इन औषधीय गर्म कुंड में स्नान करने से होते हैं रोग दूर

-झारखंड में सबसे अधिक 60 गर्म जल कुंड
प्रकृति ने धरती के गर्भ में न जाने कितने अनमोल उपहार (औषधियां, लवण, खनिज) संजो कर रखे हैं। कई उपहार तो धरती से फूटने वाले जलाश्यों के माध्यम से हमें प्राप्त होते हैं। आज हम आपको भारत के उन स्थानों की जानकारी देंगे। जिन जगहों पर मौजूद औषधीय युक्त गर्म कुंड में स्नान करने से कई तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है। कई कुंडों ने अब धार्मिक स्थान के रुप में भी अपनी पहचान बना ली है। जहां पर सारा साल ही भक्तों का तांता लगा रहता है। झारखंड एकमात्र एेसा राज्य है, जहां पर सबसे अधिक 60 गर्म जल कुंड हैं। आईए जानते हैं कि यह कुंड कहां पर स्थित हैं।

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धार्मिक आस्था का प्रतीक है पावन मणिकरण
हिमाचल प्रदेश में कुल्लू से 45 किलोमीटर दूर स्थित मणिकरण का यह स्थान हिंदू व सिखों के लिए बेहद पावन स्थल के तौर पर विख्यात है। यह जगह खासतौर पर गर्म पानी के चश्मों के लिए जानी जाती है। इस गर्म पानी में अधिक मात्रा में सल्फर, यूरेनियम व अन्य रेडियोएक्टिव तत्व पाए जाने के कारण इसमें स्नान करने से कई तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है। इस पानी का तापमान बहुत अधिक है। इस स्थान पर हिंदुओं व सिखों की कई धार्मिक आस्था जुड़ी हुई हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती के कान की बाली (मणि) यहां पानी में गिर गयी। मणि को ढूंडने के सभी कोशिशें बेकार चली गई। आखिरकार पता चला कि माता पार्वती की वह मणि पाताल लोक में शेषनाग के पास पहुंच गयी है। जब शेषनाग को इसकी जानकारी हुई तो उसने पाताल लोक से ही जोरदार फुंकार मारी और धरती के भीतर से गर्म जल फूट पडा। गर्म जल के साथ ही मणि भी बाहर निकल आई। इस क्षेत्र में जगह-जगह गर्म जल के स्रोत हैं। यहां एक प्रसिद्ध राम मंदिर है। इस मंदिर में भगवान श्री राम की एक प्रतिमा को अयोध्या से लाकर प्राण प्रतिष्ठित किया गया था। यहां की वैली को पार्वती वैली भी कहा जाता है। वहीं दूसरी तरफ गुरु नानक देव जी अपने साथी बाला और मर्दाना के साथ यहां आए थे। यहां पर गुरुद्वारा उन्हीं की याद में बना है। यहां आने वाले लोगों को गर्म पानी चश्मों से पानी लेकर दाल-चावल बनाते देखा जा सकता है।

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पावन राजगीर का जल कुंड
पटना के समीप राजगीर स्थान को भारत के सबसे पावन स्थलों में से एक माना गया है। राजगीर स्थान एक जमाने में मगध साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी। इस स्थान को देव नगरी भी कहा जाता है। इस कारण राजगीर सभी धर्मो की संगमस्थली मानी जाती है। कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र राजा बसु ने राजगीर के ब्रह्मकुंड परिसर में एक यज्ञ का आयोजन करवाया था। इस दौरान सभी देवी-देवताओं को एक ही कुंड में स्नान करने में परेशानी होने लगी। तभी ब्रह्मा जी ने यहां 22 कुंड और 52 जलधाराओं का निर्माण करवाया था। वैभारगिरी पर्वत की सीढिय़ों पर मंदिरों के बीच गर्म जल के कई झरने हैं, जहां सप्तकर्णी गुफाओं से जल आता है। इसी पर्वत पर स्थित भेलवाडोव तालाब है, जिससे ही जल पर्वत से होते हुए यहां पहुंचता है। इस पर्वत में कई तरह के केमिकल्स सोडियम, गंधक, सल्फर हैं। इस कारण जल गर्म हो जाता है। साथ ही इस जल से स्नान करने से कई तरह के रोगों का निवारण होता है। यहां पर 22 कुंडों में स्नान किया जा सकता है।
इन कुंडों में ब्रह्मकुंड सबसे महत्वपूर्ण हैं। इसका तापमान 45 डिग्री सेल्सियस होता है। इसे पाताल गंगा के नाम से भी संबोधित किया जाता है। यहां पर बहने वाली सप्तधाराएं ऋषि-मुनियों के नाम हैं। 22 कुंडों में ब्रह्मकुंड के अलावा मार्कंडेय कुंड, व्यास कुंड, अनंत ऋषि कुंड, गंगा-यमुना कुंड, साक्षी धारा कुंड, सूर्य कुंड, गौरी कुंड, चंद्रमा कुंड, राम-लक्ष्मण कुंड प्रमुख हैं। राम-लक्ष्मण कुंड में एक तरफ ठंडी व दूसरी तरफ से गर्म पानी प्रवाहित होता है।

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सल्फर युक्त है अत्रि जल कुंड
ओडिशा में भुवनेश्वर से 43 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अत्रि जलकुंड सल्फर युक्त गर्म पानी के चलते प्रसिद्ध है। इस कुंड के पानी का तापमान 55 डिग्री रहता है। कुंड में स्नान करने से शरीर तंदरुस्त हो जाता है। लोग इस कुंड में स्नान करने के बाद इस क्षेत्र में हाटकेश्वर मंदिर के दर्शन करने जरुर जाते हैं।

 

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बकरेश्वर के 10 जल कुंड हैं विशेष
पश्चिम बंगाल में बकरेश्वर पावन तीर्थ स्थलों में से एक है। यहां गर्म पानी के 10 कुंड भक्तों व पर्यटकों को अपनी तरफ सहज ही सम्मोहित कर लेते हैं। इन जल कुंडों में अग्नि कुंड सबसे अधिक गर्म है। इसका पानी 67 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। इसके अलावा भैरव कुंड का 65, खीर कुंड का 66, नृसिंह किुंड का 66, सूर्य कुंड का 66, सौभाग्य का कुंड 45, पापहरा कुंड का पानी 48 डिग्री सेल्सियस है। इन कुंडों में स्नान से कई तरह के रोग दूर हो जाते हैं।

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तुलसी श्याम कुंड सभी में तापमान अलग
जूनागढ़ से करीब 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित तुलसी श्याम कुंड का अपना ही विशेष महत्व है। यहां पर गर्म पानी के तीन कुंड है। सबसे खास बात यह है की तीनों जल कुंडों में पानी का तापमान अलग-अलग रहता है। तुलसी श्याम कुंड के पास 700 साल प्राचीन रुकमणि देवी का मंदिर भी हैं। गुजरात में टुवा टिंबा में भी कई गर्म पानी के कुंड स्थित है।

 

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60 गर्म पानी के कुंडों का राज्य झारखंड
गर्म पानी के स्रोतों के मामले में झारखण्ड, भारत में सबसे आगे है। यहां पर 60 गर्म पानी के कुंड हैं। इनमे प्रमुख तौर से Tatloi, Tharai Pani, Numbil, Suraj kund, Chark Khurd, Tapat Pani, Raneshwar, Sidpur  हैं। यह इलाके बेहद दर्शनीय हैं।

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साढे 15 हजार फीट उंचाई पर यूमेसमडोंग कुंड
यूमेसमडोंग सिक्किम के सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक है। यहां पर स्थित जल कुंड 15500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह पानी सल्फर से युक्त है। इसका तापमान लगभग 50 डिग्री सेलसियस रहता है। इनमे सबसे प्रसिद्ध बोरोंग और रालोंग जल कुंड है। जहां साल भर पर्यटकों का तांता लगा रहता है।

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पनामिक जलकुंड का पानी बेहद गर्म
नुब्रा वैली का मतलब है फूलों की घाटी। यह वैली सियाचिन ग्लैशियर से नौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान गर्म पानी के कुंड के लिए भी जाना जाता है। यहां का पानी बहुत अधिक गर्म होता है। पानी में हमेशा ही बुलबुले निकलते दिखाई देते हैं। पानी इतना गर्म होता है कि इसे छुना भी नामुमकिन है।

प्रदीप शाही

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