एक ऐसा मंदिर… जिसमें मूर्तियां करती हैं आपस में बातें !!

भारत में कई ऐसे चमत्कारिक मंदिर स्थित हैं जिनके रहस्यों को सुलझाने में विज्ञान भी असफल रहा है। इन मंदिरों में घटित होते चमत्कारों को देखने के लिए  दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में जानकारी देंगें जिसमें घटित होने वाले चमत्कार के बारे में सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे लेकिन इस चमत्कार व रहस्य से पर्दा उठाने में आज तक विज्ञान भी सफल नहीं हो पाया। मंदिर में मूर्तियों को स्थापित करने से पहले उनकी प्राण प्रतिष्ठा की जाती है और उस मूर्ति को भगवान का साक्षात रूप मानकर उसकी पूजा की जाती है। आज जिस मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं उसमें प्राण प्रतिष्ठा वाली बात पूरी तरह से लागू होती है। एक ऐसा मंदिर जिसमें स्थापित मूर्तियां आपस में बातें करती हैं। यह अदभुत मंदिर बिहार के बक्सर जिले में स्थित है।

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राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मंदिर

400 साल पुराना राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मंदिर बिहार के बक्सर जिले में स्थित है। यह मंदिर तंत्र साधना के लिए भी प्रसिद्ध है। मान्यता है कि इस मंदिर में साधकों की हर मनोकामना पूरी होती है। कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना भवानी मिश्र नाम के एक तांत्रिक ने की थी और आज भी उन्हीं के वंशज इस मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं।

इस मंदिर की मूर्तियां आपस में करती हैं बातें

इस मंदिर में स्थापित मूर्तियों से रात को बोलने की आवाजें आती हैं। आधी रात के समय यहां से गुजरने वाले लोगों ने यह आवाजें सुनने का दावा किया है। लोगों का मानना है कि इन आवाजों को सुनकर ऐसा लगता है जैसे यह मूर्तियां आपस में बात कर रही हों।

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वैज्ञानिकों ने दिया है यह तर्क

वैज्ञानिकों ने शोध के बाद पाया कि यह आवाज़ें किसी व्यक्ति से नहीं आती हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस मंदिर में कुछ अजीब घटित होता है जिसके चलते  यह आवाजें आती हैं। शोध के बाद वैज्ञानिकों ने यह तर्क दिया कि इस मंदिर की बनावट अलग ढंग की है जिसके कारण यहां पर शब्द गूंजते हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि दिन के समय में मंदिर में लोगों द्वारा की गई बातें ही रात को यहां गूंजती हैं, लेकिन इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता यह मात्र उनका अनुमान ही माना जा सकता है।

दस महाविद्याओं की मूर्तियां हैं स्थापित

राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मंदिर में दस महाविद्याओं की मूर्तियां स्थापित हैं। इस मंदिर में मुख्य रूप में देवी राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी की मूर्ति स्थापित है। इसके अतिरिक्त की मूर्तियां भी विशेष दर्शनीय हैं। इन मूर्तियों के साथ ही मां काली, त्रिपुर भैरवी, धुमावती, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, मातंगी, कमला, उग्र तारा, भुवनेश्वरी आदि दस महाविद्याओं की मूर्तियों के दर्शन भी होते हैं। कई सालों से यह मंदिर तांत्रिक अनुष्ठानों का केन्द्र रहा है इसीलिए लोगों का मानना है कि तांत्रिक शक्तियों व साधाना के कारण ही यह मूर्तियां अथवा देवियां जागृत हैं।

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नवरात्र में नहीं की जाती कलश की स्थापना

इस प्राचीन मंदिर से जुड़ी एक खास बात यह है कि नवरात्र के दौरान इस मंदिर में कलश की स्थापना नहीं की जाती। हालांकि इस मंदिर में नवरात्रि का त्योहार श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि जो भी इस मंदिर में सच्चे मन से मन्नत मांगता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।

धर्मेन्द्र संधू

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