इस मंदिर में पानी से जलता है दीपक

कई बार कुछ ऐसे चमत्कार होते हैं जो विज्ञान के साथ-साथ लोगों के लिए भी एक पहेली बने रहते हैं। भारत में अनेक ऐसे चमत्कारिक मंदिर हैं जो आज भी शोध का विषय बने हुए हैं। इन मंदिरों में कुछ ऐसे चमत्कार होते हैं जिन्हें साक्षात देखा जा सकता है। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताएंगे जहां पर एक ऐसा दीपक जलता है जिसके बारे में सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। आम तौर पर दीपक जलाने के लिए तेल या घी का प्रयोग किया जाता है। लेकिन अगर सुनने को मिले कि दीपक को पानी से भी जलाया जा सकता है तो आप सोच में पड़ जाएंगे। परंतु यह सच है यह चमत्कार साक्षात देखने को मिलता है ‘गड़ियाघाट माता के मंदिर में’।

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मंदिर में सालों से जल रहा है पानी से दीपक

पूरे भारत में दुर्गा माता के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है और देशभर में माता के कई मंदिर मौजूद हैं। इन मंदिरों में होने वाले चमत्कारों को पूरा संसार जानता है। एक ऐसा ही चमत्कारिक मंदिर मध्यप्रदेश के नलखेड़ा के गांव गड़ियाघाट में स्थित है। नलखेड़ा से इस मंदिर की दूरी 15 किलोमीटर है। इस मंदिर में तेल या घी की बजाए पानी से दीपक जलता है। भक्तों के अनुसार यह दीपक कई सालों से जल रहा है।

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माता ने दिए थे पुजारी को सपने में दर्शन

कहा जाता है कि इस मंदिर के पुजारी सिद्धु सिंह सोंधिया बचपन से इस मंदिर में सेवा निभा रहे हैं। सालों पहले यहां पर दीपक घी या तेल से ही जलाया जाता था लेकिन एक बार माता ने स्वयं उनके सपने में आकर कहा कि अब इस दीपक में तेल डालने की जरूरत नहीं है अब यह दीपक पानी से जलेगा। उसके बाद पुजारी ने पास ही बहने वाली कालीसिंध नदी से पानी लेकर दीपक जलाया तो यह जलने लगा । तब से लेकर आज तक इसी नदी के पानी से दीपक जलाया जाता है।

पानी से कैसे जलता है यह दीपक ?

इस दीपक के जलने के पीछे के रहस्य को अब तक कोई नहीं जान सका लेकिन कहते हैं कि जब इस दीपक में नदी का पानी डाला जाता है तो वह एक चिपचिपे तरल पदार्थ में बदल जाता है। और दीपक उस पानी से जलने लगता है।

बरसात के मौसम में नदी में डूब जाता है मंदिर

यह दीपक लगातार जलता रहता है केवल बरसात के मौसम में नही जलता यह दीपक क्योंकि बरसात के मौसम में कालीसिंध नदी में पानी का स्तर बढ़ जाता है और मंदिर पूरी तरह से पानी में डूब जाता है। जिसके कारण इस मंदिर में पूजा करना मुश्किल हो जाता है। बरसात के बाद शारदीय नवरात्रों के पहले दिन फिर से यह दीपक जला दिया जाता है जो बरसात के अगले मौसम तक लगातार पानी से ही जलता रहता है।

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कैसे पहुंचे

यह मंदिर तहसील नलखेड़ा से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।  इंदौर से नलखेड़ा की दूरी 150 किलोमीटर है और उज्जैन से 100 किलोमीटर है। वहीं भोपाल से नलखेड़ा की दूरी 180 किलोमीटर व शाजापुर  से नलखेड़ा 62 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

धर्मेन्द्र संधू

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