असानी से मिलने वाले इस पौधे की जड़ है बेशकीमती, हर रोग को करती है जड़ से खत्म

वंदना

एक ऐसा पौधा जो दिखता तो बिलकुल साधारण है और आसानी से सभी जगह मिल भी जाता है पर जिसके फायदे अनेक है और पूरे साल इस पर फूल आते हैं। जिस कारण इसे सदाफूली, सदपुष्पा, बारह मासी ,सदाबहार नाम से जाना जाता है | सदाबहार (evergreen) पौधा है जिसके उगाने से आस-पास हमेशा हरियाली बनी रहती है। पेड़- पौधे खाने वाले जानवर  (herbivorous) भी इसके कसैले स्वाद के कारण इसे खाना पसंद नहीं करते हैं।  कीट, पतंगें , बिच्छू तथा सर्प आदि सदाबहार पौधों के आस-पास भी नहीं फटकते हैं, जिससे सफाई बनी रहती है।

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सदाबहार के फूल में पांच पंखुड़ियां होती हैं | यह सफ़ेद, गुलाबी, फालसाई,जामुनी रंगों में होते हैं | इसके पत्ते चिकने और मोटे होने के कारण पानी का वाष्पीकरण कम होता हैं , जिससे इन्हें कहीं भी आसानी से लगाया जा सकता हैं | लोग इसके फूलों को भगवान् को अर्पित करते हैं और फिर जल प्रवाहित कर देते हैं | सदाबहार औषधीय गुणों से भरपूर पौधा है, जिसका प्रयोग बहुत सी बिमारियों को कम करने या जड़ से नष्ट करने में किया जा सकता हैं|

सदाबहार का औषधीय उपयोग सर्पगन्धा के विकल्प के तौर पर भी किया जा सकता है| उच्चरक्तचाप, मानसिक विकार (चिन्तारोग, अनिद्रा, अवसाद, पागलपन) आदि के अलावा विषनाशक के रूप में , मधुमेह, डिप्थिरीया, हैजा जैसी बिमारियों के उपचार में भी सदाबहार कारगर सिद्ध हुआ है।

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मधुमेह के उपचार में

सदाबहार का उपयोग मधुमेह के उपचार में किया जाता है| इसकी जड़ों का काढ़ा बना कर पीने से ब्लड शुगर को कम किया जा सकता है। इसके पत्ते , टहनी और फूलों का रस पीने से भी शुगर में आराम आता है |इसके पत्तों और फूलों की चटनी बना कर भी खा सकते हैं, पर यह सभी उपाय सुबह खाली पेट ही करने होते हैं | गुलाबी या सफ़ेद फूल के चार -पांच पत्ते रात में भिगोकर रख दें ,सवेरे खाली पेट यह पानी पीने से कुछ ही दिनों में ब्लड शुगर खत्म हो जाता है| सप्ताह में सिर्फ दो बार ही ऐसा करना चाहिए | यह सभी उपाय डॉक्टर की सलाह के बाद ही करने चाहिए |

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सफ़ेद सदाबहार की ताजा पत्तियों को सुबह खाली पेट चबाकर रस पीने से कुछ ही दिनों में मधुमेह ख़त्म हो जाता है |

सदाबहार की ताजा पत्तियों को सूखाकर उसका पाउडर बनाकर सील्ड पैक डब्बे में रख दें। पाउडर को रोजाना एक चम्मच ताजा फलों के रस या पानी के साथ लेने से कुछ ही दिनों में ब्लड शुगर कम हो जाती है। पाउडर का स्वाद कड़वा(कसैला) होता है।

दर्दनाशक के रूप में

इसमें मांशपेशियों के खिंचाव को कम करने की क्षमता होती है। अतः जड़ की छाल को दर्दनाशक के रूप में उपयोग किया जा सकता है। सुबह फूलों और पत्तियों से बनी हर्बल चाय बहुत ही लाभकारी साबित हो सकती है।

विष उतारने में

मधुमक्खी, ततैया या सांप के काटने पर इसकी पत्तियों के रस का उपयोग किया जा सकता है | इसकी पत्तियों को सीधे ही डंक या काटने वाली जगह पर रगड़ने से विष का प्रभाव खत्म हो जाता है |

पौधे की जड़ का उपयोग सांप, बिच्छू और अन्य जहरीले कीटों के काटने पर विष नाशक (antidote) के रूप में किया जा सकता है।

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असाधारण मासिक धर्म होने पर

इसकी जड़ का उपयोग पेट के लिए टानिक के रूप में भी किया जा सकता है। पत्तियों का रस मेनोरेजिया (Menorrhagia ) नामक बिमारी के उपचार में किया जाता है। इस बिमारी में असाधारण रूप से मासिक धर्म और दर्द होता है।

डिप्थिीरिया, हैजा आदि रोगों के उपचार में

किसी भी प्रकार के संक्रमण मनुष्य के गले (throat) एवं फेफड़ों (lungs) को प्रभावित करते हैं। इस पौधे में डिप्थिीरिया, हैजा आदि रोगों के जीवाणुओं को और बढ़ने से रोकने की क्षमता होती है। अतः उपचार में इस पौधे की पत्तियों के रस का प्रयोग किया जा सकता है|

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बवासीर होने पर

बवासीर होने पर पत्तियों और फूलों को पीसकर पेस्ट बनाकर लगाने से बवासीर में तेजी से आराम मिलता है| यह उपाय रात को ही करना चाहिए |

उच्च रक्तचाप तथा मानसिक विकारों का उपचार

इस पौधे की जड़ों की छाल का उपयोग उच्च रक्तचाप तथा मानसिक विकारों जैसे अवसाद, पागलपन,अनिद्रा तथा चिन्तारोग (anxiety) के उपचार में किया जाता है। इसकी जड़ को सुबह खाली पेट चबाकर खाने से या दातून की तरह इस्तेमाल करने से या इससे निकला रस पीने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है।

रक्त कैंसर (Leukemia) के उपचार में

इसमें कैंसर रोधी गुण पाये जाते हैं। सदाबहार के पत्तों की चटनी बनाकर रोज खाली पेट खाने से ब्लड कैंसर में लाभ मिलता है। इसकी पत्तियों का रस निकालकर रोज़ खाली पेट पीने से कैंसर में जल्द ही लाभ होता है |इस प्रयोग को हर रोज रात को सोने से पहले भी किया जा सकता है| आजकल इससे बने टीके भी बाजार में उपलब्ध है|

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घाव या फोड़े-फुंसी होने पर

इसकी पत्तियों का रस निकालकर दूध में मिला कर  लगाने से घाव जल्दी पक जाता है और मवाद बाहर आ जाती है |इसके पत्ते या टहनी तोड़ने पर जो दूध निकलता है उसको घाव पर लगाने से संक्रमण ठीक होता है | घाव जल्दी ही सूखकर भर जाता है |

एलर्जी होने पर

किसी भी प्रकार की स्किन एलर्जी होने पर इसके पत्तों का रस लगाने से तुरंत आराम मिलता  है | इसका दूध खाज खुजली, लाल चकतों पर लगाने से आराम आता है |

मुंहासे  होने पर

इसके दूध को मुंहासों पर लगाने से कुछ ही दिनों में मुंहासे दूर हो जाते हैं|

डॉ. जोगिन्दर टाइगर इसे “wonderful plant on the Earth “ भी कहते है क्योंकि इसे लंबे समय से आयुर्वेद और चीनी दवाओं में उपयोग किया जाता रहा है। यह मलेरिया, गले में दर्द और ल्यूकेमिया ,किसी भी प्रकार के संक्रमण से होने वाली बिमारियों में प्रयोग किया जाता है और यह पौधा ब्लड शुगर , ब्लड कैंसर आदि बिमारियों को जड़ से ख़त्म करने की क्षमता भी रखता है। सदाबहार के पौधे की अगर एक पत्ती भी रोजाना सुबह खाली पेट खाई जाए तो आप हमेशा स्वस्थ रहते हैं व रोगों से बचाव होता है।

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नोट- सदाबहार के पौधे के किसी भी हिस्से का उपयोग या सेवन करने से पहले आयुर्वेद के किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इसकी पत्तियों को खाने या रस पीने से आपको घबराहट के साथ उल्टी की समस्या भी हो सकती है। इस लिए इसका उपयोग सावधानी से करें।

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