क्या आपको पता है कि सामान्य लोग भी होते हैं मनोविकारों  का शिकार

वंदना

साधारण इंसानों में मनोविकार दिमाग में रासायनिक असंतुलन की वजह से पैदा होते हैं| वैसे तो किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति का पता उसके व्यवहार से आसानी से लगाया जा सकता है लेकिन आजकाल सामान्य दिखने वाले व्यक्तियो में भी मनोविकार उत्पन हो गए हैं जो कभी कभी दिखाई देते हैं जैसे अधिक क्रोध करना , कमजोर व्यक्तित्व, सहनशीलता का अभाव, आनुवांशिकता, बाल्यावस्था के अनुभव, तनावपूर्ण परिस्थितियां और विसंगतियों का सामना करने की असामर्थ्यता आदि ऐसे विकार हैं जो रोज़मर्रा के जीवन में शामिल हो चुके हैं |

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साधारण इंसानों में मनोविकार पैदा होने के कारण

तनावपूर्ण परिस्थितियां

तनावपूर्ण स्थिति तब होती है जब व्यक्ति किसी समस्या को हल नहीं कर पाता है या उनका सामना करना किसी व्यक्ति को मुश्किल लगता है| तनाव किसी व्यक्ति पर ऐसी आवश्यकताओं व मांगों को थोप देता है जिसे पूरा करना उसके लिए मुश्किल होता है| इन मांगों को पूरा करने में लगातार असफलता मिलने पर व्यक्ति में मानसिक तनाव पैदा होता है। जिसका असर उसके आस पास के लोगों पर पड़ता है | ऐसा इंसान लड़ाई झगड़ा करता है और स्वयं को सही साबित करने की कोशिश करता है|

सरल भाषा में कहें तो तनाव को दो भागों में बांटा जा सकता है :

इच्छित तनाव : इच्छित तनाव वह है जोकि प्रतियोगी खेल खेलते समय रखते हैं| वैसे ही सामान्य इंसान भी सामने वाले को अपना प्रतियोगी समझ कर ऐसा करते हैं |

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डिस्ट्रेस: जो बुरा, असंयमित, अतार्किक या अवांछित तनाव होता है। ऐसे लोगों को सिकेट्रिस्ट को दिखाकर उनका इलाज करवाना चाहिए | इनसे समाज को हानि होती है |

मूड डिसॉर्डर

ऐसे व्यक्ति किसी एक मनोभाव पर स्थिर हो जाते हैं, या इन भावों में अदल-बदल करते रहते हैं। जैसे कोई व्यक्ति कुछ दिनों तक उदास रहे या किसी एक दिन उदास रहे और दूसरे ही दिन खुश हो जाए जबकि उसके इस व्यवहार का उसकी परिस्थिति से कोई संबंध न हो तो यह मूड डिसॉर्डर कहलाता है|

यह एक ऐसी मानसिक अवस्था है जो कि उदासी, रूचि का अभाव और रोज़मर्रा के कामो में अप्रसन्नता, अशांत , अनिद्रा व नींद घट जाना, कम भूख लगना, वजन कम होना, या ज्यादा भूख लगना व वजन बढ़ना, आलस, दोषी महसूस करना, अयोग्यता, असहायता, निराशा, एकाग्रता में परेशानी और अपने व दूसरों के प्रति नकारात्मक विचारधारा के लक्षणों को दर्शाती है। यदि किसी व्यक्ति को इस तरह से करते हुए लगभग दो सप्ताह हो जाएं तो उसे अवसादग्रस्त कहा जा सकता है और उस के उपचार के लिए उसे शीघ्र डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए अन्यथा बेवजह घर में या बाहर कलह होगी |

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बीमारियों के कारण

आज के समय में शारीरिक समस्याएं जैसे ज्वर, खांसी, जुकाम आदि  विभिन्न प्रकार के मनोविकार आम होते हैं। इनमें कुछ बीमारियाँ भी शामिल हो गई हैं जैसे निम्न रक्तचाप, उच्च रक्तचाप, मधुमेह आदि| इन सभी बीमारियों के कारण व्यक्ति चिड़चिड़ा हो जाता है | वैसे तो ये सब शारीरिक बीमारियाँ हैं परंतु ये मनोवैज्ञानिक कारणों जैसे तनाव व चिंता से उत्पन्न होती हैं। जिसके कारण घर में बिना वजह कलह का माहौल बनता है |

मन के कारण

कई बार आप दिल से किसी चीज को स्वीकार नहीं कर पाते ऐसे में आपके स्वाभाव में चिड़चिड़ापन होना लाज़मी है और इसका सीधा असर आप पर और आप से जुड़े सभी व्यक्तियों पर पड़ता है | रोगी कई प्रकार के तर्क देता है | अपना गुस्सा किसी और पर उतार  देता है |

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कमजोर याद्दाशत या मैमोरी loss के कारण

कभी कभी किसी व्यक्ति को अपना पिछला अस्तित्व, गत घटनाएं और आस-पास के लोगों को पहचानने में असमर्थता हो जाती है| जिससे व्यक्ति समाज से अपने आपको अलग महसूस करता है और कई बार उसको लगता है कि सब उसको इग्नोर कर रहे है | ऐसे में या तो वह अधिक गुस्सा करेगा या सब का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपनाने लगता है | सफल ना होने पर वो डिप्रेशन तक में जा सकता है |

शारीरिक गठन के कारण

मोटे व्यक्तियों में उन्माद, अवसाद या उदासी, हिस्टीरिया, हृदय रोग आदि अधिक होते हैं जबकि लंबे एवं दुबले व्यक्तियों में तनाव, व्यक्तित्व रोग अधिक होते हैं।

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व्यक्तित्व के कारण

अपने में खोये हुए, चुप रहने वाले, कम मित्र रखने वाले किताबी-कीड़े जैसे गुण वाले व्यक्तित्व वाले लोगों में स्कीजोफ्रीनिया मनोरोग अधिक होता है, जबकि अनुशासित तथा सफाई पसंद, समयनिष्ठ, मितव्ययी जैसे गुणों वाले लोगों में खपत रोग अधिक पाया जाता है|

आनुवांशिकता के कारण 

मनोविक्षिप्ति या साइकोसिस (जैसे स्कीजोफ्रीनिया, उन्माद, अवसाद इत्यादि), व्यक्तित्व रोग, मदिरापान, मंदबुद्धि, मिर्गी इत्यादि रोग उन लोगों में अधिक पाये जाते हैं, जिनके परिवार का कोई सदस्य इनसे पीड़ित हो | कई बार तो ये पीढ़ी दर पीढ़ी कई पीढ़ियों तक देखे जा सकते हैं | इनसे संतान को इनका खतरा लगभग दोगुना हो जाता है।

शारीरिक परिवर्तन के कारण

किशोरावस्था, युवावस्था, वृद्धावस्था, गर्भ-धारण जैसे शारीरिक परिवर्तन कई मनोरोगों जैसे उदासी, रूचि का अभाव और रोज़मर्रा के कामो में अप्रसन्नता, अशांत, अनिद्रा व नींद घट जाना, कम भूख लगना, वजन कम होना,आदि का आधार बन सकते हैं।

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खान-पान के कारण

मदिरा तथा अन्य मादक पदार्थों ,दवाओं, रासायनिक तत्वों, धातुओं आदि का सेवन भी मनोरोगों की उत्पत्ति का कारण बन सकता हैं।

मनोवैज्ञानिक कारण

आपसी संबंधों में तनाव, किसी प्रिय व्यक्ति की मृत्यु, सम्मान को ठेस, कार्य को खो बैठना, आर्थिक हानि, विवाह, तलाक, शिशु जन्म, कार्य-निवृत्ति, परीक्षा या प्यार में असफलता इत्यादि भी मनोरोगों को उत्पन्न करते हैं।

सामाजिक कारण

अकेलापन, राजनीतिक, प्राकृतिक या सामाजिक दुर्घटनाएं जैसे कि लूटमार, आतंक, भूकंप, अकाल, बाढ़, महंगाई, बेरोजगारी इत्यादि मनोरोग उत्पन्न कर सकते हैं।

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आम मनोविकारों से बचने के उपाय

मानसिक रोग जिससे उपचार के विषय में न जाने कितनी भ्रांतियाँ एवं आशंकाएँ जुड़ी हैं। कुछ लोग इसे एक असाध्य, आनुवांशिक एवं छूत की बीमारी मानते हैं, तो कुछ जादू-टोना, भूत-प्रेत व डायन का प्रकोप। कुछ लोग इसे बीमारी न मानकर जिम्मेदारियों से बचने का नाटक मात्र भी मानते हैं। अज्ञानी लोग उपचार के लिए स्थानीय या नजदीक ओझा, पंडित, मुल्ला आदि के पास जाकर भभूत, जड़ी-बूटी का सेवन करते हैं तथा अमानवीय ढ़ंग से सताये भी जाते हैं ताकि ‘पिशाच आत्मा’ का प्रकोप दूर हो सके। यह सब गलत है। सही धारणा यह है कि यह बीमारी है और वैज्ञानिक ढंग से चिकित्सा विज्ञान द्वारा इसका इलाज संभव है।

व्यक्ति को तनाव और क्रोध से निपटने के लिए आमतौर पर अपने आपको किसी ना किसी काम में व्यस्त रखना चाहिए। तनाव या क्रोध किस वजह से पैदा हुआ है उसका क्या समाधान हो सकता है ? अगर वह व्यक्ति परिस्थितियों व आवश्यकता के अनुसार नई जानकारियां जुटा कर, सामर्थ्य का विकास करके, वर्तमान योग्यताओं में सुधार करके, नए संसाधनों का प्रयोग कर अपनी चेतना शक्ति से संभव कर लेता है तो वह  रोग, क्रोध ,तनाव और चिंता से मुक्त हो जाता है |

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यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि तनाव से प्रभावशाली तरीके से निपटने के लिए व्यक्ति को  सकारात्मक सोच, मनोभावों और क्रियाओं को ही अपनाना चाहिए |आपको यह रोग अपनी कमजोरी की वजह से हुआ है | दवाएं लेना नुकसानदायक हो सकता हैं, धीरे धीरे दवाइयों पर निर्भरता बढ़ाती जाती है और जीवनभर लेनी पड़ती हैं। बिना वजह दवाओं के सेवन से बचना चाहिए दवाओं का सेवन  सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए | इसके इलाज के लिए अधिकतर नींद की गोलियां दी जाती हैं। कई रोग तो खुश रहने से अपने आप ठीक हो जाते हैं या प्रभावित व्यक्ति के प्रयासों से भी जल्दी ठीक हो जाते हैं ।

वैसे तो मनोविकारों से बाहर निकलने के कई तरीके है जैसे मेडिटेशन, गहरी सांस लेना, अपने पर ध्‍यान देना, लोगों के साथ समय बिताना, डांस करना ,सही लाइफस्टाइल चुनना, खुलकर हंसना, गाने सुनना आदि,  पर आपके पास इन सभी विकारों से बाहर निकलने का सबसे अच्छा उपाय है हंसना , खूब हँसिये और आस-पास के लोगों को भी हंसाइए, जिससे सभी के जीवन में अत्यधिक प्रसन्नता और हल्कापन आए| सभी में सकारात्मक एनर्जी प्रवेश करे | ऐसा होने पर व्यक्ति अधिक योग्य बनते हैं।

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