गंगा सागर से जुड़ा है यह रहस्यमयी कुआं…

-कुएं की गहराई में बने हैं कई कुओं की श्रंखला
-इन कुओं में दबा था सम्राट अशोक का खजाना
भारत को यदि अजूबों का देश कहा जाए, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। भारत की प्राचीन सभ्यता, धार्मिक पहलू इस बात को प्रमाणित करते हैं। इनसे जुड़े रहस्य देखने, सुनने वालों को दांतों तले अंगुली दबाने के लिए मजबूर कर देते हैं। इसी कड़ी के तहत हम आज आपको एक एेसे रहस्यमयी कुएं के बारे बताएंगे। जो कुंआ गंगा सागर से जुड़ा हुआ है। इतना ही नहीं कुएं की गहराई में कई कुंओं की श्रृंखला की मौजूदगी इसके रहस्य को बेहद दिलचस्प बनाता है। इतना ही नहीं इन कुओं में सम्राट अशोक अपना खजाना छिपा कर रखता था।

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कहां पर स्थित है यह रहस्यमयी कुआं ?
इस रहस्यमयी कुएं को अगम कुआं कहा जाता है। यह कुंआ बिहार की राजधानी पटना में स्थित है। इस कुएं का निर्माण सम्राट अशोक ने करवाया था। इस कुएं से जुड़े रहस्य इस कुंए को विशिष्ट बनाते हैं। इस कुएं की सबसे खास विशेषता यह है कि यह कुआं कभी सूखता नहीं है।

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क्या है इस अगम कुएं की विशेषताएं
पटना स्थित अगम कुएं की खुदाई सम्राट अशोक के काल 273-232 ईस्वी पूर्व में की गई थी। इस कुएं की विशेषता यह है कि कितना भी भयंकर सूखा इस इलाके में पड़े, यह कुआं कभी सूखता नहीं है। वहीं इस इलाके में बाढ़ आने पर इसके जलस्तर में भी कोई अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है। गर्मियों में इसका जलस्तर से एक से डेढ़ फीट नीचे और बारिश के दिनों में इसका जलस्तर एक से डेढ़ फीट तक उपर आता है। इस कुएं की एक और ख़ासियत यह भी है कि इसके पानी का रंग बदलता रहता है।

पाताल से सीधा संबंध है इस कुएं के
इस अगम कुएं की गहराई नापने के लिए अब तक अनेक प्रयास हुए है। पुरातत्व विभाग अनुसार इस कुएं की गहराई 105 फ़ीट से भी अधिक है। सबसे अधिक सोचने वाली बात यह है कि अशोक काल में इतने गहरे कुएं की खुदाई क्यों की गई। जबकि उस समय धरती में पानी मात्र 20 फीट की खुदाई पर ही उपलब्ध था। इतनी अधिक गहराई होने के कारण ही इस कुंए को अगम कुआं कहा जाता है। यानिकि इसका सीधा संबंध पाताल से हैं।

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सम्राट अशोक यहां रखता खा अपना खजाना
इस कुएं की गहराई में श्रृंखलाबद्ध नौ और उसके बाद में अन्य छोटे-छोटे कुंओं की कतारें है। माना जाता है कि इन कुंओं के अंत में एक तहखाना भी बना हुआ है। जहां सम्राट अशोक का खजाना रहता था। यह कुंआ सम्राट अशोक के साम्राज्य कुम्हरार से यह जुड़ा हुआ था। खजाने को सुरंग के द्वारा यहां लाया जाता था।

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गंगा सागर से जुड़ा है कुआं
अगम कुंए के बारे में एक अन्य मान्यता यह है कि यह कुंआ सीधा गंगासागर से जुड़ा हुआ है। एक बार एक अंग्रेज की छड़ी पश्चिम बंगाल स्थित गंगा सागर में गिर गई थी। जो कि बहते-बहते पाटलिपुत्र स्थित इस कुएं के ऊपर आकर तैरने लगी। आज भी वह छड़ी कोलकाता के म्यूजियम में संग्रहित है।

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अशोक ने अपने विरोधियों की लाशें इसी कुएं में डलवाई
कहा जाता है कि इस कुएं में अशोक ने राजा बनने के लिए अपने सभी 99 विरोधियों की हत्या कर उनकी लाशें इस कुएं में डलवा दी थी। सम्राट अशोक के समय आए चीनी यात्रियों ने भी अपनी किताबों में इस कुएं का उल्लेख किया था।

इस कुएं का धार्मिक महत्त्व
अगम कुएं के बिलकुल पास ही शीतला माता का मंदिर है। यहां पर पहले कुएं की पूजा की जाती है, फिर इस बाद माता शीतला की पूजा का जाती है। पहले लोग इस कुएं में चढ़ावा भी चढ़ाते थे। मौजूदा समय इसे रोकने के लिए अब कुएं के चारों तरफ लोहे की जालियां लगा दी गई हैं। इस कुंए के जल का इस्तेमाल करने से कई रोग दूर हो जाते हैं। कुएं के जल से नहाने से संतान प्राप्ति की मनोकामना भी पूर्ण होती है।

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ब्रिटिश खोजकर्ता ने खोजा था कुआं
इस कुंए की खोज 1902 -03 में एक ब्रिटिश खोजकर्ता लारेंस वाडेल ने की थी। वाडेल ने उल्लेख किया है कि करीब 750 वर्ष पूर्व जब कभी कोई मुस्लिम पदाधिकारी पटना में प्रवेश करता था, तो सबसे पहले सोने और चांदी के सिक्के इस कुएं में डालता था। ऐसा बताया जाता है कि जब अगम कुएं के पास पहली बार ब्रिटिश खोजकर्ता वाडेल पहुंचे. तो वहां कई मूर्तियां भी मिली थी।

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प्रदीप शाही

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