गायों और भैंसों की नसल में सुधार के लिए फरोजिऩ सीमान बैंकों में अंतरराष्ट्रीय स्तर की सेवाएं उपलब्ध- बलबीर सिद्धू

-2 प्रतिशत नसलकुशी गायों और भैंसों से 11811 हज़ार टन दूध का उत्पादन, देश के कुल दूध उत्पादन का 7.2 फीसदी
-पंजाब में प्रति व्यक्ति दूध की उपलबद्धता देश की अपेक्षा 3 गुणा ज्यादा
चंडीगड़, 1 जुलाई: पशुपालन और डेयरी के सहायक धंधों को लाभप्रदबनाने के लिए पंजाब सरकार ने नाभा और रोपड़ में चल रहे दो बुल्ल स्टेशन-कम-फरोजिऩ सीमन बैंक का व्यापक स्तर पर आधुनिकीकरण किया है, जहां उच्च कोटी के साँढों और भैंसों का वीर्य पशुपालकों को मुहैया करवाने के लिए पैदा किया जा रहा है।
इस संबंधी और अधिक जानकारी देते हुए राज्य के पशुपालन और डेयरी विकास मंत्री श्री बलबीर सिंह सिद्धू ने बताया कि उत्तरी भारत में पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर की अति आधुनिक ‘हाई बायोसक्योर सीमन उत्पादन लैब’ द्वारा कलीन रूम सीमन प्रोसैसिंग के साथ सीमन तैयार किया जा रहा है। जिसकी जांच जर्मनी प्रणाली के द्वारा की जा रही है। पंजाब सरकार ने पशु पालकों के लिए एच.एफ. और जर्सी नसलों के अमरीका ( भ्रूण तबादल तकनीक के द्वारा), जर्मनी और डेनमार्क से साँढ मंगवाए हैं जिससे किसानों को राज्य से ही बढिय़ा और प्रमाणित सीमन मुहैया करवाया जा रहा है।
श्री सिद्धू ने बताया कि पशु अस्पतालों की रूप-रेखा बदलने के लिए और बंद पड़ी डिस्पैंसरियों को चलाने के लिए पंजाब सरकार द्वारा जल्द बड़े फ़ैसले लिए जा रहे हैं जिससे गाँवों और दूर-दराज के इलाकों में जीवन व्यतीत कर रहे पशु पालकों को विभागीय सेवाएं मुहैया करवाई जा सकें। उन्होंने कहा कि राज्य में भैंसों के पालन के रुझान को देखते हुए जल्दी ही तरनतारन जिले के बूह गाँव में राष्ट्रीय स्तर का भैंसों का अनुसंधान केंद्र स्थापित किया जा रहा है जिसके लिए पहले बजट में पट्टी में भैंसों का अनुसंधान केंद्र स्थापित करने के लिए 20 करोड़ रुपए आरक्षित रखे गए थे।
पशुपालन मंत्री ने आगे बताया कि पंजाब सिफऱ् 2 प्रतिशत नसलकुशी गाएँ और भैंसों के साथ ही लगभग 11811 हज़ार टन दूध की वार्षिक पैदावार कर रहा है जो देश के कुल दूध उत्पादन का 7.2 प्रतिशत है और पंजाब में प्रति व्यक्ति दूध की उपलबद्धता देश की अपेक्षा 3 गुणा ज़्यादा है। उन्होंने कहा कि राज्य के विकास के लिए कृषि क्षेत्र के साथ-साथ पशुपालन विभाग भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
श्री सिद्धू ने कहा कि कृषि सैक्टर में मौजूदा समय रुकावट होने के कारण पशु पालन से संबंधित पेशें (डेयरी, पोल्ट्री, पिगरी, बकरी पालन /भेड़ पालन आदि) को उत्साहित करने की ज़रूरत है। इस मंतव्य के लिए योजना आयोग, भारत सरकार द्वारा भी एक अलग एडवाइजरी कमेटी गठित की हुई है जिस कमेटी ने विभिन्न राज्यों में जा कर मीटिंगें की और उन्होंने भी यह बात सुझायी है कि पशु पालन के साथ संबंधित पेशों में अैोर भी तरक्की की जा सकती है। इसके लिए किसानों को उत्साहित किया जाये और अपेक्षित वित्तीय मदद मुहैया करवाई जाये जिससे कृषि क्षेत्र की निश्चित हुई 4 प्रतिशत तरक्की के वृद्धि की प्राप्ति हो सके और ग्रामीण लोगों की आर्थिकता में विस्तार हो सके।

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