घर में ऐसा करने से हो सकती हैं आपकी ‘आंखें’खराब… जा सकती है आंखों की रोशनी…. हो जाएं सावधान…

 -डॉ.धर्मेन्द्र संधू

आंखें मानव शरीर का महत्वपूर्ण अंग हैं। आंखों के बिना इस रंगीन दुनिया को देख पाना असंभव है। इसी लिए कहा जाता है कि आंखें गई तो जहान गया। आंखें इतनी संवेदनशील होती हैं कि इनकी देखभाल करना बेहद जरूरी है। कुछ सेहत समस्याओं रोगों के कारण आंखों की रोशनी कम होने लगती है। इसके अलावा अकसर हम भी जाने-अनजाने में कुछ गलतियां करते हैं जिनकी वजह से आंखें खराब हो सकती हैं।

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आंखें खराब होने के कारण

बढ़ती उम्र के साथ कम होती है आंखों की रोशनी

बढ़ती उम्र का प्रभाव आंखों पर भी पड़ता है। उम्र बढ़ने के साथ ही आंखों की रोशनी कम होने लगती है। रोशनी कम होने के साथ ही आंखों संबंधी कई प्रकार के रोग भी होने लगते हैं।

अन्य रोगों का पड़ता है आंखों पर प्रभाव

कई रोग ऐसे भी हैं जो आंखों पर बुरा प्रभाव डालते हैं। इन रोगों में डायबिटीज हाइपरटेंशन प्रमुख हैं। खून में शुगर की मात्रा बढ़ने से आंखों की रोशनी प्रभावित होती है और धीरे-धीरे कम होने लगती है। यहां तक कि आंखों की रोशनी बिल्कुल समाप्त हो सकती है। इस लिए डायबिटीज के मरीज़ों को अपना शुगर लेवल सही रखना चाहिए।

कम रोशनी में पढ़ना है नुकसानदायक

कम रोशनी में या लेटकर पढ़ना आंखों की रोशनी पर असर डालता है। यह आदत आंखों के लिए नुकसानदायक है। इससे आंखों पर अधिक दबाव पड़ता है। जिससे आंख के फोकस में नजदीक और दूर की चीजों के बीच का अंतर कम होने लगता है और आंखों की दूर नज़दीक की रोशनी प्रभावित होती है। इस लिए पूरी रोशनी में और सही ढंग से बैठकर ही पढ़ें।

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आंखों के लिए हानिकारक है तनाव

अगर आप भी तनाव में रहते हैं तो सावधान हो जाईए। मानसिक तनाव और अवसाद आंखों की समस्याओं को दावत देता है। इस संबंधी किए गए अध्ययनों में पाया गया है कि जो युवा तनाव में रहते हैं उनकी आंखों की रोशनी कम होने की संभावना बहुत बढ़ जाती हैं। इसलिए मानसिक तनाव से बचें और मन में नकारात्मक विचार आने दें। 

ज्यादा देर तक कंप्यूटर पर काम करना

आजकल हर आफिस में कंप्यूटर पर काम किया जाता है। कंप्यूटर के बिना किसी भी आफिस का काम प्रभावित होता है। ज्यादा देर तक कंप्यूटर पर काम करना भी आंखों के लिए नकसानदायक हो सकता है। इसलिए कंप्यूटर पर काम करते समय कुछ देर तक आंखों को आराम जरूर दिलाएं। हो सके तो इस दौरान आंखों पर डाक्टर की सलाह से चश्मा लगाकर रखें।

मोबाइल फोन का प्रयोग कम करें

कंप्यूटर की तरह ही मोबाइल फोन भी आंखों के लिए हानिकारक है। अध्ययनों में पाया गया है कि मोबाइल की लाईट आंखों पर प्रभाव डालती है। फोन की स्क्रीन से निकलने वाली एलेक्ट्रोमैग्नेटिक किरणें आंखों के रेटिना और कॉर्निया को प्रभावित करती हैं।

धूल-मिट्टी सूरज की किरणों से करें आंखों का बचाव

आंखों के लिए उड़ने वाली धूल मिट्टी भी नुकसानदायक है। बाहर निकलते समय आंखों पर चश्मा लगाकर निकलें। अगर धूल पड़ भी जाए तो आंखों को साफ पानी के साथ धो लें। आंखें मलने से आंखों में जख्म हो सकते हैं। आंखों पर लगाया चश्मा धूल-मिट्टी के साथ ही सूरज की हानिकारक किरणों से भी आंखों का बचाव करता है। 

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बिना डाक्टर की सलाह से आंखों में दवाई डालने से बचें

अकसर लोग आंखों में जलन खारिश होने पर खुद ही दवाई खरीद आंखों में डाल लेते हैं। लेकिन ऐसा करना आंखों के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। अनजाने में डाली गई दवाई आंखों की रोशनी को खत्म भी कर सकती है। आंखों में दवाई का उपयोग डाक्टर की सलाह से ही करें।

सिगरेट और शराब का सेवन है हानिकारक

धूम्रपान यानि सिगरेट का सेवन भी आंखों पर बुरा प्रभाव डालता है। सिगरेट में मौजूद केमिकल्स शरीर के अन्य अंगों के साथ ही आंखों के लिए भी नुकसानदायक है। सिगरेट पीने से आंखों से जुड़े रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। सिगरेट पीने से उम्र से पहले ही आंखों की रोशनी कम होने लगती है। इसके अलावा अध्ययनों में पाया गया है कि एल्कोहल यानि शराब का सेवन जितना लीवर के लिए हानिकारक है उतना ही आंखों के लिए भी। अकसर अधिक शराब पीने वाले लोगों की आंखों में हमेशा लाली रहती है और आंखों की रोशनी कम हो जाती है।

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