चंडीगढ़ में पंजाबी हितैषियों द्वारा लगाई गई पंचायत

-नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा चंडीगढ़ में मातृभाषा का छीना हुआ गौरव बहाल करने के लिए लोक लहर चलाने करने का न्योता
-पर्यटन एवं सांस्कतिक विभाग पंजाबी के नामवार लेखकों के पैतृक घरों को जोडऩे के लिए सर्कट बनाएगा
-स्थानीय निकाय विभाग का समूह कामकाज और शहरों के साईन बोर्डों पर पंजाबी को प्राथमिकता का मिलेगा दर्जा-सिद्धू
-मातृभाषा की कीमत पर किसी अन्य भाषाओं को स्वीकार नहीं किया जा सकता-सुरजीत पातर
-भाषाई गुलामी की जंजीरेंं तोडऩा समय की मुख्य ज़रूरत-सतनाम माणक
-छोटा बच्चा सबसे आसानी से मातृभाषा में ही सीख सकता-जोगा सिंह
चंडीगढ़, 1 जुलाई: पंजाब के सांस्कृतिक और पर्यटन मंत्री स. नवजोत सिंह सिद्धू ने चंडीगढ़ में पंजाबी मातृभाषा का छीन हुआ गौरव हासिल करने के लिए लोक लहर खड़ी करने का न्योता दिया। उन्होंने कहा कि पंजाबी हमारी पहचान और ज़मीर है और यदि इसको खो बैठेंगे तो हमारा अस्तित्व ही नहीं रहेगा।  इसलिए मातृभाषा का रुतबा बहाल करने के लिए आंदोलन खड़ा करना पड़ेगा और चंडीगढ़ की इस लड़ाई में हर पंजाबी को कूदना पड़ेगा तो ही इसको अपेक्षित मान-सम्मामन मिलेगा।
स.सिद्धू ने यह न्योता आज यहाँ सैक्टर 16 स्थित कला भवन में चंडीगढ़ पंजाबी मंच द्वारा पंजाब कला परिषद के नेतृत्व अधीन चंडीगढ़ प्रशासन में पंजाबी को सरकारी भाषा का रुतबा दिलाने के लिए बुलायी गई पंजाबी हितैषियों की पंचायत के दौरान संबोधित करते हुए दिया। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष हमें इक_े मिलकर लडऩा पड़ेगा और लोगों के गुस्से के आगे कोई भी सरकार या प्रशासन हो, उसे झुकना पड़ता है। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है और यहां पंजाबी मातृभाषा के साथ भेदभाव किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। उन्होंने कहा कि वह ख़ुद इस संघर्ष में उनके साथ खड़े हैं।
स. सिद्धू ने दुनिया के कई देशों की उदाहरणें देते हुए बताया कि कोई भी देश कितनी भी तरक्की कर ले परन्तु वहाँ के निवासियों ने मातृभाषा को कभी भी अनदेखा नहीं किया। उन्होंने कहा कि हमारी आने वाली पीढ़ी कार्टूनों के प्रभाव से पंजाबी मातृभाषा से किनारा कर रही है जिसके लिए हमें ज़रूरत है कि पंजाबी में कार्टून बनाऐ जाएँ। उन्होंने कहा कि उनके विभाग द्वारा पंजाबी के नामवर लेखकों जैसे भाई वीर सिंह, धनी राम चात्रिक, नानक सिंह, गुरबख़श सिंह प्रीतलड़ी, शिव कुमार बटालवी, अंमृता प्रीतम, बलवंत गार्गी आदि के पैतृक घरों को जोड़ता हुआ सर्कट बनाया जायेगा और बाहर से आने वाले पंजाबियों को इन स्थानों को दिखाने के लिए प्रयास किया जायेगा जिससे आने वाली पीढ़ी बड़े लेखकों के जीवन से कोई सीख ले सके। उन्होंने कहा कि यदि इंग्लैंड में विलियम शेक्सपियर का घर पर्यटनों के लिए आर्कषण का केंद्र हो सकता है तो हमारे किसी पंजाबी लेखक का घर क्यों नहीं। उन्होंने यह भी ऐलान किया कि स्थानीय निकाय विभाग द्वारा सभी शहरों के साईन बोर्डों पर पंजाबी भाषा को प्राथमिता देने के आदेश किये जाएंगे और पत्र व्यवहार सिफऱ् पंजाबी में लाजि़मी किया जायेगा।
पंजाब कला परिषद के चेअरपरसन पद्म श्री डा सुरजीत पातर ने बोलते हुए कहा कि वह किसी भी दूसरी भाषा का विरोध नहीं करते बल्कि सब भाषाओं का सत्कार करते हैं परंतु मातृभाषा पंजाबी की कीमत पर किसी दूसरी भाषा को अपनाने का विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि मातृभाषा की कीमत पर किसी अन्य भाषाओं को स्वीकार नहीं किया जायेगा। उन्होंने उदाहरणों सहित बताया कि यदि पहला बच्चा पंजाबी पढ़े और फिर अंग्रेज़ी या अन्य भाषा सीखे तो वह बढिय़ा भाषाएं सीख सकता है।
आज की पंचायत में मुख्य प्रवक्ता के तौर पर बोलते हुए सीनियर पत्रकार श्री सतनाम माणक ने कहा कि हमें भाषायी ग़ुलामियों की जंजीरों में बांधा गया जिसको तोडऩा समय की मुख्य ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि शिक्षा और प्रशासन की भाषा मातृभाषा ही होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पंजाबी भाषा को रोजग़ार की भाषा बनाने के लिए ज़रूरी है कि प्रशासनिक कामकाज सिफऱ् पंजाबी भाषा में हो। उन्होंने कहा कि दु:ख की बात है कि हमारी संसद, विधानसभाएं और अदालतों का कामकाज अंग्रेज़ी भाषा में होता है जोकि हमारे के साथ सरासर अन्याय है। उन्होंने कहा कि हमारा देश विभिन्न सभ्यताओं और भाषायी विभिन्नताओं वाला है जिस कारण हर क्षेत्र और राज्य की अपनी स्थानीय भाषा में कामकाज होना चाहिए। उन्होंने इस मुद्दे पर सभी पक्षों की सांझी मीटिंग का न्योता भी दिया जिसमें सभी राजनैतिक पार्टियों के नुमायंदे शामिल कर सांझी राय बनाई जाये।
दूसरे प्रवक्ता के तौर पर बोलते हुए भाषा विशेषज्ञ डा.जोगा सिंह ने कहा कि भाषा विज्ञानी यह सिद्ध कर चुके हैं कि छोटा बच्चा सबसे अधिक आसानी से मातृभाषा में सीख सकता है। उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि अंग्रेज़ी भाषा को सरकारी भाषा बना कर चंडीगढ़ प्रशासन स्थानीय लोगों के साथ भेदभाव कर रहा है। पत्रकार तरलोचन सिंह ने बोलते हुए कहा कि कितने जुल्म वाली बात है कि देश के 29 राज्यों और चंडीगढ़ को छोड़ कर बाकी 6 केंद्र साशित प्रदेश में कही भी अंग्रेज़ी को सरकारी भाषा का दर्जा हासिल नहीं जबकि यह धक्का सिफऱ् चंडीगढ़ के साथ किया है और इसी के खि़लाफ़ उन्होंने आज यह पंचायत बुलायी है। चंडीगढ़ पंजाबी मंच के देवी दयाल शर्मा ने कहा कि 13 लाख जनसंख्या वाले शहर चण्डीगढ़ में अंग्रेज़ी भाषा धक्के से थोपी गई है जो कि असंविधानक है क्योंकि हमारे संविधान में दर्ज 22 भाषायों में अंग्रेज़ी का नाम नहीं आता। केंद्रीय पंजाबी लेखक सभा द्वारा डा.सरबजीत ने बोलते कहा कि पंजाबी भाषा का मुद्दा भावुक मुद्दा नहीं बल्कि हमारे अमीर सभ्याचार, पृष्टभूमि और हमारी जड़ों का मामला है और हमें मिलकर लडऩा पड़ेगा। चंडीगढ़ के एक बुजुर्ग साधु सिंह ने अपनी दलीलें देते हुए कहा कि हमारी आने वाली पीढ़ी मातृभाषा और माँ बाप दोनों से ही दूर जा रही है। रघुबीर सिंह ने समूह गुरुद्वारा संगठनों की तरफ से बोलते इस संघर्ष में पूर्ण समर्थन देने के भरोसा दिलाया।
इससे पहले पंजाब कला परिषद के जनरल सचिव डा.लखविन्दर जौहल ने प्रत्येक मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि पंजाबी भाषा के मुद्दो की लड़ाई जीतने के लिए मिलकर प्रयास करने की ज़रूरत है और आज की सभा इसकी गवाही देती है कि हम कितने गंभीर हैं। दीपक शर्मा चनारथ ने बखूबी स्टेज की कार्यवाही चलाने के साथ अपनी तकरीरों से पंजाबी मातृभाषा की इस लड़ाई को जीतने के लिए हर संभव यत्न करने का वचन दोहराया। अंत में पंजाबी लेखक सभा चंडीगढ़ की तरफ से बलवान सिद्धू ने प्रत्येक मेहमानों का धन्यवाद किया।
पंजाबी लेखक सभा चंडीगढ़ की देखरेख में ग्रामीण संघर्ष कमेटी चंडीगढ़, केंद्रीय पंजाबी लेखक सभा, समूह गुरुद्वारा प्रबंधन संगठन और अन्य सहयोगी संस्थाओं के सांझे उद्यम से बने चंडीगढ़ पंजाबी मंच द्वारा बुलायी इस पंचायत में लोकसभा मैंबर डा. धर्मवीर गांधी, श्री राम अर्श, डा.दीपक मनमोहन सिंह, पंजाब साहित्य अकादमी की प्रधान सरबजीत कौर सोहल, पंजाब कला परिषद के मीडिया को-आरडीनेटर निन्दर घुगियाणवी, सुशील दुसांझ, मनमोहन सिंह दाऊं, कर्म सिंह वकील आदि शामिल हुए।

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