थर से प्रकट हुई। कहते हैं कि उस पत्थर के फटने की आवाज दूर दूर तक सुनाई दी और कन्या के रूप में माता ने हाथ में त्रिशूल धारण किया हुआ था। माता ने इसी स्थान पर एक पहलवान की तरह राक्षसों से लड़ कर उनका वध किया था। उस समय से ही माता को पहलवानी माता के नाम से पुकारा जाने लगा। यह भी कहा जाता है कि होवार के एक किसान को माता ने सपने में आकर मंदिर स्थापित करने को कहा था। माता की आज्ञा से ही इस स्थान पर माता का मंदिर स्थापित किया गया।

इसे भी पढ़ें…यहां पर जमीन में गड़ा है भगवान परशुराम जी का फरसा…

सर्दियों में बर्फ से ढक जाता है मंदिर

हिमाचल प्रदेश का यह प्राचीन मंदिर रखेड़ गांव के पास पड़ता है। पोहलानी माता रखेड़ गांव के वासियों की कुलदेवी भी है। इसी गांव के लोगों द्वारा बनाई गई कमेटी ही इस मंदिर की देख रेख और संभाल करती है। समुद्र तल से इस मंदिर की उंचाई 2200 मीटर के करीब है। गर्मी के मौसम में दूर-दूर से श्रद्धालु व पर्यटक इस मंदिर के दर्शन करने व प्रकृति के नज़ारों का आनन्द मानने आते हैं। लेकिन सर्दी के मौसम में यह इलाका पूरी तरह से बर्फ से ढक जाता है।

इसे भी पढ़ें…एक ऐसा मंदिर जिसमें रात को रुकना मना है… इंसान बन जाता है पत्थर !!

भक्तों की हर मनोकामना होती है पूरी

पोहलानी देवी को पहलवानों की देवी कहा जाता है। इस मंदिर में माता के दर्शनों के लिए सारा साल ही बड़ी संख्या में भक्त आते हैं लेकिन नवरात्रि के अवसर पर इस पावन स्थान पर भक्तों की बड़ी भीड़ होती है। इस मंदिर से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। भक्त माता के पास अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं, लोगों का विश्वास है कि पोहलानी माता अपने भक्तों की मनोकामनाएं जरूर पूरी करती है और साथ ही मनोकामना पूरी होने के बाद भक्त माता के दर्शन करके माता का धन्यवाद करने के लिए भी जरूर आते हैं।

इसे भी पढ़ें…महाभारत कालीन इस मंदिर में समुद्र की लहरें करती हैं…शिवलिंग का जलाभिषेक

मंदिर तक कैसे पहुंचें

माता पोहलानी’ का प्राचीन मंदिर हिमाचल प्रदेश के डलहौजी में डैनकुंड की वादियों में स्थित है। डलहौजी एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है जो चंबा जिले में पड़ता है। पठानकोट से डलहौजी की दूरी 85 किलोमीटर के करीब है। यहां से बस या टैक्सी के द्वारा डलहौजी तक पहुंचा जा सकता है। आगे डलहौजी से मंदिर की दूरी 12 किलोमीटर है। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा स्थित गग्गल एयर पोर्ट से डलहौजी 108 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से भी बस या टैक्सी के द्वारा मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।

धर्मेन्द्र संधू

LEAVE A REPLY